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चंद्रग्रहण पर बड़ी खबर: आपको करना होगा लंबा इंतजार, ऐसा रहेगा माहौल

5 जुलाई को चंद्रग्रहण पड़ रहा है। जुलाई माह के पूर्णिमा को बक मून, थंडर मून, वर्ट मून, हेय मून कहा जाता है । किन्तु यह चन्द्र ग्रहण की घटना दिन के समय घटित होगी इससे ये घटना भारत वर्ष में नहीं देखी जा सकेगी ।

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Published on: 4 July 2020 4:16 PM IST
चंद्रग्रहण पर बड़ी खबर: आपको करना होगा लंबा इंतजार, ऐसा रहेगा माहौल
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लखनऊ। 5 जुलाई को चंद्रग्रहण पड़ रहा है। जुलाई माह के पूर्णिमा को बक मून, थंडर मून, वर्ट मून, हेय मून कहा जाता है । इस कारण इस माह की 5 तारीख को दिन में 08:37:23 से पनंब्रल चन्द्र ग्रहण का आरंभ होगा जो कि अगले 2 घंटे 45 मिनट तक यानि 5 जुलाई को 11:22:23 तक चलता रहेगा । इस प्रकार ये उप छायी चन्द्र ग्रहण कुल 02 घंटे 45 मिनट तक चलता रहेगा ।

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थंडर मून इक्लिप्स की घटना

किन्तु यह चन्द्र ग्रहण की घटना दिन के समय घटित होगी इससे ये घटना भारत वर्ष में नहीं देखी जा सकेगी ।

लिहाजा भारत वर्ष में थंडर मून इक्लिप्स की घटना खगोल प्रेमी नहीं देख पाएंगे ।

भारत वर्ष में चन्द्रमा की पूर्णिमा सुबह 10:14 मिनट पर है । मगर चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य एक सीधी रेखा में उससे पूर्व ही आ जाएंगे । यही कारण है कि चन्द्रमा का उपच्छाई चन्द्र ग्रहण की घटना घटित हो रही है । इस उप छाई चन्द्र ग्रहण का अधिकतम अवस्था दिन में 10: 01:11 पर होगा ।

चन्द्र ग्रहण की स्तिथि तब बनती है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी रेखा में आ जाता है । चूंकि चन्द्रमा का परिक्रमा पथ पृथ्वी के सापेक्ष 5° का झुकाव लिए हुए है, अतः हमें हर पूर्णिमा को चन्द्र ग्रहण देखने को नहीं मिलता।

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पूर्ण चन्द्र ग्रहण

सरल शब्दों में अगर कहे तो चन्द्रमा, पृथ्वी एवम् सूर्य जब एक ही तल में और ऐक सीधी रेखा में हो तो पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है । जिससे इस दिन पूर्ण चन्द्र ग्रहण होता है । मगर चूंकि पृथ्वी की छाया को दो हिस्सो में विभाजित किया जा सकता है । १. प्राच्छाया २. उप छाया ।

प्रच्छाया के क्षेत्र में सूर्य का विकिरण पूर्ण रूप से अवरुद्ध हो जाता है । उप छाया के क्षेत्र में सूर्य का प्रकाश पूर्ण रूप से अवरुद्ध नहीं हो पाता । यदि प्रक्छाया अगर चन्द्रमा पर पड़े तो पूर्ण या आंशिक चंद्रग्रहण और उप छाया अगर चन्द्रमा पर पड़े तो उप छाई चन्द्र ग्रहण कहलाता है ।

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क्षेत्रों से ये ग्रहण देखा जा सकता

दक्षिण पूर्व यूरोप, अफ्रीका, साउथ अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, अंटार्टिका और अमेरिका के क्षेत्रों से ये ग्रहण देखा जा सकता है ।

चूंकि माह जुलाई की पूर्णिमा को थंडर मून भी कहा जाता है अतः ये चन्द्र ग्रहण थंडर चंद्रग्रहण या बक चन्द्र ग्रहण कहलाएगा ।यदि हम एक दिन पूर्व में के चन्द्रमा का भी अवलोकन करते है तो पेनंब्राल चन्द्र ग्रहण को आसानी से पहचान सकेंगे ।

वास्तव में उप छाई चंद्रग्रहण को नंगी आंखों देखने पर चन्द्र ग्रहण का आरंभ एवम् अंत को नहीं समझा जा सकता है । किन्तु जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से पृथ्वी की उप छाया में आ जाएगा तब हम चन्द्रमा के प्रकाश में आए हुए अंतर को आसानी से देख पाते है ।

चन्द्र ग्रहण का इंतजार

चूंकि भारत में इस चंद्रग्रहण को देखने का कोई अवसर नहीं है इसीलिए भारत के खगोल प्रेमी 30 नवंबर 2020 के चन्द्र ग्रहण का इंतजार कर रहे है । ये चन्द्र ग्रहण बीवर लुनार इकलिप्स या ओक मून इकलीप्स कहलाएगा ।

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वर्ष 2009 को दोबारा से रिपीट कर रहा है वर्ष 2020 । क्योंकि वर्ष 2009 में चन्द्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण और फिर चन्द्र ग्रहण पड़ा था जोकि ऐक महीने के समय में तीन ग्रहण थे ।

वर्ष 2009 में भी एक माह की अवधि में तीन ग्रहण की घटना घटित हुई थी जो कि क्रमशः प्रथम चन्द्रग्रहण दिनांक 07.07.2009, द्वितीय पूर्ण/आंशिक सूर्यग्रहण दिनांक 22.07.2009 एवं तृतीय चन्द्रगहण दिनांक 06.08.2009 को थे।

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इस प्रकार एक माह की अवधि में तीन ग्रहण की घटना लगभग 11 वर्ष पश्चात घटित हो रही है। जिसमे प्रथम चन्द्र ग्रहण 5-6 जून 2020 , सूर्य ग्रहण 21 जून 2020 और पुनः चन्द्र ग्रहण 05 जुलाई 2020 को होगा ।

चन्द्रमा पर पृथ्वी की छाया की गति लगभग 1 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है जिसके कारण पूर्ण चंद्रग्रहण लगभग 107 मिनट तक रह सकता है ।

बता दें, ये समस्त जानकारी इंदिरा गांधी नक्षत्र शाला, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद लखनऊ स्थित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा दी गई है।

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