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लॉकडाउन में फंसे श्रमिकों के लिए रेलवे ने उठाया ऐसा कदम, हर तरफ हो रही चर्चा
भारतीय रेलवे ने गत एक मई से 350 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियां संचालित की है और कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाये गये लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे 3.6 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके गृह राज्य पहुंचाया है।
नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने गत एक मई से 350 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियां संचालित की है और कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाये गये लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे 3.6 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके गृह राज्य पहुंचाया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि बीच की बर्थ किसी को भी आवंटित नहीं की जा रही है। रेलवे ने अभी तक विशेष ट्रेन संचालित करने में आई लागत की घोषणा नहीं की है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि एक ट्रेन संचालित करने की लागत 80 लाख रुपये है। इससे पहले सरकार ने कहा था कि सेवाओं में आने वाले खर्च को राज्य के साथ 85:15 के अनुपात में बांटा जाएगा।
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अधिकारी ने कहा कि जहां 263 ट्रेनें पहले ही अपने गंतव्य स्थल पर पहुंच चुकी हैं वहीं 87 पहुंचने वाली हैं। इसके अलावा 46 ट्रेनों का संचालन किया जाना है। हर श्रमिक ट्रेन में 24 कोच हैं। हर कोच में 72 सीटे हैं। हालांकि सामाजिक दूरी को बनाए रखने के लिए एक कोच में केवल 54 लोगों को बैठने की इजाजत है।
जब से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की शुरुआत हुई है तब से गुजरात के बाद केरल ने इसका सबसे ज्यादा उपयोग किया है। वहीं सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश से हैं।
विपक्षी पार्टियों ने विशेष ट्रेन संचालित करने के लिए पैसे लेने की वजह से रेलवे की आलोचना की थी। वहीं जारी किए दिशा-निर्देश में रेलवे ने कहा है कि ट्रेनें केवल तभी चलेंगी जब उसमें 90 प्रतिशत यात्री होंगे और राज्य टिकट का किराया इकट्ठा करेंगे।