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ताजा दिल्ली हिंसा का दर्द: तबाह हो गई लोगों की जिंदगी, हुई कई मौतें और बर्बादी

बीते साल नागरिकता संशोधन विधेयक कानून(CAA) को लेकर दिल्ली में भीषण विरोध-प्रदर्शन जारी था। जिसने एकदम से दंगे का रूप धारण कर लिया था। राजधानी दिल्ली में इसके विरोध और समर्थन में कई इलाकों में लोग आमने-सामने आ गए थे, जहां हिंसा शुरू हो गई थी।

Vidushi Mishra
Published on: 24 Feb 2021 1:54 PM IST
ताजा दिल्ली हिंसा का दर्द: तबाह हो गई लोगों की जिंदगी, हुई कई मौतें और बर्बादी
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सीएए(CAA) के विरोध में दंगें से पीड़ित रिजवाना का सबकुछ छीन गया था। यहां हुए दंगे में दंगाइयों ने उनके घर को फूंक दिया था।

नई दिल्ली। पिछले साल 2020 फरवरी में नागरिकता संशोधन विधेयक कानून(CAA) को लेकर दिल्ली में भीषण विरोध-प्रदर्शन जारी था। जिसने एकदम से दंगे का रूप धारण कर लिया था। राजधानी दिल्ली में इसके विरोध और समर्थन में कई इलाकों में लोग आमने-सामने आ गए थे, जहां हिंसा शुरू हो गई थी। इस हिंसा में कई बेगुनाहों की जिंदगी तबाह हो गई, उनके आशियानों से लेकर पूरा का पूरा कारोबार तक चौपट गया। वहीं कई दिनों तक इस दंगें में करीब 53 लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा बुरी तरह से घायल हो गए थे।

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दंगें का बहुत भयानक असर

साल 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली के खजूरी खास इलाके में सीएए(CAA) के विरोध में दंगें से पीड़ित रिजवाना का सबकुछ छीन गया था। यहां हुए दंगे में दंगाइयों ने उनके घर को फूंक दिया था। हालाकिं अब एक साल के बाद रिजवाना की जिंदगी पटरी पर लौट आई है। पर इन दंगों का रिजवाना पर बहुत बुरा असर पड़ा था।

delhi caa फोटो-सोशल मीडिया

इस दंगें में दिल्ली के शिव विहार का एक निजी स्कूल भी बीते सालों सीएए को लेकर शिकार हो गया था। बीते साल 26 फरवरी 2020 को दंगाइयों ने स्कूल में जमकर तोड़फोड़ की थी और आग लगा दी थी। और स्कूल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था।

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राजधानी से रौनक और खुशियां गायब

राजधानी में दंगाइयों ने शिव विहार इलाकों में ना केवल गाड़ियों के शोरूम बल्कि दुकानों और लोगों के घरों पर भी हमला किया था और उसमें आग लगा दी थी। सीएए (CAA) को लेकर राजधानी दिल्ली में हुए दंगे का दंश सबसे ज्यादा उत्तर पूर्वी दिल्ली को ही झेलना पड़ा था।

यहां बाजारों से लेकर सड़कों तक को उपद्रवियों ने इस कदर नुकसान पहुंचाया था, बीते साल इन्ही दिनों में इन इलाकों की रौनक और खुशियां गायब हो गईं थी। लोग डर-डर कर अपना जीवन व्यतीत करते थे।

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Vidushi Mishra

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