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Lalu Yadav Birthday: जब आडवाणी की गिरफ्तारी के लिए लालू यादव बने पत्रकार, देश में आ गया था सियासी भूचाल

Lalu Yadav Birthday: लालू के जन्मदिन के मौके पर राजधानी पटना में राबड़ी आवास से लेकर सभी चौक-चौराहों को पोस्टरों से पाट दिया गया है।

Anshuman Tiwari
Published on: 11 Jun 2023 7:51 AM IST
Lalu Yadav Birthday: जब आडवाणी की गिरफ्तारी के लिए लालू यादव बने पत्रकार, देश में आ गया था सियासी भूचाल
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Lalu Yadav Birthday (Pic Credit -Social Media)

Lalu Yadav Birthday: राजद मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन के मौके पर आज पूरे बिहार में विविध आयोजनों की तैयारियां की गई हैं। लालू के जन्मदिन के मौके पर राजधानी पटना में राबड़ी आवास से लेकर सभी चौक-चौराहों को पोस्टरों से पाट दिया गया है। चुनावी राजनीति से दूर होने के बावजूद लालू यादव बिहार की सियासत में महत्वपूर्ण धुरी बने हुए हैं। मौजूदा समय में बिहार की सियासत में लालू यादव के दो बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी यादव सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं मगर राजद नेता आज भी लालू यादव का ही नाम जपने में जुटे रहते हैं।

अपने लंबे सियासी जीवन के दौरान लालू ने कई ऐसे काम किए जिनकी आज भी खूब चर्चा की जाती है। बिहार में अपने मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान 1990 में उन्होंने ऐसा कदम उठाया था जिससे देश में सियासी भूचाल आ गया था। राम मंदिर आंदोलन के दौरान 1990 में रथयात्रा निकालने वाले लालकृष्ण आडवाणी को लालू ने बिहार में गिरफ्तार कर लिया था। आडवाणी की गिरफ्तारी के लिए लालू ने पत्रकार की भूमिका तक निभाई थी। लालू के इस कदम के बाद भाजपा के समर्थन वापस लेने से केंद्र में सत्तारूढ़ वीपी सिंह की सरकार भी गिर गई थी।

जमीन से जुड़े नेता का कामयाबी का सफर

बिहार के गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में 11 जून 1947 को पैदा होने वाले लालू यादव ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गोपालगंज से ही की। बाद में आगे की पढ़ाई के लिए वे पटना पहुंचे। पटना के बी एन कॉलेज से उन्होंने लॉ में स्नातक और राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। लालू यादव जमीन से जुड़े उन गिने-चुने नेताओं में हैं जिन्होंने अपनी किस्मत को खुद बनाया है। जेपी के आंदोलन से निकले लालू यादव महज 29 साल की उम्र में 1977 में पहली बार सांसद बनने में कामयाब हुए थे।

रेल मंत्री के रूप में काम से चौंकाया

इसके बाद वे लगातार कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते रहे। 10 मार्च 1990 को वे पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने और दूसरी बार 1995 में मुख्यमंत्री बने। 1997 में लालू प्रसाद जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल पार्टी बनाकर उसके अध्यक्ष बने। लालू प्रसाद ने अपने सियासी जीवन के दौरान आठ बार विधानसभा का चुनाव जीता।

2004 में वे पहली बार बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता भी बने।

बाद में यूपीए की सरकार बनने पर उन्होंने 2004 से 2009 तक केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में भी काम किया। रेलवे को मुनाफे में लाकर उन्होंने सबको चकित कर दिया। रेल मंत्री के रूप में बिना किराया बढ़ाए उन्होंने रेलवे का कायाकल्प भी कर डाला। हालांकि बाद में चारा घोटाले में सजा सुनाए जाने के बाद उनका सियासी जीवन भंवर में फंस गया।

