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Manipur Violence: मणिपुर में इंटरनेट 25 जून, स्कूल 1 जुलाई तक रहेंगे बंद, कोरोना के बाद हिंसा ने लोगों की कमर तोड़ी

Manipur Violence: मणिपुर में आज यानी 21 जून से स्कूलों को खोला जाना था, मगर इसकी तारीख भी आगे खिसका दी गई है। राज्य में अब स्कूल 1 जुलाई से खुलेंगे।

Krishna Chaudhary
Published on: 21 Jun 2023 8:41 AM GMT
Manipur Violence: मणिपुर में इंटरनेट 25 जून, स्कूल 1 जुलाई तक रहेंगे बंद, कोरोना के बाद हिंसा ने लोगों की कमर तोड़ी
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Manipur Violence (photo: social media )

Manipur Violence: पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हिंसा को शुरू हुए डेढ़ माह से अधिक हो चुके हैं लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। मंगलवार को भी राज्य के अशांत इलाकों से हिंसक घटनाओं की सूचना आती रहीं। मैतेई और कुकी समुदाय के हथियारबंद लड़ाके अभी भी शांति कायम करने के लिए राजी नहीं है। राज्य में एक-दूसरे समुदाय से जुड़े ठिकानों पर हिंसक हमले जारी है। राज्य के तनाव भरे हालात को देखते हुए एकबार फिर इंटरनेट पर लगे बैन को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
15 जून को राज्य में 20 जून तक इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया था। मगर हालात में कोई सुधार न होते देख इसे आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। नए आदेश के मुताबिक, राज्य में 25 जून तक इंटरनेट काम नहीं करेगा। इसके अलावा मणिपुर में आज यानी 21 जून से स्कूलों को खोला जाना था, मगर इसकी तारीख भी आगे खिसका दी गई है। राज्य में अब स्कूल 1 जुलाई से खुलेंगे।

मणिपुर हाईकोर्ट ने इंटरनेट को लेकर दिया ये आदेश

इंटरनेट के ठप हो जाने के कारण मणिपुर में जिंदगी एक तरह से ठहर गई है। सबसे अधिक परेशानी का सामना आम लोगों को करना पड़ रहा है। आज के डिजिटल वर्ल्ड में कामकाज का एक बड़ा हिस्सा इंटरनेट पर निर्भर है। ऐसे में इसके बंद होने से लोग परेशान है। इस संबंध में दायर एक याचिक पर सुनवाई करते हुए मणिपुर हाईकोर्ट ने सरकार को सीमित नेट सेवा प्रदान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट कुछ लोगो के काम करने के लिए बेहद जरूरी है।

कोरोना के बाद हिंसा ने लोगों की कमर तोड़ी

कोरोना महामारी के उस भयावह दौरे को पीछे छोड़े अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है। महामारी के दौरान उद्योग-धंधे से लेकर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी ठप हो गई थी। पिछले एक- डेढ़ साल में थोड़ी स्थिति संभली थी कि अब जातीय हिंसा ने मणिपुरी लोगों की कमर तोड़ दी है। बच्चे एकबार फिर अपनी पढाई से दूर हो चुके हैं। उनके स्कूल या तो हिंसा की आग में भेंट चढ़ चुके हैं या फिलहाल वहां पर सुरक्षाबलों ने अपना अस्थाई ठिकाना बना लिया है।
पेरेंट्स अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर परेशान हैं। उनका कहना है कि दो साल कोरोना महामारी के कारण पहले ही इनका शिक्षा काफी प्रभावित हो चुकी है। ऐसे में पिछले डेढ़ महीने से जारी हिंसा ने एकबार फिर इनकी पढ़ाई-लिखाई को बेपरटी कर दिया है। कोरोना के दौर में बच्चे इंटरनेट के जरिए घर से पढ़ पाते थे लेकिन अभी तो वे ये भी नहीं कर सकते। कुछ सक्षम माता-पिता राज्य की स्थिति में सुधार न होता देख अपने बच्चों को अन्य राज्यों में मौजूद अपने रिश्तेदारों के पास पढ़ाई के लिए भेजने लगे हैं।

अधिकांश एटीएम में पैसे नहीं

मणिपुर में इन दिनों नकद का संकट भी खड़ा हो गया है। इंटरनेट के बंद हो जाने के कारण लोग नेट बैंकिंग नहीं कर पा रहे हैं। जिसके कारण उनकी कैश पर निर्भरता काफी बढ़ गई है। हिंसा और लूटपाट की घटना को देखते हुए ज्यादातर एटीएम में पैसे नहीं डाले जा रहे हैं। सीमित जगहों पर मौजूद एटीएमों ही कैश मिल पाता है, जहां लोगों की भारी भीड़ जमा हो जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वे मोबाइल रिचार्ज तक पड़ोसी राज्यों में रह रहे अपने रिश्तेदारों से करवाते हैं।
बता दें कि मणिपुर में 3 मई से जातीय हिंसा की शुरूआत हुई थी। जो अब तक जारी है। इस दौरान हजारों घरों को जलाया गया। पुलिस के शस्त्रागारों से खतरनाक हथियार लूटे गए। मंगलवार को सेना ने प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया था। उनके पास से 51 मिलीमीटर की मोर्टार और बम बरामद किए गए थे। राज्य में अभी भी हथियाबंद समूहों के पास लूटे हुए हथियार हैं, जिसके कारण हिंसा हो रही है।

Krishna Chaudhary

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