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महाराष्ट्र की सियासत में बढ़ा सस्पेंस, अब इन दो दिग्गज नेताओं की अचानक मुलाकात
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना नेता संजय राउत के बीच हुई गुपचुप मुलाकात के एक दिन बाद ही राज्य के दो बड़े दिग्गजों की अचानक मुलाकात हुई।
अंशुमान तिवारी
मुंबई। महाराष्ट्र की सियासत में सस्पेंस लगातार बढ़ता जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना नेता संजय राउत के बीच हुई गुपचुप मुलाकात के एक दिन बाद ही राज्य के दो बड़े दिग्गजों की अचानक मुलाकात हुई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मुखिया शरद पवार रविवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिलने पहुंचे। 24 घंटे के भीतर राज्य के सियासी दिग्गजों के बीच हुई इन मुलाकातों के बाद अटकलों का बाजार और गरम हो गया है।
पवार और ठाकरे में लंबी बातचीत
मुख्यमंत्री ठाकरे से मुलाकात करने के लिए पवार उनके घर पर पहुंचे और दोनों दिग्गजों के बीच करीब 40 मिनट तक बातचीत हुई। हालांकि पवार के वहां से रवाना हो जाने के बाद भी यह स्पष्ट नहीं हो सका कि दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई।
जानकारों का कहना है कि दोनों पक्षों की ओर से अभी तक यह खुलासा नहीं किया गया है कि दोनों के बीच किस मुद्दे पर बातचीत हुई। वैसे सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं ने राज्य में अनलॉक प्रोसेस और कोरोना संकट की स्थिति पर लेकर चर्चा की। वैसे अचानक हुई इस मुलाकात के बाद तमाम तरीके की अटकलें भी लगाई जा रही है।
गुपचुप मुलाकात के बाद अटकलें
इससे पहले शनिवार को फडणवीस और संजय राउत की मुंबई के एक पांच सितारा होटल में गुपचुप मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के बारे में मीडिया को कोई जानकारी नहीं दी गई थी मगर मुलाकात की खबरें बाहर आने के बाद सत्ता के गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो गया था।
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हालांकि दोनों ही नेताओं का कहना है कि उनके बीच कोई सियासी बातचीत नहीं हुई है। भाजपा के एक नेता का भी कहना था की सामना में फडणवीस के इंटरव्यू को लेकर यह मुलाकात हुई थी।
सरकार खुद गिरेगी, तब देखेंगे
फडणवीस ने रविवार को कहा कि हम महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार को नहीं गिराना चाहते और अभी हमारी शिवसेना से हाथ मिलाने की कोई इच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि राउत से मुलाकात का कोई सियासी मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में हम उद्धव सरकार को नहीं गिराना चाहते। अगर यह सरकार खुद गिरती है, तब आगे देखा जाएगा।
फडणवीस हमारे दुश्मन नहीं
दूसरी ओर शिवसेना नेता संजय राउत ने भी इस मुलाकात पर सफाई देते हुए कहा कि फडणवीस से उनके वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन हमारी फडणवीस से कोई दुश्मनी नहीं है।
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उन्होंने कहा कि मैं कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए फडणवीस से मिला था। वे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और इसके अलावा राज्य में विपक्ष के नेता होने के साथ ही भाजपा के बिहार प्रभारी भी हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को हमारी मुलाकात के बारे में पता था।
अलग हो गए एनडीए के सबसे मजबूत साथी
राउत ने कहा कि एनडीए के सबसे मजबूत स्तंभ शिवसेना और अकाली दल थे। शिवसेना को मजबूरी में एनडीए से बाहर निकलना पड़ा और अब अकाली दल ने किसानों के मुद्दे पर एनडीए का साथ छोड़ दिया है।
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एनडीए को अब नए साथी मिल चुके हैं और इस कारण मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं मगर यह भी सच्चाई है कि जिस गठबंधन में शिवसेना और अकाली दल नहीं है, मैं उसे एनडीए नहीं मानता।
मुलाकात का राजनीतिक मतलब नहीं
उधर महाराष्ट्र भाजपा के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये का कहना है कि इस मुलाकात का कोई राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राहुल शिवसेना के मुखपत्र सामना के लिए फडणवीस का साक्षात्कार लेना चाहते थे मगर फडणवीस ने बिहार में चुनाव प्रचार के बाद साक्षात्कार देने की बात कही है।
अब बदल चुकी है महाराष्ट्र की सियासत
कभी महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना और भाजपा की मजबूत दोस्ती थी मगर अब राज्य की सियासत पूरी तरह बदल चुकी है। शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली है और ऐसे में राउत और फडणवीस के बीच मुलाकात पर सियासी हलकों में अचरज जताया जा रहा है। यह अचरज इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि उद्धव सरकार के गठन के दौरान राउत ने भाजपा पर तीखे हमले किए थे।
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