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मकर संक्रांतिः अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का पर्व

वैज्ञानिक दृष्टिकोण को मानें तो मकर संक्रांति के समय नदियों में वाष्पन क्रिया होती है। इससे तमाम तरह के रोग दूर हो सकते हैं। इसलिए इस दिन नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। लेकिन इस कोरोना काल में हमें घर में ही पानी में तिल डालकर स्नान करना चाहिए।

SK Gautam
Published on: 14 Jan 2021 12:26 PM IST
मकर संक्रांतिः अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का पर्व
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मकर संक्रांतिः अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का पर्व

रामकृष्ण वाजपेयी

आज मकर संक्रांति है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का योग बनता है। आज यानी 14 जनवरी को सूर्य देव ने सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर धनु से मकर राशि में प्रवेश किया है। इसी के साथ मकर संक्रांति की शुरुआत हो गई है। आमजनों या आस्थावानों के लिए पुण्य काल की बात करें तो वो करीब शाम के 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।

इस मौके पर स्नान-दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है

कहा जाता है पुण्य काल में स्नान-दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इसलिए महापुण्य काल तड़के सुबह ही माना जाता है। लेकिन सूर्य के उत्तरायण होने की इस बेला में कई सारे वैज्ञानिक बदलाव आते हैं। इसलिए मकर संक्रांति का संबंध केवल धर्म से ही नहीं अपितु अन्य चीजों से भी जुड़ा है, जिसमें वैज्ञानिक चीजें भी शामिल हैं।

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण को मानें तो मकर संक्रांति के समय नदियों में वाष्पन क्रिया होती है। इससे तमाम तरह के रोग दूर हो सकते हैं। इसलिए इस दिन नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। लेकिन इस कोरोना काल में हमें घर में ही पानी में तिल डालकर स्नान करना चाहिए। बूढ़ों और बच्चों को ठंडे पानी से बचना चाहिए और शरीर के तापमान पर पानी गरम रखकर स्नान करके धूप में बैठना चाहिए।

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मकर संक्रांति के समय उत्तर भारत में शीतलहर चल रही है कड़ाके की ठंड का मौसम है। इस मौसम में तिल-गुड़ का सेवन सेहत के लिए लाभदायक रहता है यह चिकित्सा विज्ञान भी कहता है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। यह ऊर्जा सर्दी में शरीर की रक्षा रहती है।

खिचड़ी में घी डालने की भी परंपरा

खिचड़ी मुख्यतः चावल और जल से मिलाकर बनती है जो चंद्रमा की प्रतीक है। इसी तरह खिचड़ी में उड़द की दाल का प्रयोग किया जाता है, जिसका संबंध शनि देव से है। हल्दीै गुरु ग्रह से संबंधित है। हरी सब्जियों का संबंध बुध ग्रह से कहा गया है। खिचड़ी में घी डालने की भी परंपरा है। घी का संबंध सूर्य देव से माना गया है। इन सबका सेवन करने से मकर संक्राति के दिन आपके कई ग्रह शांत होते हैं और जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

अदरक और मटर मिलाकर खिचड़ी बनाने पर यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है। खिचड़ी का सेवन करने पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है।

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पुराण और विज्ञान दोनों में सूर्य की उत्तरायन स्थिति का अधिक महत्व है. सूर्य के उत्तरायन होने पर दिन बड़ा होने लगता है इससे मनुष्य की कार्य क्षमता बढ़ने लगती है। जो तरक्की यानी प्रगति में मदद करती है। सूर्य की गरमी में वृद्धि होने के कारण हमारी शक्ति में वृद्धि होती है।

मकर संक्रांति से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। दिन बड़ा होने से सूर्य की रोशनी अधिक होगी और रात छोटी होने से अंधकार कम होगा। यानी मकर संक्रांति अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला पर्व है।

उत्तरी गोलार्द्ध में ओजोन परत में सघनता आती है

कहा जाता है कि मकर संक्रांति पर स्नान न करने वाला व्यक्ति निर्धन व जन्म जन्मांतर का रोगी होता है। और विज्ञान भी बताता है कि सूर्य की मकर संक्रांति खतरनाक अल्ट्रा वायलेट सी विकिरणों से सुरक्षित रखती है। उत्तरी गोलार्द्ध में ओजोन परत में सघनता आती है।

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