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जाने मुस्लिम इलाके क्यों बने खतरनाक, हर बार मेडिकल टीम पर हो रहे हमले

देश के डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर देशनासियों की जान बचाने का जिम्मा उठाये हुए हैं। इनके इस त्याग के बाद भी स्वास्थ्य विभाग और पुलिस टीमों पर हमलें लगातार हो रहें हैं।

Vidushi Mishra
Published on: 16 April 2020 6:55 AM GMT
जाने मुस्लिम इलाके क्यों बने खतरनाक, हर बार मेडिकल टीम पर हो रहे हमले
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जाने मुस्लिम इलाके क्यों बने खतरनाक, हर बार मेडिकल टीम पर हो रहे हमले

नई दिल्ली: देश में कोरोना संक्रमण के मामले आए दिन बढ़ते ही जा रहें हैं। कोरोना संक्रमितों की संख्या 12000 का आंकड़ा पार कर चुकी है। जबकि 392 लोगों की जान भी जा चुकी है। लेकिन इसके बाद भी देश के डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर देशनासियों की जान बचाने का जिम्मा उठाये हुए हैं। इनके इस त्याग के बाद भी स्वास्थ्य विभाग और पुलिस टीमों पर हमलें लगातार हो रहें हैं। बुधवार को ही मुरादाबाद में कई लोगों ने भयंकर हमला किया, जिससे डॉक्टर सहित कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए हैं।

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आखिर हमले क्यों हो रहे हैं?

ये वाक्या कोई पहला ऐसा केस नहीं है, बल्कि इससे पहले मुरादाबाद ही नहीं बल्कि इंदौर, मेरठ सहित कई शहरों में इस महामारी के चलते हमलें हुए हैं। ऐसें में हमलों के बाद सवाल उठने लगे हैं कि कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच देश में एक के बाद एक शहर में स्वास्थ्य विभाग की टीम पर आखिर हमले क्यों हो रहे हैं?

ऐसी क्या वजह है या फिर मुस्लिम समुदाय के बीच कैसा भ्रम और डर है, जिसकी वजह से उन्हें डॉक्टरों की टीम पर भरोसा नहीं रहा और वो हमले और पथराव कर रहे हैं। इन सारे सवालों के जवाब को तलाशने के लिए मुस्लिम उलेमा और बुद्धजीवियों से बात करना ही सबसे सटीक उपाय लगा। बात करने पर एक बात साफ निकलकर आई की शिक्षा के अभाव और सरकार पर अविश्वास के चलते ऐसी घटनाएं हो रही हैं।

ये है कहना...

इस पर लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हिलाल अहमद ने कहा- मुस्लिम समुदाय में दुनियावी शिक्षा और साइंटिफिक टेम्परामेंट की कमी है। इसी अभाव की वजह से न तो वे कोरोना संक्रमण के खतरों को समझ पा रहे हैं कि वो अपने आपको, अपने परिवार को और मुल्क को कितना बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं।

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दीनी तालीम की कमी

इन हरकतों से मुस्लिमों की छवि को भी बिगाड़ रहे हैं। इन लोगों के पास दीनी तालीम की भी कमी है, वरना दुनिया भर के उलेमा लगातार कह रहे हैं कि इस तरह बीमारियों के दौरान खुद को सबसे अलग कर लो।

आगे वो कहते हैं कि मुस्लिम समुदाय में इस्लाम की बेहतर तालीम न पहुंचने की वजह ये है कि हमारे यहां जो उलेमा है वो अमूमन मदरसों से निकल कर आए हैं, उनके अंदर दुनियावी शिक्षा की कमी है और जो दीनी तालीम है वो भी पूरी तरह से मुकम्मल नहीं है।

ऐसे में उलेमा आधी कच्ची-आधी पक्की जानकारी दे रहे हैं और समाज को सही गाइडेंस नहीं मिल पा रही है, जिसकी वजह से मुस्लिम बस्तियों में ऐसी घटनाएं होती हैं और पूरे समाज को शर्मसार होना पड़ता है।

मुस्लिमों में सरकार के प्रति अविश्वास पैदा हुआ

प्रोफेसर हिलाल अहमद कहते हैं कि एनआरसी, एनपीआर और सीएए जैसे मुद्दों ने मुस्लिम समुदाय के ऊपर मनोवैज्ञानिक तौर पर असर डाला है कि सरकार उनकी नागरिकता छिनना चाहती है। इसकी वजह से मुस्लिमों में सरकार के प्रति अविश्वास पैदा हुआ है।

इसके साथ ही हाल ही में जिस तरह तबलीगी जमात की घटना के बाद कोरोना को मुस्लिम समुदाय के साथ जोड़ दिया गया, उसने मुस्लिम समुदाय के बीच सरकार को लेकर विश्वास को और भी कमजोर कर दिया है।

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सरकार ने भी उनके अविश्वास को खत्म करने की बजाय अड़ियल रुख अपनाया, जिसके वजह से मुस्लिम समुदाय को लगता है कि यह सब षड्यंत्र है और उन्हें बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। ऐसे में सरकार उन्हें भरोसा दिलाए कि आपके साथ कुछ गलत नहीं होगा।

लोगों में संदेह पैदा हो रहा

इसके बाद जमियत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव नियाज फारूकी ने कहा कि इसे हिंदू-मुस्लिम की तरह से मत देखिए। ऐसी घटनाएं हर जगह और हर समुदाय के बीच हो रही हैं। कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच लोग यह महसूस कर रहे हैं कि उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है और क्वारनटीन या फिर जेल में रखा जाएगा।

इसके अलावा पुलिस की ज्यादती के मामले भी सामने आए हैं, जिसकी वजह से लोगों में संदेह पैदा हो रहा है। इसीलिए लोग क्वारनटीन में जाने से डर रहे हैं। आज माहौल वैसा ही बन गया है जैसे आपातकाल के समय लोग पुलिस को देखकर भागते थे कि उन्हें ले जाकर नसबंदी कर देंगे।

मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारूकी कहते हैं कि इसे हिंदू-मुस्लिम के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। लॉकडाउन के बीच इस तरह की घटनाएं देश भर में हो रही हैं, सरकार उनकी समस्याओं को न समझ रही है और न ही उन्हें कोई राय दे रही है।

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स्वाभाविक तौर पर शिक्षा की कमी

मुस्लिम समुदाय के बीच स्वाभाविक तौर पर शिक्षा की कमी है, जिसकी वजह से कुछ जगह गलतफहमी में ऐसी घटनाएं हुई हैं जिससे हम शर्मिंदा हैं। खासकर कोरोना संक्रमण के बीच जिस तरह से डॉक्टर और मेडिकल क्षेत्र में लगे लोग तो हमारे लिए मसीहा हैं, इनके साथ किसी तरह के कोई गलत व्यवहार को जायज नहीं ठहराया जा सकता है।

इन्ही के कारणों से मुस्लिम समुदाय के लोग स्वास्थ्य विभाग और पुलिस टीम को अपना शिकार बना रही हैं, और उन्हें उनके कामों में सहयोग नहीं दे रही हैं। इस संकटग्रस्त स्थिति में देश के हर नागरिक का योगदान देश के अच्छे के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसें में मुस्लिम समुदायों की ये हरकतें देश को एक बड़े संकट में डाल रही हैं।

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