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मद्रास हाईकोर्ट ने अयोग्य विधायक से 21.58 लाख रुपये वापस करने के दिए आदेश
जसिटस पार्थीबान ने दलील को सही मानते हुए कहा कि निर्वाचित सदस्यों के लिए वेतन शब्द का प्रयोग होता भी है। तो भी यह कर्मचारियों को मिलने जैसा नहीं कहा जा सकता है।
मुंबई: मद्रास हाईकोर्ट ने एक पूर्व विधायक को जन प्रतिनिधि को के रूप में वेतन भत्तों के तौर पर लिए 21.58 लाख रूपये सरकारी खजाने में जमा कराने का आदेश दिया है। बता दें कि इस पूर्व विधायक को सात साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य करार देकर सदस्यता खत्म कर दी थी।
जस्टिस वी0 पार्थीबान की पीठ ने यह आदेश पूर्व विधायक पी0 वेलदुरई की याचिका पर दिया है। जिसमें उन्होंने राज्य विधानसभा सचिव की तरफ से जारी नोटिस खारिज करने की मांग की थी। नोटिस में सचिव ने वेलदुरई को 2006 से 11 के बीच विधायक के तौर पर लिए गये वेतन और अन्य भत्ते जुर्माना समेत 4 सप्ताह में लौटाने का आदेश दिया है।
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सरकारी ठकेदार होने के बावजूद बना था विधायक
वेलदुरई ने 2006 के विधानसभा चुनावों में तमिलनाडु की चेरनमहादेवी की सीट से जीतकर विधायक बना था। नामांकन के समय वेलदुरई सरकारी सड़क ठेकेदार था। जिसके चलते वह चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं था। एक शिकायत पर सुनवाई करते हुए सुपी्रम कोर्ट ने अप्रैल 2011 में वेलदुरई का निर्वाचन खारिज कर दिया था। इस आधार पर विधानसभा के सचिव ने वेलदुरई को 21.58 लाख वापस जमा कराने के साथ ही 201 दिन तक उसके सदन के कार्यवाही में आया प्रतिदिन का खर्च लौटाने के लिए नोटिस जारी किया। इस नोटिस के खिलाफ वेलदुरई ने हाईकोर्ट की शरण ली थी।
कोई वेतन भत्तों के लिए विधायक नहीं बनता
मद्रास हाईकोर्ट ने वेलदुरई की इस अपील को भी खारिज कर दिया जिस पर उन्होंने विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने के बदले वेतन भत्तों को कमाया था। राज्य सरकार की तरफ से पेश एडिशनल एडवोकेट जनरल एसआर राजगोपाल ने दलील दी कि कोई भी विधायक सांसद इसिलिए चुनाव में नहीं खड़ा होता कि उस पद पर निर्वाचित होने के लिए उसे वेतन मिलेगा।
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जसिटस पार्थीबान ने दलील को सही मानते हुए कहा कि निर्वाचित सदस्यों के लिए वेतन शब्द का प्रयोग होता भी है। तो भी यह कर्मचारियों को मिलने जैसा नहीं कहा जा सकता है।