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दोबारा लॉकडाउन से आफत: नई मुसीेबत के लिए तैयार देश, लागू होगा नया नियम

देशभर में महामारी से बिगड़ते हालातों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आज कुछ राज्य के मुख्यमंत्रियों से बात कर रहे हैं। ऐसे में कई राज्यों में एक बार फिर प्रतिबंध लगाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं।

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Published on: 24 Nov 2020 12:12 PM GMT
दोबारा लॉकडाउन से आफत: नई मुसीेबत के लिए तैयार देश, लागू होगा नया नियम
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देशभर में महामारी से बिगड़ते हालातों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आज कुछ राज्य के मुख्यमंत्रियों से बात कर रहे हैं।

नई दिल्ली। भारत के तमाम राज्यों में कोरोना महामारी की दूसरी लहर शुरू हो चुकी है। राजधानी दिल्ली इस समय कोरोना की तीसरी स्टेज से गुजर रही है। देशभर में महामारी से बिगड़ते हालातों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आज कुछ राज्य के मुख्यमंत्रियों से बात कर रहे हैं। ऐसे में कई राज्यों में एक बार फिर प्रतिबंध लगाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस दौरान कुछ राज्यों में प्रशासनिक प्रतिबंध और आंशिक कर्फ्यू लगा दिया गया है।

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लॉकडाउन लगा तो फिर क्या होगा

बीते कुछ हफ्तों से कई राज्यों से त्यौहार के चलते और उसके बाद भी भीड़-भाड़ वाली तस्वीरें सामने आई हैं। इन तस्वीरों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियम बड़े स्तर पर टूटते हुए नजर आए। इसी कारण कोरोना वायरस के दोबारा संक्रमण तेजी से फैलने का खतरा दिन प्रति दिन बढ़ता दिखाई दे रहा है। हालातों को देखते हुए सवाल उठता है कि यदि देश में इस बार फिर लॉकडाउन लगा तो फिर क्या होगा?

नवंबर यानी दिवाली और त्योहारों के इस महीने के बीतने के बाद भी बाजारों में जबरदस्त भीड़ नजर आ रही है। साथ ही शादियों और लगनों का सीजन शुरू हो गया है। जिसका असर सीधा खरीदारी पर नजर आया है।

Corona फोटो-सोशल मीडिया

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देश में नया लॉकडाउन लागू

अब यदि गूगल मोबिलिटी ट्रेंड के आंकड़ों पर ध्यान दें, तो बाजार अब भी कोविड से पहले के स्तर की खरीदारी तक नहीं पहुंच पाए हैं। इसके लिए 3 जनवरी से 6 फरवरी 2020 तक और लॉकडाउन के बाद 17 नवंबर तक 5 सप्ताह के आंकड़ों में तुलना की गई थी। इस बीच पता चला है कि दिवाली की शाम खरीदारी सीमा पर थी। हालाकिं यह जनवरी से फरवरी के दौरान 5 हफ्ते के आंकड़ों से 17 प्रतिशत कम रही।

ऐसे में अब कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अगर देश में नया लॉकडाउन लागू होता है तो देशभर के तमाम ऐसे सेक्टर तबाह हो जाएंगे, जो अब तक पटरी पर नहीं आ पाए हैं। ऐसे में अगर डिमांड और सप्लाई प्रभावित होगी, तो उसका सीधा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इसके साथ ही, लोगों की आय और व्यय का हिसाब-किताब भी पूरी तरह से बिगड़ जाएगा।

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