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लव जिहाद पर रोक नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, सरकारों को नोटिस जारी

उत्तर प्रदेश सरकार ने धर्म परिवर्तन से जुड़े एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी। इसके तहत जबरन धर्म परिवर्तन कराने, लालच देकर या शादी का झांसा देकर धर्म बदलवाने वालों को कड़ी सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

SK Gautam
Published on: 6 Jan 2021 7:49 AM GMT
लव जिहाद पर रोक नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, सरकारों को नोटिस जारी
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लव जिहाद पर रोक नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार, सरकारों को नोटिस जारी

नई दिल्ली: इस समय देश में लव जिहाद का मुद्दा गरमाया हुआ है जिसको लेकर उत्तर प्रदेश लव जिहाद से जुड़े अध्यादेश के मसले पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सर्वोच्च अदालत ने इस अध्यादेश पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड की सरकार को भी लव जिहाद से जुड़े अध्यादेश को लेकर नोटिस जारी किया है।

राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर उनका पक्ष मांगा गया

सुप्रीम कोर्ट ने अब इन अध्यादेशों की संवैधानिकता को परखेगा, यही कारण है कि राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर उनका पक्ष मांगा गया है। बुधवार को अदालत में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि पहले ही इस मामले में हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है। जिसपर अदालत ने हाईकोर्ट ना जाकर सीधे यहां आने का कारण पूछा।

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याचिकाकर्ता ने कहा कि अध्यादेश पर तुरंत रोक लगा दी जाए

याचिकाकर्ता द्वारा हाईकोर्ट की बजाय सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका देने पर अदालत ने आपत्ति जताई। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि इस अध्यादेश पर तुरंत रोक लगा दी जाए, इसकी आड़ में अंतरधार्मिक विवाह करने वाले लोगों को परेशान किया जा रहा है। लोगों को शादियों से ही उठा लिया जा रहा है।

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उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश लागू कर चुका है कानून

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार ने धर्म परिवर्तन से जुड़े एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी। इसके तहत जबरन धर्म परिवर्तन कराने, लालच देकर या शादी का झांसा देकर धर्म बदलवाने वालों को कड़ी सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

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उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश ने भी ऐसा ही एक अध्यादेश लागू किया था और अपने यहां पांच लाख के जुर्माने, दस साल तक की सजा का प्रावधान रखा था। अन्य कई भाजपा शासित राज्यों में इस तरह के कानून लाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। हालांकि, कई विपक्षी पार्टियों, समाज के अलग-अलग तबकों ने इसपर आपत्ति जाहिर की है।

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