TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

इन ताकतवर मिसाइल के चलते भारत विश्व का चौथा ताकतवर देश

भारत ने 27 मार्च, 2019 को मिशन शक्ति को अंजाम दिया। इस मिशन में डीआरडीओ ने अंतरिक्ष में सैटलाइट को मार गिराया। इसके साथ ही भारत दुनिया का चौथा देश बन गया जिसके पास अंतरिक्ष में मार करने की क्षमता है। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन के पास यह ताकत थी।

Shivakant Shukla
Published on: 28 March 2019 3:43 PM IST
इन ताकतवर मिसाइल के चलते भारत विश्व का चौथा ताकतवर देश
X

लखनऊ: भारत अंतरिक्ष में निचली कक्षा में लाइव सैटेलाइट को मार गिराने की मिसाइल क्षमता रखने वाला चौथा देश बन गया है। इससे पहले यह क्षमता अमेरिका, रूस और चीन के ही पास थी।

भारत के शक्ति मिसाइल परीक्षण में सफलता के बाद पूरे विश्व में भारत का डंका बज रहा है। इसी कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि भारत के पास कौन-कौन सी मिसाइलें हैं और वे कितनी ताकतवर हैं...

इन्हें भी पढ़ें- मोदी के बयान पर कांग्रेस का पलटवार, कहा- प्रधानमंत्री ने गरीबों का उड़ाया मजाक

यहां सबसे पहले ये जानना आवश्यक है कि जुलाई 1983 में भारत सरकार ने एकीकृत निर्देशित मिसाइल कार्यक्रम यानी आईजीएमडीपी को मंजूरी दी थी। वह देश को 'मिसाइल शक्ति' बनाने की बुनियाद थी।

इसके बाद भारत की मिसाइल क्षमता में क्रांति आ गई। जब डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम को डीआरडीओ का निदेशक नियुक्त किया गया तो मिसाइल बनाने के अहम दौर की शुरुआत हुई।

​पृथ्वी मिसाइलें

पृथ्वी I को फरवरी 1988 में लॉन्च किया गया था। यह जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है। यह पहली मिसाइल थी जिसे भारत सरकार के आईजीएमडीपी के तहत विकसित किया गया।

इसकी रेंज 150 किलोमीटर है यानी यह 150 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता रखती है। इसकी माउंटिंग कैपेबिलिटी 1000 किलोग्राम है। यानी यह मिसाइल 1000 किलोग्राम वजन तक के वॉरहेड, बम या अन्य चीजों को अपने साथ ले जा सकती है। 1994 में इसे भारतीय थलसेना में शामिल किया गया।

सतह से सतह पर मार

पृथ्वी तीन यह इस मिसाइल का नौसेना वर्जन है। इसकी रेंज 350 किलोमीटर तक है। यह सतह से सतह पर मार करने वाली है जिसका पहली बार साल 2000 में परीक्षण किया गया।

पृथ्वी एयर डिफेंस (पीएडी) भारत के बलिस्टिक मिसाइल डिफेंस कार्यक्रम को पीएडी के विकास के साथ बड़ी बढ़त मिली। यह 300 से 2000 किलोमीटर के दायरे में किसी मिसाइल का काम तमाम कर सकती है। यानी यह दुश्मन की ओर से आने वाली मिसाइलों को तबाह करने में सक्षम है।

अग्नि मिसाइलें

अग्नि एक इस सीरीज की पहली थी। डीआरडीओ ने इसे साल 1983 में लॉन्च किया था। इसकी रेंज 700 किलोमीटर है। यह एक बलिस्टिक मिसाइल है जो परमाणु बम ले जाने में सक्षम है।

अग्नि दो मध्य दूरी की मारक क्षमता वाली बलिस्टिक है। 11 अप्रैल, 1999 को पहली बार इसका परीक्षण किया गया था। यह जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है। इसकी रेंज 2000 से लेकर 2500 किलोमीटर तक है। यह अपने साथ परंपरागत या न्यूक्लियर वारहेड को ले जाने में सक्षम है।

अग्नि तीन मध्य दूरी की मारक क्षमता वाली बलिस्टिक मिसाइल है। यह दुश्मन देशों के काफी अंदर तक लक्ष्यों को भेद सकती है क्योंकि इसकी रेंज 3,500 किलोमीटर से लेकर 5,000 किलोमीटर तक है। जून, 2011 में सशस्त्र बलों में इसे शामिल किया गया था जिससे सेना की हमले की क्षमता बढ़ी।

अग्नि चार व पांच

अग्नि चार दो चरणों वाला प्रोपल्शन सिस्टम है। इसका डिजाइन इस तरह किया गया है कि यह अपने साथ 1,000 किलोग्राम पेलोड ले जा सकती है अग्नि पांच की पहली इंटर कंटिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) है।

इसका परिवहन आसान है। इसके अंदर तेजी से प्रतिक्रिया देने की क्षमता है। यह 5,000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक मार करने की क्षमता रखती है।

​आकाश प्रक्षेपास्त्र

आकाश जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। भारतीय थल सेना और भारतीय वायुसेना के पास यह मिसाइल है। इसकी इंटरसेप्ट रेंज 30 किलोमीटर है। यह एक ही बार में कई लक्ष्यों को भेद सकती है। भारत द्वारा स्वदेशीय निर्मित, माध्यम दूर की सतह से हवा में मार करने वाली प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है।

इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित किया गया है। यह प्रणाली विमान को 30 किमी दूर व 18,000 मीटर ऊंचाई तक टारगेट कर सकती है।

इसमें लड़ाकू जेट विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों जैसे हवाई लक्ष्यों को बेअसर करने की क्षमता है। यह भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना के साथ परिचालन सेवा में है।

नाग प्रक्षेपास्त्र

नाग तीसरी पीढ़ी की टैंक रोधी मिसाइल है। 1990 में इसका पहली बार परीक्षण हुआ था। एक तीसरी पीढ़ी का भारत द्वारा स्वदेशीय निर्मित, टैंक भेदी प्रक्षेपास्त्र है।

यह उन पाँच (प्रक्षेपास्त्र) प्रणालियों में से एक है जो भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत विकसित की गई है।

तीन सौ करोड़ की लागत से विकास

इस प्रक्षेपास्त्र का विकास भारतीय रुपया300 करोड़ की लागत से किया गया है। इसकी मारक क्षमता 4 कि० मि० है। इसका प्रथम सफल परीक्षण नवम्बर 1990 में किया गया है।

इसे 'दागो और भूल जाओ' टैंक रोधी प्रक्षेपास्त्र भी कहा जाता है क्योंकि एक बार इसे दागे जाने के बाद पुनः निर्देशित कराने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

भारत के मिशन 'शक्ति' से दुनिया हैरान

भारत ने 27 मार्च, 2019 को मिशन शक्ति को अंजाम दिया। इस मिशन में डीआरडीओ ने अंतरिक्ष में सैटलाइट को मार गिराया। इसके साथ ही भारत दुनिया का चौथा देश बन गया जिसके पास अंतरिक्ष में मार करने की क्षमता है। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन के पास यह ताकत थी।



\
Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

Next Story