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Major Train Accidents 2023: बेपटरी होती ट्रेनें, आपस में भिड़ती ट्रेनें- आखिर क्या है वजह?
Major Train Accidents 2023: 2023 में अब तक, भारत में कई बड़ी ट्रेन दुर्घटनायें हो चुकी हैं जिनमें एक हजार से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
Train Accidents 2023: 2 जून 2023 – भारत के रेल इतिहास के सबसे काले दिनों में से एक गिना जाएगा जब बालासोर में तीन-तीन ट्रेनें आपस में टकरा गईं थीं और सैकड़ों लोगों की जान चली गयी। उसके बाद बिहार, तमिलनाडु में हादसे हो चुके हैं और सबसे ताज़ा मामला विजयनगरं, आंध्र प्रदेश का है।
ये सभी दुर्घटनायें भारत में ट्रेन दुर्घटनाओं की कभी न खत्म होने वाली सीरीज का हिस्सा हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2021 में लगभग 18,000 रेलवे दुर्घटनाओं में 16,000 से अधिक लोग मारे गए। तब से 2023 तक भारत में शून्य यात्री मृत्यु दर्ज की गई थी। लेकिन 2023 में अब तक, भारत में कई बड़ी ट्रेन दुर्घटनायें हो चुकी हैं जिनमें एक हजार से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
1960 के दशक में भारतीय रेलवे में प्रति वर्ष औसतन 1,390 दुर्घटनाएँ होती थीं। पिछले दशक में, यह संख्या घटकर 80 प्रति वर्ष हो गई थी। आधिकारिक रिकॉर्ड के विश्लेषण से पता चलता है कि हालांकि जानमाल के नुक्सान वाली दुर्घटनाओं की संख्या में गिरावट आई है, लेकिन भारत में रेल दुर्घटनाओं की कुल संख्या अधिक ही बनी हुई है।
रेलवे पर भारी खर्चा, लेकिन कहाँ?
- 2023 में केंद्रीय बजट ने भारतीय रेलवे के लिए ₹2.40 लाख करोड़ के रिकॉर्ड बजटीय आवंटन का प्रस्ताव रखा। रेलवे के लिए यह परिव्यय 2013-2014 में प्रदान की गई राशि का नौ गुना है। यानी भारत निश्चित रूप से रेलवे पर अधिक खर्च कर रहा है। हालाँकि, जैसा कि एक रिपोर्ट बताती है, उस खर्च का अधिकांश हिस्सा ट्रेनों में गति और आराम के लिए किया गया है, न कि विशेष रूप से बढ़ी हुई सुरक्षा के लिए। रेलवे लाइनों का अत्यधिक उपयोग हो रहा है और नियमित रखरखाव गतिविधियों को अंजाम नहीं दिया जा रहा है। सीएजी की 2021 की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारतीय रेलवे पर 21,648 से अधिक ट्रेनें चलती हैं, जो लगभग 22.15 मिलियन यात्रियों को ले जाती हैं और हर दिन लगभग 3.32 मिलियन टन माल ढुलाई करती हैं। सीएजी की रिपोर्ट में पाया गया है कि 2017 के बाद से बुनियादी रेलवे रखरखाव पर खर्च में गिरावट आई है, जिससे सुरक्षा में गंभीर चूक हुई है। रेलवे की संसदीय समिति और सीएजी, दोनों के अनुसार ट्रेनों के बोझ तले रेलवे में लगातार नई ट्रेनें जोड़ी जा रही हैं, लेकिन सुरक्षा मुद्दों के लिए पर्याप्त काम नहीं किया जा रहा है। समस्या सुरक्षा के प्रति रवैया है, क्योंकि रेलवे अपने आंतरिक प्रोटोकॉल की तुलना में सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतरता है। आम बजट से आवंटित धनराशि न केवल पूरी तरह से सुरक्षा उपायों पर खर्च नहीं की जाती है, बल्कि इसका बढ़ता अनुपात सीएजी द्वारा "गैर-प्राथमिकता वाले" क्षेत्रों में खर्च किया जाता है।
इतनी रेल दुर्घटनाएँ क्यों?
