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Olympic Shooting Gun: ओलंपिक शूटिंग के खेल में किस तरह की गन का किया जाता है इस्तेमाल, जानिए इससे जुड़े फैक्ट्स

Olympic Shooting Gun : शूटिंग में उपयोग की जाने वाली गन को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जाता है जैसे राइफल, पिस्टल और शोटगन।

Jyotsna Singh
Published on: 5 May 2023 5:01 PM IST (Updated on: 5 May 2023 5:01 PM IST)
Olympic Shooting Gun: ओलंपिक शूटिंग के खेल में किस तरह की गन का किया जाता है इस्तेमाल, जानिए इससे जुड़े फैक्ट्स
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Olympic Shooting Gun (newstrack)

Olympic Shooting Gun : भारत और शूटिंग का नाता बेहद ही ख़ास रहा पौराणिक काल से लेकर ओलंपिक गेम्स तक के सफर में हमारे देश के धुरंधरों ने स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम दर्ज किया है। वहीं ओलंपिक खेलों में शूटर्स ने भारत देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा किया है, जिनमें राज्यवर्धन सिंह राठौर, अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, विजय कुमार ,रवि दहिया जैसे दिग्गज शूटर्स ने 2002ओलंपिक खेलों से लेकर 2022ओलंपिक तक भारत ने हर संस्करण में कम से कम एक मेडल शूटिंग में ज़रूर जीता है। इतना ही नहीं 2008 बीजिंग ओलंपिक गेम्स में शूटिंग ने ही अभिनव बिंद्रा को व्यक्तिगत ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाला पहला भारतीय एथलीट बनाया था। आइए एक नज़र डालते हैं ओलंपिक शूटिंग के खेल में किस तरह की गन का इस्तमाल किया जाता है, शूटिंग के इतिहास, नियम और खेल के इवेंट्स पर...

ओलंपिक शूटिंग के दौरान प्रयोग होने वाली राइफल, पिस्टल और शॉटगन

ओलंपिक शूटिंग के खेल में तीन तरह की गन का इस्तमाल किया जाता है:

1. राइफल , पिस्टल और शॉटगन। राइफल और पिस्टल स्पर्धाओं में एथलीट इनडोर शूटिंग रेंज में शूटिंग करते हैं तो शॉटगन इवेंट आउटडोर में होता है, जहां निशानेबाजों को हवा में फेंके गए लक्ष्यों को निशाना बनाना होता है। सभी शूटिंग निर्धारित दूरी - 10 मीटर, 25 मीटर, 50 मीटर से की जाती है, जिसमें एथलीटों को एक कागज से बने लक्ष्य को टारगेट करना होता है। वहीं शॉटगन में क्ले को टारगेट किया जाता है।

2.राइफल एक सिंगल-लोडेड गन है जिसका कैलिबर 5.6 मिलीमीटर (गन की बैरल का अंदरूनी व्यास) होता है और यह गन राइफल से जुड़े हर इवेंट में प्रयोग होती है।

3. वहीं पिस्टल गन 4.5 मिलीमीटर कैलिबर का प्रयोग 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में होता है और 5.6 मिलीमीटर कैलिबर का इस्तमाल 25 मीटर इवेंट में किया जाता है जिसमें 5 शॉट मैगज़ीन का जुड़ाव होता है।

आइए जानते है शूटिंग के दौरान खिलाड़ियों द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले गियर और उपकरण के बारे में

जैकेट

खेल के दौरान शूटर एक स्पेशल जैकेट का प्रयोग करता है।इस जैकेट की ख़ास बात यह है कि यह शूटर के शरीर को बेहतर ग्रिप (पकड़) प्रदान करता है और रीकॉइल (शॉट के दौरान लगने वाला झटका) के प्रभाव को कम करता है। यह सबसे ज़यादा फायदा राइफल शूटर को पहुंचता है।

