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गाजीपुर की सियासी सीट पर सभी प्रत्याशियों के सामने कड़ी चुनौतियां
रजनीश मिश्र
गाजीपुर। उत्तर प्रदेश की सियासत में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले गाजीपुर का सियासी समर सज गया है। समाजवादी प्रगतिशील पार्टी को छोड़कर भाजपा, कांग्रेस और सपा-बसपा ने अपना संयुक्त प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है। इस चुनाव क्षेत्र में जहां सपा-बसपा और कांग्रेस के पास अपनी साख बचाने की चुनौती होगी, वहीं भाजपा के मनोज सिन्हा के सामने अपनी सीट बचाए रखने की। इस बार राजनीतिक स्थितियां 2014 के ठीक उलटी हैं। रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा के लिए यह रण जहां कांटों भरा है वहीं यह अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए भी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। कांग्रेस के सामने गाजीपुर में निर्जीव हो चुकी पार्टी को फिर से जीवित करने की चुनौती होगी। गाजीपुर लोकसभा सीट के लिए सातवें चरण यानी 19 मई को मतदान होना है। ऐसे में सभी दलों के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा भी गाजीपुर में होगा। केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा और गठबंधन प्रत्याशी अफजाल अंसारी के चुनाव मैदान में होने गाजीपुर को पूर्वांचल की हाट सीटों में गिना जा रहा है।
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इस बार के चुनाव में जहां मनोज सिन्हा के सामने अपने वोटरों को बिखरने से बचाने की चुनौती होगी, वहीं अफजाल अंसारी के पास राजपूत और यादव वोटरों को जोडऩे की चुनौती होगी। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि गाजीपुर से समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री रहे ओमप्रकाश सिंह प्रबल दावेदार थे, लेकिन टिकट बसपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी को मिल गया। कहा जा रहा है कि इससे गंगा पार सहित लोकसभा क्षेत्र में राजपूतों का एक वर्ग खासा नाराज है और इसका खामियाजा अफजाल अंसारी को भुगतना पड़ सकता है। वहीं यादव वर्ग भी तीन धड़ों में बंट सकता है।
सूत्रों का कहना है कि भाजपा द्वारा गाजीपुर के ही दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को आजमगढ़ से प्रत्याशी बनाए जाने और शिवपाल यादव के समाजवादी प्रगतिशील पार्टी की वजह से भी यादव वर्ग के वोटर तीन धड़ों में बंट रहे हैं। जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी अजीत कुमार कुशवाहा भी सपा, भाजपा और बसपा के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं। प्रदेश सरकार में भाजपा की सहयोगी पार्टी भासपा के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने फिर से बागी तेवर अख्तियार करते हुए लोकसभा चुनाव में अपने प्रत्?याशी उतार दिए है। हलांकि उन्होंने गाजीपुर से अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है, लेकिन बताया जा रहा है कि वे गाजीपुर से प्रत्याशी उतार सकते हैं। ऐसे में भाजपा के लिए और मुसीबत खड़ी हो सकती है।
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मुख्तार की आपराधिक छवि डाल सकती है असर
राजनीति के जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री बनारस के अलावा गाजीपुर में भी चुनावी रैली कर सकते हैं। इस रैली से भाजपा प्रत्याशी मनोज सिन्हा को जरूर मजबूती मिलेगी। पीएम गठबंधन प्रत्याशी अफजाल अंसारी के खिलाफ उनके छोटे भाई मुख्तार अंसारी की आपराधिक छवि को हथियार बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। चुनावी मंच पर यह मुद्दा उछलते ही गाजीपुर के भूमिहार, राजपूत सहित अन्य वर्ग के वोटरों का लाभ भी मनोज को मिल सकता है। वैसे क्षेत्र में मनोज सिन्हा द्वारा कराए गए कार्यों की चर्चा भी हो रही है। माना जा रहा है कि मोदी भी पिछले पांच सालों में मनोज के कार्यों को गिनाने से नहीं चूकेंगे।
कांग्रेस ने अजीत कुशवाहा को उतारा
गाजीपुर से अपनी जमीन खो चुकी कांग्रेस ने अबकी बार अजीत प्रताप कुशवाहा को चुनावी रण में उतारा है। उल्लेखनीय है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मोहम्मद मकसूद खान को 18908 वोट मिले थे जो निर्दलीय से भी कम था। ऐसे में अजीत प्रताप कुशवाहा को अपनी नई जमीन तैयार करनी पड़ेगी। अजीत प्रताप पेशे से हाईकोर्ट के वकील हैं और गंगौली के रहने वाले हैं। गंगौली से ही अखिलेश सरकार में मंत्री रही शादाब फातिमा भी हैं और वह इस समय शिवपाल यादव की पार्टी समाजवादी प्रगतिशील पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव हैं। अजीत कुशवाहा 2017 में विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं और पांचवें स्थान पर थे।
गाजीपुर के तीनों प्रत्याशी बलिया लोकसभा क्षेत्र के
सबसे दिलचस्प बात यह है कि गाजीपुर लोकसभा चुनाव में ताल ठोक रहे तीनों प्रत्याशी मनोज सिन्हा, अफजाल अंसारी और अजीत कुशवाहा का विधानसभा क्षेत्र बलिया लोकसभा में आता है। उल्लेखनीय है कि गाजीपुर जिले के दो विधानसभा क्षेत्रों जहूराबाद और मुहम्मदाबाद के मतदाता बलिया लोकसभा क्षेत्र में मतदान करते हैं। भाजपा के मनोज सिन्हा और सपा-बसपा के प्रत्याशी अफजाल अंसारी का विधानसभा क्षेत्र मुहम्मदाबाद और कांग्रेस प्रत्याशी अजीत कुशवाहा का विधानसभा क्षेत्र जहूराबाद बलिया लोकसभा के अंदर आता है।
मनोज 25 को करेंगे नामांकन
पार्टी सूत्रों का कहना है कि मनोज सिन्हा 25 अप्रैल को नामांकन दाखिल कर सकते हैं। वहीं अफजाल अंसारी के भी 24 या 26 को पर्चा दाखिल करने की उम्मीद है। हलांकि कांग्रेस प्रत्याशी का नाम देर से तय होने और नया चेहरा होने से अभी इनके पर्चा दाखिले की तिथि तय नहीं है। कयास लगाया जा रहा है कि वह भी इन्हीं तीन दिनों में पर्चा भर सकते हैं।