TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

अब हाथ नहीं मल सकते: सबने नजरंदाज की महामारी की चेतावनी, कीमत चुकानी पड़ेगी

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की जो कीमत दुनिया को चुकानी पड़ी है उसके बराबर के पैसे को अगर तैयारियों पर खर्च किया जाए तो 500 साल लग जायेंगे। इस रिपोर्ट को ग्लोबल प्रीपेयरेडनेस मॉनिटरिंग बोर्ड (जीपीएमबी) ने बनाया है।

Newstrack
Published on: 21 Sept 2020 5:22 PM IST
अब हाथ नहीं मल सकते: सबने नजरंदाज की महामारी की चेतावनी, कीमत चुकानी पड़ेगी
X
अब हाथ नहीं मल सकते: सबने नजरंदाज की महामारी की चेतावनी, कीमत चुकानी पड़ेगी

नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए सभी देशों के नेता कितने मुस्तैद थे इस विषय पर आई एक रिपोर्ट ने राजनेताओं की सामूहिक असफलता की आलोचना की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नेताओं को एक संक्रामक महामारी से लड़ने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दे दी गई थी लेकिन उसके बावजूद नेताओं से चूक हुई। रिपोर्ट में नेताओं को जोखिम का सामना कर रही दुनिया को अशांति की अवस्था में लाने का जिम्मेदार ठहराया गया है। दरअसल, ये चूक नहीं बल्कि जानबूझ कर की गयी गलती या मूर्खता है जिसका नतीजा आज पूरी दुनिया के अनगिनत लोगों को किसी न किसी रूप में भुगतना पड़ रहा है।

कोविड-19 की कीमत दुनिया को चुकानी पड़ी है

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की जो कीमत दुनिया को चुकानी पड़ी है उसके बराबर के पैसे को अगर तैयारियों पर खर्च किया जाए तो 500 साल लग जायेंगे। इस रिपोर्ट को ग्लोबल प्रीपेयरेडनेस मॉनिटरिंग बोर्ड (जीपीएमबी) ने बनाया है। इसके सह-संयोजक विश्व बैंक और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) हैं। डब्ल्यूएचओ के पूर्व महानिदेशक ग्रो हार्लेम ब्रूनलैंड इसके अध्यक्ष हैं जो इस समय डब्ल्यूएचओ पर निगरानी रखने वाली एक स्वतंत्र संस्था के भी अध्यक्ष हैं।

cost of corona-2

जीपीएमबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘तैयारी करने के लिए पर्याप्त वित्तीय और राजनीतिक निवेश नहीं किया गया और हम सब उसकी कीमत चुका रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ‘ऐसा नहीं है कि दुनिया को तैयारी के लिए कदम उठाने का मौका नहीं मिला। पिछले एक दशक में कई बार कदम उठाने की मांग की गई थी लेकिन कभी भी वो बदलाव नहीं किए गए जिनकी जरूरत है।

ये भी देखें: संघ लोक सेवा आयोग: UPSC को तो नफरत की आग से बचाइए, करिए भरोसा

कोरोना फैलने से चंद महीने पहले आयी थी रिपोर्ट

2019 में जीपीएमबी की रिपोर्ट चीन में कोरोना वायरस के सामने आने से कुछ महीने पहले जारी की गई थी और उसमें कहा गया था कि "सांस के जरिए असर करने वाले एक घातक रोगाणु की वजह से तेजी से फैलने वाली एक महामारी" का वास्तविक खतरा है। रिपोर्ट में चेतावनी भी दी गई थी कि ऐसी महामारी लाखों लोगों की जान ले सकती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर सकती है।

cost of corona-3

सामूहिक असफलता उजागर

इस साल की रिपोर्ट का शीर्षक है "ए वर्ल्ड इन डिसऑर्डर" और उसमें कहा गया है कि इसके पहले कभी भी विश्व के नेताओं को "एक विनाशकारी महामारी के खतरों के बारे में इतने स्पष्ट रूप से आगाह नहीं किया गया था", लेकिन इसके बावजूद वे पर्याप्त कदम उठाने में असफल रहे। रिपोर्ट में लिखा है कि कोविड-19 महामारी ने "महामारी निवारण, तैयारी और प्रतिक्रिया को गंभीरता से लेने और उसी हिसाब से उसे प्राथमिकता देने में हमारी सामूहिक असफलता" को उजागर कर दिया है।

ये भी देखें: किसानों के साथ धोखा: प्रियंका ने कहा सरकार की नीयत ठीक नहीं, कही ये बात

रिपोर्ट ने कहा है कि ‘रोगाणु हंगामे और अव्यवस्था में कामयाब होते हैं। कोविड-19 ने यह साबित कर दिया है।‘ साल भर पहले ही सरकारों के मुखियाओं के महामारी की तैयारी करने के लिए प्रतिबद्धता जताने और उसमें निवेश करने, स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने और वित्तीय जोखिम के लिए योजना बनाने वालों को एक विनाशकारी महामारी के खतरे को गंभीरता से लेने के लिए कहा गया था, लेकिन इनमें से किसी भी मोर्चे पर तरक्की नहीं की गई।

अगली महामारी, जिसका की आना तय है, और ज्यादा नुकसानदेह होगी

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नेतृत्व का अभाव मौजूदा महामारी को और उत्तेजित कर रहा है और ‘अगर कोविड-19 के सबक को सीखने और आवश्यक संसाधनों और प्रतिबद्धता के साथ इसकी रोकथाम करने में चूक हुई तो इसका मतलब होगा कि अगली महामारी, जिसका की आना तय है, और ज्यादा नुकसानदेह होगी।‘

cost of corona-4

रिपोर्ट में कहा गया है कि अनेक देशों में नेता शुरुआत में ही विज्ञान, साक्ष्य और बेस्ट प्रैक्टिस पर आधारित फैसले लेने में विलम्ब करते चले गए जिसकी वजह से लोगों में भरोसे की भरी दरार पड़ गयी। कोविड-19 से निपटने में पारदर्शिता और जवाबदेही सबसे महत्वपूर्ण हैं और जब सरकारें और नेता अपने वादों पर खरे नहीं उतारते हैं तो जनता का भरोसा ख़त्म हो जाता है। इससे स्थिति हाथ से निकल जाती है।

ये भी देखें: शिक्षक भर्ती पर ऐलान: जान लें सभी अभ्यर्थी, आरक्षण के तहत इतने पदों पर भर्तियाँ

अब हाथ नहीं मल सकते

डब्लूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधानोम ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि हम अब हाथ मल कर ये नहीं कह सकते कि कुछ जरूर करना होगा। अब देशों के लिए अपने हाथ गंदे करने और पब्लिक हेल्थ सिस्टम बनाने का समय है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि इस पैमाने की महामारी अब फिर कभी नहीं होगी।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story