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प्लास्टिक से बनेगा डीजल: इस राज्य में बनेगा पहला ऐसा कारखाना, मिलेगा इतना सस्ता

प्लास्टिक वातावरण को प्रदूषित करता हैं। लेकिन इस शहर में प्लास्टिक के कचरे का एक उपयोगी तरीका खोजा है। प्लास्टिक के कचरे से बीएस 6 मानक स्तर का डीजल बनाने का देश का पहला कारखाना विदिशा जिले के औद्योगिक क्षेत्र जम्बार बागरी में लगने जा रहा है।

Monika
Published on: 24 Nov 2020 2:14 PM GMT
प्लास्टिक से बनेगा डीजल: इस राज्य में बनेगा पहला ऐसा कारखाना, मिलेगा इतना सस्ता
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देश का पहला प्लास्टिक से डीजल बनाने का कारखाना, होगा इतना सस्ता

प्लास्टिक से होने वाले प्रदुषण से सभी परेशान हैं। ये वातावरण को प्रदूषित करता हैं। लेकिन इस शहर में प्लास्टिक के कचरे का एक उपयोगी तरीका खोजा है। प्लास्टिक के कचरे से बीएस 6 मानक स्तर का डीजल बनाने का देश का पहला कारखाना विदिशा जिले के औद्योगिक क्षेत्र जम्बार बागरी में लगने जा रहा है।

डीजल बनाने की शुरुआत जनवरी से

बता दें, कि यहां डीजल बनाने की शुरुआत जनवरी से होने वाली है। इसके पहले पिछले साल देहरादून में कचरे से डीजल बनाने का कारखाना लग चूका है, जहां पर बीएस 2 मानक स्तर का डीजल बनाया जा रहा है।

ये अनोखा आईडिया नेवी के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट मेजर विपिन त्रिपाठी कर हैं। इन्होंने दो साल की मेहनत के बाद एक मशीन तैयार की, जिसके माध्यम से वो प्लास्टिक से डीजल बनाएंगे। इस कारखाने को बनाने में एक करोड़ 86 लाख रुपये लग रहे हैं। जिसमें रोज़ तीन टन प्लास्टिक कचरे से 1500 लीटर डीजल तैयार करेंगे।

इतने रुपए में बिकेगा डीजल

बाज़ार में जहां इस डीजल का रेट 5 रुपए लीटर सस्ता होगा, वही अभी डीजल के रेट 78 रुपये लीटर चल रहे हैं। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट मेजर विपिन इस डीजल को 73 रुपये लीटर में बेचेंगे। उनके मुताबिक पेट्रोलियम मंत्रालय से एडवांस बायोफ्यूल श्रेणी में डीजल बनाने की अनुमति मिल गई है। अभी इस डीजल की बिक्री कारखाने से ही की जाएगी।

जिसके प्राथमिकता किसान होंगे। उनका कहना है कि वह सभी किसानों को ही यह डीजल उपलब्ध कराएंगे। जिसके चलते कारखाने में 60 लोगों को रोज़गार भी मिलेगा वही 20 लोग काम करेंगे तो 40 लोग उन्हें कचरा बेचेंगे। उन्होंने आगे बताया कि विदिशा शहर से 500 किलो कचरा रोज़ खरीदा जाएगा। साथ ही 2500 किलो रोज के कचरे की पूर्ति भोपाल और इंदौर शहर से की जाएगी।

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इन सभी वाहनों में कर सकेंगे उपयोग

विपिन त्रिपाठी ने बताया कि कधो तेल से ही प्लास्टिक बनाई जाती हैं। वे रिवर्स इंजीनियरिंग का उपयोग करते हुए प्लास्टिक के कचरे को कधो तेल में रूपान्तरित करेंगे। इसका उपयोग बाइक, कार, बस, ट्रक, ट्रैक्टर के अलावा सिंचाई पम्प साथ ही जनरेटर में भी किया जा सकेगा। इसका उपयोग भोपाल के ऑटो में कर चुके हैं।

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Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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