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झुग्गी-झोपडिय़ों में ऐसे बनाए जा रहे मास्क
मुंबई, सूरत, दिल्ली, भिवंडी, वापी आदि शहरों में गलियों और स्लम्स में रेडीमेड गार्मेंट की छोटी-छोटी इकाईयों में मास्क बनाने का काम तेजी से चल रहा है। सबसे ज्यादा मांग थ्री-प्लाई फेस मास्क की है।
नीलमणि लाल
लखनऊ: कोरोना वायरस की दहशत से मास्क और सैनीटाइजर का बिजनेस बूम कर गया है। मास्क बनाने के धंधे में छोटे व्यवसायी कूद पड़े हैं। मुंबई, सूरत, दिल्ली, भिवंडी, वापी आदि शहरों में गलियों और स्लम्स में रेडीमेड गार्मेंट की छोटी-छोटी इकाईयों में मास्क बनाने का काम तेजी से चल रहा है। सबसे ज्यादा मांग थ्री-प्लाई फेस मास्क की है। ऐसे मास्क जहां पहले डेढ़ से तीन रुपये में मिलते थे वहीं अब ये 18 से 20 रुपये में बिक रहे हैं।
दर्जी अब मास्क निर्माता बन गए हैं
मुंबई का धारावी स्लम एशिया का सबसे बड़ा स्लम माना जाता है। यहां सैकड़ों छोटी-छोटी यूनिटें हैं जहां टी शर्ट, मोजे, लोअर आदि बनाए जाते हैं। यहां के दर्जी अब मास्क निर्माता बन गए हैं और एक-एक यूनिट में दो लाख मास्क प्रतिदिन बनाए जा रहे हैं। मानकों के अनुसार मास्क कीटाणु-रोगाणु रहित सिलाई मशीनों व जगह पर बनाए जाने चाहिए। कारीगरों को ग्लव्स, यूनीफार्म और कैप पहन कर एयरकंडीशन बंद कमरे में प्रोडक्शन का काम करना चाहिए।
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लेकिन इन दर्जियों की यूनिटों में गंदगी के बीच मास्क उत्पादन धड़ल्ले से चलता है। साफ-सफाई तो दूर की बात है। कुछ व्यवसायी तो महिलाओं से मास्क बनवा रहे हैं जो उन्हें घर से सिल कर लाती हैं।
स्टैंडर्ड मास्क ऑटोमेटिक अल्ट्रासोनिक मशीन पर बनाए जाते हैं
स्टैंडर्ड मास्क ऑटोमेटिक अल्ट्रासोनिक मशीन पर बनाए जाते हैं और 18 से 20 जीएसएम वाली फैब्रिक का प्रयोग किया जाता है। बड़े निर्माता अपने उत्पादन का लैब से परीक्षण भी कराते हैं। ऐसे निर्माताओं का कहना है कि झुग्गी झोपडिय़ों में बनने वाले मास्क बस दिखाने भर के लिए होते हैं। इनसे किसी बैक्टीरिया या वायरस को फिल्टर नहीं किया जा सकता।
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दरअसल मास्क डिस्पोजबल आइटम के तहत आते हैं। इनका ड्रग्स एंड कास्मेटिक्स एक्ट या नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंसशियल मेडिसिन्स द्वारा नियमन भी नहीं होता। यही वजह है कि मास्क के बारे में सरकार क्वालिटी कंट्रोल नहीं करती।
मास्क और सैनिटाइज़र को आवश्यक वस्तु किया गया घोषित
भारत सरकार ने 30 जून, 2020 तक आवश्यक वस्तुओं के रूप में मास्क (2 प्लाई और 3 प्लाई सर्जिकल मास्क, N95 मास्क) और हैंड सैनिटाइज़र को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत घोषित करने के लिए एक आदेश अधिसूचित किया है।