पैडिंग

कोहनी पर लगी पैडिंग खिलाड़ी को एक सटीक बेस प्रदान करता है जिससे खिलाड़ी का संतुलन बना रहता है। यह सबसे ज़्यादा कारगर राइफल निशानेबाज़ों के लिए होता है जब वह प्रोन पोज़िशन में खेलते हैं। इसके साथ-साथ निशानेबाज़ ब्लाइंडर (जो कि फोकस बढ़ाता है) और ब्लॉक ऑब्जेक्ट (जो कि नज़र को टिकाता है) का भी इस्तेमाल करता है।

ब्लाइंडर्स

ब्लाइंडर्स का उपयोग फोकस को बेहतर बनाने और वस्तुओं को उनकी दृष्टि को विचलित करने से रोकने के लिए किया जाता है। निशानेबाजों के लिए एक निर्धारित चौड़ाई का एक फ्रंट ब्लिंडर दिया जाता है। हालांकि, केवल शॉटगन एथलीटों को साइड ब्लाइंडर्स या ब्लिंकर पहनने की अनुमति है।
शूटिंग जिसमें हर निशानेबाज़ को मानसिक तौर पर एक दम तंदरुस्त और चौकन्ना रहना पड़ता है। मॉडर्न टाइम ओलंपिक खेल जो कि 1896 एथेंस में आयोजित हुए थे उसमे कुल मिलाकर 9 खेल रखे गए थे जिनमें से एक खेल शूटिंग भी था।

शूटिंग इवेंट और शूटिंग नियम

राइफल शूटिंग खेल में निशाना तय दूरी से लगाया जाता है। खिलाड़ी निशाना 10 कंसेंट्रिक सिर्क्लेम पर लगाता है। यह इवेंट दो भागों में विभाजित है – 50 मीटर राइफल थ्री पोज़ीशन और 10 मीटर एयर राइफल।

50 मीटर एयर राइफल

इसमें खिलाड़ी नीलिंग (घुटने के बल बैठ कर), प्रोन (लेट कर) और स्टैंडिंग (सीधा खड़ा होकर) पोज़िशन निशाना साधता है। हर खिलाड़ी 2 घंटे 45 मिनट में 40 शॉट खेलता है। 40 खिलाड़ियों में से केवल टॉप 8 खिलाड़ी आगे जाते हैं जहां वह मेडल के लिए दोबारा खेलते हैं।
50 मीटर राइफल 3 पोजिशन में, एथलीटों को प्रोन में शूट करना होता है।

10 मीटर एयर राइफल

इसमें हर खिलाड़ी 60 शॉट खेलता है और इसका समय होता है 1 घंटा 15 मिनट। इसमें भी टॉप 8 खिलाड़ी मेडल जीतने के लिए आगे बढ़ते हैं। मेंस और वूमेंस के बाद मिक्स्ड टीम का भी मुकाबला होता है जिसमें एक पुरुष और महिला खिलाड़ी होती है। क्वालिफिकेशन राउंड में हर टीम का प्रत्येक खिलाड़ी 50 मिनट में 40 शॉट खेलता है और टॉप 5 टीमें फाइनल राउंड का हिस्सा बनती हैं।

पिस्टल:इवेंट और नियम

पिस्टल शूटिंग खेल तीन भागों में विभाजित है –25 मीटर रेपिड फायर पिस्टल, 25 मीटर पिस्टल और 10 मीटर एयर पिस्टल। यहां खिलाड़ियों को एक हाथ से बिना किसी सपोर्ट के शूट करना होता है।

25 मीटर रेपिड फायर पिस्टल: केवल पुरुष खिलाड़ियों के बीच खेला जाता है जिसमें हर खिलाड़ी को 30-30 शॉट खेलने होते हैं और टॉप 8 खिलाड़ी ही क्वालिफाई कर सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ 25 मीटर पिस्टल नामक खेल में केवल महिलाएं ही हिस्सा लेतीं हैं। 25 मीटर रेपिड फायर पिस्टल इवेंट में दोनों महिलाएं और पुरुष अलग-अलग हिस्सा लेते हैं और इसमें 30-30 शॉट के 2 राउंड खेले जाते हैं।

