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Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता लागू करने पर फिलहाल कोई फैसला नहीं, बोले कानून मंत्री किरण रिजिजू
Uniform Civil Code: देश के कानून मंत्री किरण रिजिजू ने समान नागरिक संहिता पर कहा, कि समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने पर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है।
Uniform Civil Code: देश के कानून मंत्री किरण रिजिजू (Kiran Rijiju) ने समान नागरिक संहिता पर गुरुवार (02 फ़रवरी) को बड़ी बात कही। कानून मंत्री ने कहा, कि समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने पर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है। आने वाले समय में सरकार अगर सोचती है तो जानकारी दी जाएगी।
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को राज्यसभा में ये जानकारी दी। कानून मंत्री ने बताया कि केंद्र ने देश में समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है।
कानून मंत्री से UCC में पूछा गया था सवाल
दरअसल, किरण रिजिजू ने समान नागरिक संहिता से जुड़े एक सवाल के जवाब में ये बातें बतायी। कानून मंत्री से पूछा गया था कि, 'क्या सरकार के पास समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक पारित करने की कोई योजना है?' इसी प्रश्न का उत्तर मंत्री ने दिया।
फिलहाल कोई निर्णय नहीं
रिजिजू ने कहा, विधि आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, समान नागरिक संहिता (UCC) से संबंधित मामला 22वें विधि आयोग द्वारा विचार के लिए लिया जा सकता है। इसलिए, समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन पर कोई फ़िलहाल निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने आगे जवाब दिया कि सरकार ने भारत के 21वें विधि आयोग से UCC से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जांच करने और उस पर सिफारिशें करने का अनुरोध किया था।
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जानें क्या है समान नागरिक संहिता?
समान नागरिक संहिता यानी Uniform Civil Code का मतलब होता है, भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना। भले ही वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता (UCC) में शादी, तलाक तथा जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।
जजों की नियुक्ति से जुड़े सवाल पर ये बोले रिजिजू
'क्या सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया में अपना प्रतिनिधि नियुक्त करने की दिशा में बढ़ रही है और क्या सरकार न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) जैसा एक स्वतंत्र नियामक स्थापित करने पर विचार कर रही है? इस सवाल पर कानून मंत्री रिजिजू ने संसद को बताया कि, 'सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया को 6 जनवरी, 2023 को अपने हालिया संचार में सरकार ने विभिन्न न्यायिक घोषणाओं के मद्देनजर एमओपी को अंतिम रूप देने की आवश्यकता पर बल दिया है। अन्य बातों के साथ-साथ सुझाव दिया है कि खोज-सह-सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों तथा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में मूल्यांकन समिति में भारत सरकार द्वारा नामित प्रतिनिधि शामिल होना चाहिए।'
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कानून मंत्री ने कहा, 'उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए समिति में भारत सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि और उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के तहत राज्य सरकार (सरकारों) के एक प्रतिनिधि को मुख्यमंत्री द्वारा नामित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, यह प्रस्तावित किया गया है कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए मुख्यमंत्री द्वारा अनुशंसित नाम खोज-सह-मूल्यांकन समिति द्वारा कॉलेजियम के बाहर के वरिष्ठ न्यायाधीशों और पात्र उम्मीदवारों से लिए गए नामों के साथ प्राप्त किए जा सकते हैं। प्रस्तावित सचिवालय द्वारा बनाए गए डेटाबेस (न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं) से लिया गया।'