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Manipur Violence Update: कब बुझेगी मणिपुर में लगी हिंसा की आग, भीषण झड़प से फिर लहुलूहान हुआ प्रदेश
Manipur Violence : इंफाल. उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में एक महीने से अधिक समय पहले लगी हिंसा की आग बुझती नजर नहीं आ रही है। तमाम कोशिशों और अभियानों के बावजूद हिंसक घटनाओं पर काबू नहीं पाया जा सका है।
Manipur Violence : इंफाल. उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में एक महीने से अधिक समय पहले लगी हिंसा की आग बुझती नजर नहीं आ रही है। तमाम कोशिशों और अभियानों के बावजूद हिंसक घटनाओं पर काबू नहीं पाया जा सका है। आदिवासी समुदाय कुकी और मैतेई के बीच जातीय हिंसा इस कदर भड़की है कि इसने पूरे प्रदेश को लहुलूहान कर दिया है। दोनों समुदाय एक-दूसरे का अस्तित्व मिटाने पर आमदा हैं। सोमवार को दोनों जातीय समूहों के हथियार बंद गुटों के बीच हिंसक झड़प से एकबार फिर प्रदेश थर्रा उठा है।
गोलीबारी और हिंसक घटनाओं से राजधानी इंफाल भी सुरक्षित नहीं है, जहां सरकार बैठती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कल इंफाल में हुई हिंसक वारदात में एक कुकी समुदाय के शख्स की जान चली गई। इसके अलावा करीब 10 लोग गोलीबारी में जख्मी हुए हैं। कुछ की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। राज्य में जारी हिंसा और तनाव के माहौल को देखते हुए ही 15 जून तक इंटरनेट पर रोक जारी रखने का निर्णय लिया गया है।
हमले के लिए ड्रोन का लिया जा रहा सहारा
मैतेई और कुकी समुदायों के लड़ाके इस कदर एक दूसरे के खून-प्यासे हो रखे हैं कि वे अब हमले के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस खुलासे ने मणिपुर में शांति कायम करने में जुटी पुलिस-प्रशासन की नींद हराम कर दी है। कुकी समुदाय के लोग मैतेई गांवों और जंगलों में छिपे इस समुदाय के लोगों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए ड्रोन का सहारा ले रहे हैं।
विष्णुपुर जिले के एक गांव में ग्रामीणों को ड्रोन मिला था, जिसे उन्होंने स्थानीय पुलिस को अधिकारियों को दे दिया। इस ड्रोन की जांच करने पर पता चला कि इसमें कैमरे लगे हैं, जिसमें मैतेई आबादी बहुल एरिया के फुटेज कैद थे। यानी मैतेई समुदाय के लोगों का लोकेशन ट्रेस होने के बाद कुकी के हथियारबंद लड़ाके वहां पर अटैक कर देते हैं।
कब थमेगा हिंसा का दौर ?
3 मई को मणिपुर में शुरू हुई जातीय हिंसा के 42 दिन हो चुके हैं। अब तक 100 से अधिक लोग हिंसा की भेंट चढ़ चुके हैं। 320 जख्मी हैं और 47 हजार से अधिक लोग 250 से अधिक राहत शिविरों में रह रहे हैं। तकरीबन दो हजार घरों और दुकानों को जलाया जा चुका है। बड़े पैमाने पर मणिपुरी पड़ोसी राज्यों में भी शरण लिए हुए हैं।
केंद्र ने 10 जून को राज्यपाल की अध्यक्षता में एक शांति समिति भी बनाई है, जिसमें सभी राजनीतिक दलों, सिविल सोसाइटी के लोगों, राज्य के गणमान्य नागरिकों, रिटायर्ड नौकरशाहों और सभी जातीय समुहों के प्रतिनिधियों को शामिल किया है। मगर कुकी समुदाय ने समिति में मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह और उनके कुछ करीबियों के शामिल होने का विरोध करते हुए इसका बहिष्कार कर दिया है।
बता दें कि मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने के खिलाफ कुकी और नागा जैसे आदिवासी समुदायों द्वारा छेड़ा गया यह सशस्त्र विरोध कब रूकेगा, इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है। केंद्र ने राज्य में धारा 355 लागू कर सुरक्षा व्यवस्था अपने हाथों में ले लिया है। हालांकि, कुकी समुदाय मणिपुर में आर्टिकल 356 लागू कर राष्ट्रपति शासन की मांग कर रहे हैं।