25 मीटर पिस्टल: यह केवल वुमेंस इवेंट है और जिस तरह से 25 मीटर फायर पिस्टल इवेंट में होता है, यहां भी दो क्वालिफाइंग राउंड में 30 शॉट खेलने होते है।

10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट: इसके नियम लगभग 10 मीटर एयर राइफल इवेंट जैसे ही होते हैं। इस खेल में मेंस, वूमेंस और मिक्स्ड वर्ग शामिल हैं। मेंस और वूमेंस राउंड में हर खिलाड़ी 1 घंटा 15 मिनट के समय में 60 शॉट खेलता है और टॉप 8 खिलाड़ी क्वालिफाई राउंड को पार कर आगे जाते हैं। मिक्स्ड टीम में हर साथी खिलाड़ी को 40-40 शॉट खेलने की अनुमति होती है जिसमें टॉप 5 टीमें आगे चलकर मेडल जीतने के लिए अपना माद्दा दिखाती है

शॉटगन:इवेंट और शूटिंग नियम

शॉटगन इवेंट स्कीट और ट्रैप नामक इवेंट दो भागो में विभाजित हैं जिनमें खिलाड़ी उड़ती वस्तु (क्ले) परनिशाना साधता है। दोनों ही इवेंट में पुरुष और महिला खिलाड़ी भाग लेते हैं और “ट्रैप” में मिक्स्ड टीमें भी भाग लेती हैं।

स्कीट इवेंट

इसमें दोनों पुरुष और महिला खिलाड़ी 8 अलग-अलग स्थानों से फायर करते हैं जिन्हें शूटिंग की भाषा में “स्टेशन” कहा जाता है। वहीं दूसरी तरफ क्ले दो जगहों से उड़ाई जाती है- शूटिंग रेंज की बाएं और दाएं हिस्से से। इन दोनों जगहों को “हाउस” कहा जाता है। रेंज के बाएं तरफ से उड़ाने वाली जगह को “हाई हाउस” और उड़ने वाली क्ले को “मार्क” कहा जाता है। इसी तरह रेंज के दाएं हिस्से को “लो हाउस” और क्ले को “पुल” कहा जाता है। हर एथलीट 25 बार निशाना साधता है और यह इवेंट कुल मिलाकर 3 दिनों तक चलता है। इस खेल में टॉप 6 खिलाड़ी मेडल जीतने की रेस में शामिल होते हैं।

ट्रैप: इस इवेंट में क्ले खिलाड़ियों के सामने 5 अलग-अलग जगहों से उछाली जाती है। मेंस और वूमेंस वर्ग के नियम “स्कीट” के नियमों जैसे ही होते हैं और मिक्स्ड टीम में हर साथी खिलाड़ी 25 शॉट के 3 राउंड खेलता है और कुल मिलाकर 75 शॉट हर खिलाड़ी के हिस्से में आते हैं। टॉप 6 टीमों को आगे जाने का मौका मिलता है जो कि मेडल जीतने के बेहद करीब होते हैं। वहीं डबल ट्रैप में एक समय में दो टारगेट छोड़े जाते हैं और दोनों को शूट करना होता है।हालांकि इसे अब ओलंपिक प्रोग्राम से हटा दिया गया है।

शूटिंग जिसमें हर निशानेबाज़ को मानसिक तौर पर एक दम तंदरुस्त और चौकन्ना रहना पड़ता है। मॉडर्न टाइम ओलंपिक खेल जो कि 1896 एथेंस में आयोजित हुए थे उसमे कुल मिलाकर 9 खेल रखे गए थे जिनमें से एक खेल शूटिंग भी था। यह कहना बिलकुल सही होगा कि ओलंपिक गेम्स के इतिहास में शूटिंग का महत्व देखते ही बनता है।



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Jyotsna Singh

Jyotsna Singh

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