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यहां सबसे छोटी लड़की को नहीं भेजते हैं ससुराल, जानकर दंग रह जाएंगे

हमारे समाज को पुरुष प्रधान कहा जाता है। अधिकतर पुरूष ही घर के सारे निर्णय लेते हैं। माता पिता की संपत्ति पर पुरुष ही अपना सबसे पहला हक जमाते हैं। आम तौर पर समाज में बेटियों को शादी करने के बाद लड़के के घर पर जाना पड़ता है और अपना पूरा जीवन वहीं पर बिताना पड़ता है।

Dharmendra kumar
Published on: 8 July 2019 8:18 PM IST
यहां सबसे छोटी लड़की को नहीं भेजते हैं ससुराल, जानकर दंग रह जाएंगे
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नई दिल्ली: हमारे समाज को पुरुष प्रधान कहा जाता है। अधिकतर पुरूष ही घर के सारे निर्णय लेते हैं। माता पिता की संपत्ति पर पुरुष ही अपना सबसे पहला हक जमाते हैं। आम तौर पर समाज में बेटियों को शादी करने के बाद लड़के के घर पर जाना पड़ता है और अपना पूरा जीवन वहीं पर बिताना पड़ता है।

भारत में जनजातियों के कानून और नियम अलग ही होते हैं। आज जहां केंद्र सरकार लड़कियों की शिक्षा और उनके विकास के लिए तरह-तरह की योजनायें चला रही है, वहीं एक तरफ लड़कियों के साथ इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, जिनके बारे में जानकर आपको यकीन नहीं होगा।

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आज मेघालय की गारो और खासी जनजातियों में अलग ही प्रकार का रिवाज चलता है। इन जनजातियों में आपको मातृसत्तात्मक पक्ष देखने को मिलता है। बेटियों के साथ ऐसा किया जाता है, जिसके बारे में जानकर आप हैरान हो जायेंगे।

दरअसल मेघालय में परिवार की सबसे छोटी बेटी को किशोरावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही, उसके माता-पिता उसे किसी अज्ञात स्थान पर छिपा देते हैं। यह जानने के बाद हर किसी को हैरानी होगी, लेकिन वहां के माता-पिता को इसमें अपनी बेटी की भलाई दिखती है।

मेघालय में सामान्यतौर पर जनजातियों की बहुलता है। वहां संपत्ति का अधिकार परिवार की बेटियों के पास ही होता है। परिवार अपनी किसी भी बेटी को अपना उत्तराधिकारी चुन सकता है, लेकिन आमतौर पर सबसे छोटी बेटी को ही संपत्ति का अधिकारी चुना जाता है।

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संपत्ति के लालच में बाहर से आए हुए लड़के परिवार की सबसे छोटी बेटी को अपने प्रेम जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं और शादी करके बाद में संपत्ति अपने कब्जे में ले लेते हैं। ऐसी स्थिति से बचने के लिए ही माता-पिता अपनी छोटी बेटी को तब तक छुपाकर रखते हैं जब तक कोई अच्छे परिवार का और उसकी पसंद का लड़का नहीं मिल जाता है।

हालांकि मेघालय महिला प्रधान प्रदेश है, इस वजह से वहां पर महिलाएं बेखौफ होकर कभी भी कहीं भी निकल सकती हैं। यहां जब कोई लड़की पैदा होती है तो परिवार में जश्न का माहौल रहता है। यहां के समाज में लड़कियों को अन्य भारतीय राज्यों से ज्यादा आजादी दी जाती है। केवल यही नहीं धार्मिक गतिविधियों में भी यहां महिलाओं का महत्वपूर्ण स्थान होता है।

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महिलाओं की संख्या ज्यादा होने के बाद भी यहाँ विधानसभा में महिलाओं की उपस्थिति मात्र 3 प्रतिशत ही है जो बहुत ही दुखद है। जानकारी के लिए आपको बता दें मेघालय में अगले महीने चुनाव होने वाले हैं।



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Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

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