- एक रिपोर्ट के अनुसार, रेल सेफ्टी में सुधार के सरकारी प्रयासों के बावजूद भारतीय रेलवे पर हर साल अनेकों हादसे देखती है जबकि कई हादसे किसी तरह टल जाते हैं।
- भारत में कई ट्रेन दुर्घटनाएँ पटरी से उतरने के कारण होती हैं। 2020 की एक सरकारी सुरक्षा रिपोर्ट में पाया गया कि देश में 70 फीसदी ट्रेन दुर्घटनाओं के लिए डिरेलमेंट जिम्मेदार होता है।
- डिरेलमेंटसमस्या का एक हिस्सा भारत की प्रचंड गर्मी है, क्योंकि गर्मी के महीनों के दौरान रेलवे ट्रैक का विस्तार होता है और सर्दियों में तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण संकुचन होता है। परिणामस्वरूप, भारतीय रेल पटरियों को निरंतर निरीक्षण की आवश्यकता होती है। पटरियों की संरचनात्मक और उसकी स्थिति के लिए हर तीन महीने में कम से कम एक बार का मूल्यांकन शामिल है। हालांकि, भारत में रेलवे प्रणाली के बड़े दायरे के कारण, इन निरीक्षणों में अक्सर कमी रहती है। 2017 के सीएजी ऑडिट में निरीक्षणों में 30 फीसदी से लेकर 100 फीसदी तक कमियाँ पाई गईं।
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- देश की ट्रेन प्रणाली भी बहुत पुरानी है, जिसे 1870 के दशक में ब्रिटिश शासन काल के दौरान बनाया गया था। ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि वर्तमान प्रणाली की उपयोगिता समाप्त हो गई है और "पीढ़ीगत परिवर्तन" की जरूरत है। पूर्व भारतीय रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने भी एक इंटरव्यू में ये बात कही थी।
सीएजी क्या कहता है?
सीएजी ने रेलवे के बजट और खर्चों की जांच के बाद रिपोर्ट दी है कि पिछले कई सालों से, खासकर पिछले चार सालों से रेलवे का रखरखाव और सुरक्षा हाशिए पर धकेल दी गई है। सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली चीझों यानी सिग्नल प्रणाली और पटरियों के रखरखाव के लिए निर्धारित धनराशि का न केवल कम उपयोग किया जा रहा है, बल्कि कर्मचारियों की भी भारी कमी है और 3 लाख से अधिक पद खाली पड़े हैं। जमीनी हकीकत यही है कि न केवल बुनियादी बातों की अनदेखी की जाती है, बल्कि ट्रेन और यात्री सुरक्षा रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं है।
ये भी जान लें
अमेरिका में दुनिया के किसी भी देश की अपेक्षा सबसे लंबा रेलवे नेटवर्क है – करीब 2 लाख 60 हजार किलोमीटर का। 2022 में अमेरिका में 1,000 से अधिक ट्रेनें पटरी से उतरीं। फेडरल रेल प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल देश भर में कम से कम 1,164 रेल दुर्घटनाएँ हुईं। इसका मतलब है कि देश में प्रतिदिन औसतन तीन दुर्घटनाएँ हो रही हैं। फिर भी इन्हें बड़ी चिंता नहीं माना आजाता क्योंकि वे वास्तव में बड़ी घटना नहीं हैं। उद्योग जगत के नेताओं का कहना है कि अधिकांश पटरी से उतरने की घटनाएं रेल यार्डों के दायरे में होती हैं। संघीय आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल ट्रेन के पटरी से उतरने से सोलह लोग घायल हो गए और एक व्यक्ति की मौत हो गई।