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भारत बंद का असर: जान लें क्या-क्या खुलेगा, कैसा रहेगा सामान्य जनजीवन
बाजार से लेकर सामान्य जनजीवन पर बुरा असर पड़ने की पूरी संभावना है। सड़कें जाम होने से सप्लाई चेन्स और ट्रांसपोर्ट सर्विसिज की कमर टूट सकती है। अगर राजनीतिक दल भी भारत बंद के समर्थन में उतरते हैं
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ विपक्षी दलों समेत कई क्षेत्रीय संगठनों ने किसान संगठनों की ओर से 8 दिसंबर को किए गए भारत बंद के आह्वान को अपना समर्थन दिया है। इन कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन पिछले 11 दिन से जारी है।
भारत बंद का आहवान
पिछले 11 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठन और सरकार के बीच बातचीत से अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है। लेकिन 9 दिसंबर को एक बार फिर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत होगी। लेकिन इससे पहले किसानों ने भारत बंद का आहवान किया है। ऐसे में ये जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि 8 दिसंबर को क्या खुला रहेगा और क्या बंद रहेगा।
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इनमें मिलेगा छूट
किसान नेता बलदेव सिंह ने कहा कि ये आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का नहीं, बल्कि पूरे देश का है। आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए हमने भारत बंद का आह्वान किया है, जोकि सुबह 8 बजे से लेकर शाम तक चलेगा। इस दौरान दुकानें और कारोबार बंद रहेंगे। हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में सभी मंडियां बंद रहेंगी, लेकिन शादी के कार्यक्रमों को बंद से छूट दी गयी है। एंबुलेंस और आपातकालीन सेवाओं को छूट रहेगी।
उन्होंने कहा कि 8 दिसंबर का भारत बंद शांतिपूर्ण रहेगा और गुजरात के 250 किसान बंद को समर्थन देने दिल्ली आएंगे। किसान संगठनों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वे आंदोलन तेज करेंगे और दिल्ली पहुंचने वाली और सड़कें बंद कर देंगे। किसानों ने कहा कि 'हम किसी को भी हिंसक होने की इजाजत नहीं देंगे और ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। हम सभी से बंद का हिस्सा बनने का आह्वान करते हैं।
योगेंद्र यादव ने कहा
केंद्र के नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हजारों किसान हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगती दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। किसानों के भारत बंद के ऐलान '8 तारीख को सुबह से शाम तक रहेगा। चक्का जाम शाम तीन बजे तक रहेगा। दूध-फल-सब्ज़ी पर रोक रहेगी। शादियों और इमरजेंसी सर्विसेज़ पर किसी तरह की रोक नहीं होगी।
स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा, 'हम अपने रुख पर सदैव अडिग हैं हमने हमेशा मांग की है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले. हमने अपना रुख नहीं बदला है। हम उस पर दृढ़ हैं।
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इनका भी मिला समर्थन
कांग्रेस, टीआरएस, द्रमुक, शिवसेना, सपा, राकांपा और आप सहित अन्य पार्टियों ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के ‘भारत बंद’ के आह्वान के प्रति अपना समर्थन जताया है। न विपक्षी पार्टियों से पहले शनिवार को तृणमूल कांग्रेस, राजद और वाम दलों ने भी बंद का समर्थन किया था. दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी बंद का समर्थन किया है।
इस तरह कृषि आधारित इलाकों में बंद का व्यापक असर देखने को मिल सकता है। बाजार से लेकर सामान्य जनजीवन पर बुरा असर पड़ने की पूरी संभावना है। सड़कें जाम होने से सप्लाई चेन्स और ट्रांसपोर्ट सर्विसिज की कमर टूट सकती है। अगर राजनीतिक दल भी भारत बंद के समर्थन में उतरते हैं तो फिर उसके असर का दायरा और बढ़ सकता है। इमर्जेंसी और जरूरी सेवाओं को बंद से दूर रखने की बात किसान संगठन कहे चुके हैं।