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लॉकडाउन में फंसे मजदूर की दिल्ली में मौत, परिवार के पास नहीं दाह संस्कार के पैसे

गोरखपुर से एक दिल झकझोर देने वाली खबार सामने आ रही है। यहां के निवासी एक मजदूर की दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान मौत हो गई है।

Aradhya Tripathi
Published on: 21 April 2020 12:20 PM GMT
लॉकडाउन में फंसे मजदूर की दिल्ली में मौत, परिवार के पास नहीं दाह संस्कार के पैसे
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पूरे देश में कोरोना वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। आए दिन वायरस संक्रमितों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा इस वायरस पर काबू पाने के लिए सम्पूर्ण देश में 3 मई तक लॉकडाउन घोषित किया गया है। जिसके चलते पूरे देश में सिर्फ कुछ आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को छोड़ कर सारी सेवायें सुविधाएं व्यापार सब बंद है। जिसके चलते कई लोगों को खासी दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है। ऐसे में मजदूरों और गरीबों का तो जीवन ही दुश्वार हो गया है। इसी बीच गोरखपुर से एक दिल झकझोर देने वाली खबार सामने आ रही है। यहां के निवासी एक मजदूर की दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान मौत हो गई है।

आर्थिक तंगी के चलते पुतले का किया दाह संस्कार

कोविड-19 के प्रकोप पर काबू पाने के लिए सरकार ने 3 मई तक देश में लॉकडाउन की घोषणा कर रखी है। वैसे तो ये लॉकडाउन हम सबके जीवन की रक्षा के लिए लगाया गया है। लेकिन इस लॉकडाउन में मजदूर व गरीब तबके के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिसका एक मामला देखने को मिला यूपी के गोरखपुर में। दरअसल गोरख के एक मजदूर की दिल्ली में लॉकडाउन के दरमियान मौत हो गई। चूँकि मजदूर की मौत दिल्ली में हुई इस लिए मजदूर की मौत की खबर दिल्ली प्रशासन ने किसी तरह उसके परिवार तक पहुंचाई। दिल्ली प्रशासन ने मृतक मजदूर के शव का दाह संस्कार करने का संदेश भिजवाया है।

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लेकिन आलम ये है कि मजदूर का परिवार पैसों की तंगी के चलते उसका अंतिम संस्कार करने में सक्षम ही नहीं है। लेकिन दिल को झकझोर देने वाली बात तो ये है कि इस बात की जानकारी होते हुए भी कोई भी इस मजबूर असहाय परिवार की मदद के लिये आगे नहीं आया। आखिरकार बेबस परिवार द्वारा एक साल के बेटे से उसके पिता के प्रतीकात्मक पुतले का दाह संस्कार कराया। ये घटना सुनने के बाद अपने आप ही आँखों से आंसू बह जाते हैं। शर्म अहि ऐसे लोगों की मानवता पर।

घर वालों से नहीं हो पाया संपर्क

दरअसल चौरीचौरा जिले के डुमरी खुर्द गांव के सुनील दिल्ली के भारत नगर स्थित प्रताप बाग इलाके में किराये के मकान में रहते थे। जबकि गोरखपुर में सुनील की पत्नी पूनम, चार बेटियां और एक साल के बेटे के साथ गांव में रहती हैं। ऐसे में सुनील अपने परिवार की बेहतर जिंदगी के लिए दिल्ली में मजदूरी कर रहे थे। लेकिन 11 अप्रैल को उनकी तबीयत खराब हो गई थी। स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस ने उन्हें हिंदू राव अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां तबीयत बिगड़ने पर उन्हें सफदरगंज अस्पताल रेफर कर दिया गया।

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जहां इलाज के दौरान 14 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। बाद में पता चले कि इस बीच परिवार के लोग लगातार 3 दिनों से सुनील के फोन पर कॉल करते रहे। लेकिन फोन सुनील के कमरे में होने की वजह से उनसे संपर्क नहीं हो पाया। कमरे में फोन पड़े पड़े स्विच ऑफ़ हो गया। बाद में जब सुनील की मौत के बाद पुलिस ने उनके कमरे से उनका फोन लेकर उसे चार्ज किया तो सुनील की पत्नी का फोन आने पर उनकी बात हुई जिस पर पुलिस ने सुनील की मृत्यु की खबर दी हो पाई।

पत्नी के आगे परिवार के पालन पोषण की चिंता

दिल्ली पुलिस द्वारा आकर शव ले जाने की बात जब पत्नी से कही गई तो मृतक मजदूर की पत्नी ने शव मंगाने और उसका दाह संस्कार कर पाने में असमर्थता जताई। इसके बाद मजदूर की पत्नी ने तहसीलदार के जरिए यह संदेश भेजवाया और अंतिम संस्कार के बाद पति की अस्थियां किसी तरह घर भेजे जाने का भी अनुरोध किया है।

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फिलहाल दिल्ली पुलिस दाह संस्कार को लेकर पसोपेश में है, वहीं बेबस और लाचार मजदूर के परिवार ने उसके प्रतीकात्मक पुतले का दाह संस्कार कर दिया है। पत्नी पूनम के आगे अभी पूरे परिवार के भरण पोषण की चुनौती है। भविष्य के बारे में पूछने पर वह कहती हैं कि सरकार से मदद की उम्मीद है। चौंकाने वाली बात ये है कि इस बेबस और लाचार परिवार की सुध अभी तक किसी ने लेना मुनासिब नहीं समझा।

Aradhya Tripathi

Aradhya Tripathi

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