1990 में रथयात्रा से गरमाया था माहौल

1990 में जब लालू प्रसाद यादव पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उस समय अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के मुद्दे पर पूरे देश का माहौल गरमाया हुआ था। इसी बीच भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकालने की घोषणा कर दी थी। देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस रथयात्रा के प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह से लेकर यूपी और बिहार सरकार तक को रथयात्रा रोकने की चुनौती दे डाली थी।

आडवाणी ने 1990 में 25 सितंबर को सोमनाथ से अपनी रथयात्रा शुरू की थी और यह रथयात्रा 30 अक्टूबर को अयोध्या में समाप्त होनी थी। आडवाणी की रथयात्रा जब बिहार पहुंची तो लालू प्रसाद यादव ने इस यात्रा को रोकने की ठान रखी थी। लालू की अगुवाई में बिहार सरकार ने इसे रथयात्रा को रोकने की पूरी योजना तैयार कर रखी थी।

लालू ने कर रखी थी गिरफ्तारी की प्लानिंग

आडवाणी की रथयात्रा की शुरुआत धनबाद से होने वाली थी और बिहार सरकार की ओर से उन्हें सासाराम में गिरफ्तार करने की योजना तैयार की गई थी मगर इस योजना के लीक हो जाने के कारण इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।अधिकारियों के बीच मतभेद के कारण धनबाद में भी आडवाणी की गिरफ्तारी संभव नहीं हो सकी।

समस्तीपुर भी आडवाणी की रथयात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव था और लालू यादव ने किसी भी सूरत में आडवाणी की रथयात्रा को रोकने का फैसला कर रखा था। रथयात्रा के दौरान आडवाणी समस्तीपुर के सर्किट हाउस में रुके थे और लालू यादव ने अधिकारियों को उन्हें कहीं भी न जाने देने का निर्देश दिया।

आडवाणी के साथ समर्थकों का भारी हुजूम होने के कारण उस समय आडवाणी की गिरफ्तारी किया जाना मुश्किल था। गिरफ्तारी के दौरान समर्थकों के उग्र हो जाने का खतरा था। इस कारण लालू यादव ने गिरफ्तारी के लिए इंतजार करने का फैसला किया।

लालू ने पत्रकार बनकर किया फोन

लालू प्रसाद यादव आडवाणी के गिरफ्तारी को किसी भी सूरत में टालने के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने रात करीब दो बजे पत्रकार बनकर सर्किट हाउस फोन किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि आडवाणी के साथ कौन-कौन है।

इस पर आडवाणी के सहयोगी ने जानकारी दी कि वे कमरे में सो रहे हैं और लगभग सारे समर्थक जा चुके हैं। लालू यादव को आडवाणी की गिरफ्तारी का यह सबसे उचित समय लगा और उन्होंने इसमें तनिक भी देरी नहीं की। 23 अक्टूबर 1990 को आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया।

गिरफ्तारी के बाद देश में सियासी भूचाल

आडवाणी की रथयात्रा को 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचना था मगर उससे पूर्व वही 23 अक्टूबर को बिहार में उनकी गिरफ्तारी से देश में देश की सियासत में भूचाल आ गया था। उस समय केंद्र में भाजपा के समर्थन से वीपी सिंह की सरकार चल रही थी और आडवाणी की गिरफ्तारी से भाजपा में काफी नाराजगी पैदा हो गई। भाजपा ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया। लालू प्रसाद यादव की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद केंद्र में वीपी सिंह की सरकार गिर गई थी।

केंद्र में वीपी सिंह की सरकार भले ही गिर गई मगर देश की सियासत में लालू यादव की ओर से उठाए गए इस कदम ने उन्हें काफी चर्चित बना दिया। अभी दो दिन पूर्व बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने उस घटना को याद करते हुए कहा कि जिस तरह लालू यादव ने आडवाणी का रथ रोका था, उसी तरह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रथ रोकने में कामयाब होंगे।



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Anshuman Tiwari

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