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सलाम मुस्लिम गाँव को: देश के लिए लड़ रहा एक-एक बच्चा, कांपते हैं दुश्मन

आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के एक गांव मल्लारेड्डी में भारत माता की रक्षा के लिए इस गांव के हर घर का बेटा लगा हुआ है। वीरों की भूमि कहलाने वाले इस गांव को बेटों का गांव कहे तो कुछ गलत नहीं होगा। देश की रक्षा के लिए शहीद होेने वाले गांव के बेटों ने दुश्मनों को उनके मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया।

Vidushi Mishra
Published on: 25 Jan 2021 12:09 PM GMT
सलाम मुस्लिम गाँव को: देश के लिए लड़ रहा एक-एक बच्चा, कांपते हैं दुश्मन
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आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के एक गांव मल्लारेड्डी में भारत माता की रक्षा के लिए इस गांव के हर घर का बेटा लगा हुआ है। वीरों की भूमि कहलाने वाले इस गांव को बेटों का गांव कहे तो कुछ गलत नहीं होगा। देश की रक्षा के लिए शहीद होेने वाले गांव के बेटों ने दुश्मनों को उनके मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया।

नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले के एक गांव की अनोखी बात सामने आई है। इस अनोखे जिले का नाम मल्लारेड्डी है। भारत माता की रक्षा के लिए इस गांव के हर घर का बेटा लगा हुआ है। वीरों की भूमि कहलाने वाले इस गांव को बेटों का गांव कहे तो कुछ गलत नहीं होगा। देश की रक्षा के लिए शहीद होेने वाले गांव के बेटों ने दुश्मनों को उनके मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया। इस गांव में हर घर का लाल आज देश सेवा में सीमा पर दुश्मनों के दांत खट्टे करने के लगा हुआ है।

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फौज में जाने का सपना

इस गांव के लोग बॉर्डर पर मातृभूमि की रक्षा के लिए डटे हुए हैं। ऐसे में मुस्लिम बहुल इस गांव में हर बच्चा आंखों में फौज में जाने का सपना लिए सोता है और हर सुबह उठकर उसके लिए नई कोशिशें शुरू कर देता है।

ARMY फोटो-सोशल मीडिया

गांव के प्रकाशम जिले के इस गांव में अधिकतर घरों से कम से कम एक व्यक्ति सेना में सेवारत है। भारतीय सेना से रिटायर हो चुके ऐसे ही एक बुजुर्ग मस्तान ने बताया, 'मैं श्रीलंका में IPKF का हिस्सा था, करगिल युद्ध लड़ा, राजस्थान में देश की पश्चिमी सीमा पर सेवा करके रिटायर हुआ था।

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रैलियों में भर्ती के लिए तैयार

ऐसे में गांव में कई दिग्गज हैं जो भारत-पाक युद्धों, करगिल युद्ध, श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा बल (IPKF) के संचालन और अभी जल्दी में ही चीन के साथ सीमा पर होने वाली झड़प में शामिल रहे हैं। वहीं इस गांव में बुजुर्ग बच्चों को देश की सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं और इसे गांव की परंपरा बताते हैं।

जबकि गांव के कई नौजवान सेना से सेवानिवृत्त हो चुके बड़े-बुजुर्गों के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित होते हैं। रोप क्लाइम्बिंग, रनिंग, बाधा दौड़ यहां के युवाओं के लिए पसंदीदा खेल हैं जो उन्हें सेना की रैलियों में भर्ती के लिए तैयार रखते हैं।

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