Maharashtra:अजित पवार के आने से शिंदे गुट में बेचैनी, नाराजगी जाहिर कर रहे नेता, दिलचस्प मोड़ आई महाराष्ट्र की राजनीति

Maharashtra News: एनसीपी में बगावत और अजित पवार गुट की राज्य सरकार में एंट्री ने एक साल पहले उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना के खिलाफ विद्रोह करने वाले शिंदे गुट के नेताओं को परेशान कर दिया है। उनकी बेचैनी उनके बयानों से साफ झलकती है।

Krishna Chaudhary
Published on: 5 July 2023 9:50 AM GMT
Maharashtra:अजित पवार के आने से शिंदे गुट में बेचैनी, नाराजगी जाहिर कर रहे नेता, दिलचस्प मोड़ आई महाराष्ट्र की राजनीति
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Maharashtra Politics(Photo: Social Media)

Maharashtra News: उपमुख्यमंत्री अजित पवार के चाचा शरद पवार से बगावत के बाद से महाराष्ट्र की राजनीति में जबरदस्त उठापटक चल रही है। चाचा-भतीजे के बीच एनसीपी पर कब्जे को लेकर चल रही जोर आजमाइश ने एक साल पहले इसी समय शिवसेना में मचे घमासान की याद दिला दी है। बीते दो सालों में राज्य की दो बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों में हुई बगावत ने महाराष्ट्र की राजनीति को दिलचस्प मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। जहां आगे क्या होगा, खुद इस खेल में शामिल खिलाड़ी भी नहीं जानते।

एनसीपी में बगावत और अजित पवार गुट की राज्य सरकार में एंट्री ने एक साल पहले उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना के खिलाफ विद्रोह करने वाले शिंदे गुट के नेताओं को परेशान कर दिया है। उनकी बेचैनी उनके बयानों से साफ झलकती है। अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए बीजेपी के भरोसे पर शिंदे गुट में शामिल होने वाले शिवसेना नेताओं का धैर्य अब जवाब देने लगा है। वे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडनवीस से मिलकर अपनी नाखुशी जाहिर कर रहे हैं।

खुलकर नाराजगी जाहिर कर रहे नेता

शिंदे गुट में शामिल नेताओं के अंदर असंतोष का आलम ये है कि वे पार्टी के मंच की बजाय खुलेआम अजित पवार गुट के सरकार में शामिल करने के फैसले का विरोध कर रहे हैं। कई नेता जो मंत्री पद की राह देख रहे थे, वहां एनसीपी नेताओं के शपथ लेने से नाराज हो गए हैं। शिंदे कैंप के विधायक संजय थिरसाट ने कहा कि एनसीपी के साथ आने से हमारे कई नेता नाखुश हैं। हमने हमेशा शरद पवार और उनकी पार्टी के खिलाफ राजनीति की है। हमने उद्धव ठाकरे का भी विरोध इसीलिए किया था। क्योंकि शरद पवार उनका इस्तेमाल कर रहे थे।

थिरसाट ने कहा कि हमारे कई नेताओं को अब लगता है कि अजित पवार गुट के आ जाने से उन्हें अब मनचाहा पद नहीं मिलेगा। हमने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडनवीस से मुलाकात कर अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि हमारे नेता जरूर इसका कोई हल निकाल लेंगे।

दरअसल, महाराष्ट्र में ये सियासी उलटफेर ऐसे समय में हुआ है, जब शिंदे गुट और बीजेपी के बीच जुबानी जंग तेज हो गई थी। सियासी जानकार मानते हैं कि बीजेपी पवार को साथ लेकर सीएम शिंदे को भी एक संदेश देने की कोशिश कर रही है। इससे पहले भी जब-जब अजित पवार के सरकार में शामिल होने की अटकलें लगीं, शिंदे गुट की ओर से इस पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। वे सरकार से बाहर निकलने तक की धमकी दे चुके थे।

एनसीपी पर कब्जे की लड़ाई

देश के ताकतवर क्षत्रपों में शुमार शरद पवार की पार्टी एनसीपी आखिरकार दो फाड़ हो चुकी है। कभी राष्ट्रीय पार्टी रही एनसीपी पर कब्जे को लेकर शरद पवार को अपने ही भतीजे से जूझना पड़ रहा है, जिसे उन्होंने कभी हाथ पकड़कर राजनीति में लाया था। राजधानी मुंबई में आज दोनों गुटों की अलग-अलग बैठक हो रही है, जिसमें उनके समर्थक विधायक पहुंच रहे हैं। बुधवार का दिन एनसीपी के भविष्य के लिए काफी अहम होने जा रहा है।

अजित पवार कैंप के नेताओं की बैठक बांद्रा के भुजबल नॉलेज सिटी के एमईटी सेंटर में जारी है। इस बैठक में डिप्टी सीएम पवार के अलावा प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल समेत अन्य मंत्री मौजूद हैं, जिन्होंने रविवार को शपथ लिया था। इस बैठक में 30 विधायकों के पहुंचने की खबर है। हालांकि, मंत्री भुजबल ने 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। वहीं, शरद पवार गुट की बैठक वाय बी चव्हाण सेंटर में चल रही है, जिसमें सात विधायकों के पहुंचने की खबर है। दोनों खेमों की ओर से बैठक में शामिल होने के लिए व्हिप जारी किया गया है।

क्या होता है व्हिप ?

व्हिप किसी भी पार्टी द्वारा अपने विधायकों और सांसदों को किसी मुद्दे पर एकजुट रखने के लिए जारी किया जाता है। इसका उल्लंघन करने पर उनकी सदस्यता जा सकती है। इसलिए संसद या विधानसभा सभाओं में किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर वोटिंग या विश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान सियासी दलों द्वारा व्हिप जारी किया जाता है। ताकि सदस्यों में दलीय निष्ठा बनी रहे।

प्रत्येक राजनीतिक दल एक अधिकारी नियुक्त करता है, जिसे मुख्य सचेतक या चीफ व्हीप कहा जाता है। मुख्य सचेतक के पास यह अधिकार होता है कि वह पार्टी नेता को अपनी व्यक्तिगत विचारधारा के बदले पार्टी के नियमों या विचारधार का पालन करने के लिए निर्देश जारी कर सकता है।

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