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किसान बहिष्कारः भाजपा के लिए खतरे की घंटी है संजीव बालियान का विरोध

केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी नये कृषि कानूनों पर किसानों के आक्रोश को समझने में लगातार गलती कर रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और मुस्लिम्स को लड़ाकर जिस तरह भाजपा ने जीत हासिल की थी इस बार उसे मुंह की खानी पड़ सकती है क्योंकि जाट और मुस्लिम किसानों के मसले पर एक हो चुके हैं।

SK Gautam
Published on: 24 Feb 2021 7:19 AM GMT
किसान बहिष्कारः भाजपा के लिए खतरे की घंटी है संजीव बालियान का विरोध
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किसान बहिष्कारः भाजपा के लिए खतरे की घंटी है संजीव बालियान का विरोध

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: किसान नेता नरेश टिकैत के भाजपा नेताओं का विरोध करने के एलान के दूसरे दिन ही केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, विधायक उमेश मलिक और कई अन्य नेताओं की किसानों से झड़प हो गई जबकि वह जाट बहुल गांव में किसानों की नब्ज टटोलने गए थे। गौरतलब है कि भाजपा जिला पंचायत चुनाव से पहले अपने जाट मतदाताओं को साथ लाना चाहती है और इसी लक्ष्य के लिए उसने भाजपा नेताओं से अपने अपने क्षेत्र में जाकर किसानों को समझाने को कहा है। लेकिन उनका सामना किसानों के बहिष्कार से हो रहा है। गौरतलब है कि पिछले चुनाव में इस क्षेत्र में 26 में से 25 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। लेकिन इस बार ये दोहरा पाना मुमकिन दिखाई नहीं दे रहा है।

संजीव बालियान को किसानों के बहिष्कार का सामना करना पड़ा

हालांकि कार्यक्रम पगड़ी रस्म का बताया जा रहा है जिसमें संजीव बालियान श्रद्धांजलि देने गए थे लेकिन उन्हें किसानों के बहिष्कार का सामना करना पड़ गया। अब केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान आरोप लगा रहे हैं कि सोरम में झड़प विरोधी पार्टी के नेताओं द्वारा की गई सुनियोजित साजिश थी और वह दावा करते हैं कि लोगों को एक मस्जिद के माध्यम से घोषणा करके उकसाया गया था।

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महत्वपूर्ण बात यह है कि केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी नये कृषि कानूनों पर किसानों के आक्रोश को समझने में लगातार गलती कर रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और मुस्लिम्स को लड़ाकर जिस तरह भाजपा ने जीत हासिल की थी इस बार उसे मुंह की खानी पड़ सकती है क्योंकि जाट और मुस्लिम किसानों के मसले पर एक हो चुके हैं। दंगे के चलते दोनो समुदायों के बीच जो खाई बन गई थी उसे नये कृषि कानूनों ने पाट दिया है।

किसान नेता नरेश टिकैत का ऐलान

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े किसान नेता नरेश टिकैत पहले ही एलान कर चुके हैं कि किसान अपने क्षेत्र में भाजपा नेताओं को घुसने नहीं देंगे उनका विरोध किया जाएगा और जो भी भाजपा के नेताओं को बुलाएगा उसे सौ कार्यकर्ताओं का भोजन देना होगा।

संजीव बालियान का आरोप है "समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के 10-12 परिवार के सदस्यों ने भैंसवाल में मेरे साथ दुर्व्यवहार किया। जब मैं एक समारोह में भाग लेने के लिए सोरम में था तब 5-6 लोकदल के कार्यकर्ताओं ने वही किया। मेरे जाने के बाद, एक झड़प हुई। बाल्यान ने कहा कि मस्जिद से मेरे खिलाफ एकजुट होने की घोषणा की गई। उन्होंने झड़प की जांच करने का आग्रह किया है।

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सोरम गांव "सरव खाप" का मुख्यालय

सोरम गांव "सरव खाप" का मुख्यालय है और इस क्षेत्र में जाटों का बोलबाला है। नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान एकजुट हो चुके हैं। किसानों के तेवर दिन पर दिन तीखे होते जा रहे हैं। भाकियू नेता राकेश टिकैत ने करनाल महापंचायत में कहा है कि मोदी सरकार को तब तक चैन से नहीं बैठने देंगे जब तक किसान मांगें पूरी नहीं कर देते। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कृषि कानूनों के विरोध में किसानों की लगातार "महापंचायत" हो रही हैं।

रविवार को जिस लिसाढ़ गांव में बीजेपी के नेता गए थे वो खाप पंचायत नेता बाबा हरिकिशन का गांव है। बाबा की इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ है। हरिकृष्ण का झुकाव बेशक भाजपा की ओर हो लेकिन अपने समुदाय से वह अलग नहीं जा सकते हैं। बालियान को पहले भी इस क्षेत्र से संदेश मिला था कि तीनों कृषि कानून रद करवाएं। संजीव बालियान का कहना है कि उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया हुआ है कि उनकी शिकायतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

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भाजपा नेताओं को गांव में घुसने नहीं देंगे

किसान सबसे ज्यादा आहत भाजपा नेताओं द्वारा उनके नेताओं को आतंकवादी और देशद्रोही कहे जाने से निराश हैं। मुजफ्फरनगर के एक नेता का कहना है कि अगर भाजपा नेता बात करना चाहते हैं, तो पहले पार्टी से इस्तीफा देकर आएं। उन्हें हमारे साथ हमारे जैसा ही रहना होगा। एक अन्य गांव के लोगों का कहना है कि हम भाजपा नेताओं को गांव में घुसने नहीं देंगे। जब तक कानून वापस नहीं हो जाते। अगर भाजपा को कुछ कहना है तो संयुक्त किसान मोर्चा से बात करे।

खुद संजीव बालियान के गांव के लोगों का कहना है कि जाट भाजपा के साथ रहे लेकिन इस बार हालात बदल गए हैं। हम बालियान को उनके गांव में घुसने से रोक नहीं सकते हैं। लेकिन हम खुश नहीं हैं।

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