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अंतरिक्ष में महाशक्तिशाली भारत, ISRO ने शुरू की ताकतवर इंजन बनाने की तैयारी
रांची स्थित मेकॉन कंपनी ने सेमी क्रायोजनिक इंजन टेस्टिंग फैसिलिटी तैयार की है। जिसके तहत देसी इंजन टेस्टिंग फैसिलिटी से अंतरिक्ष में रॉकेट द्वारा सामान ले जाने की क्षमता में अब बढ़ोतरी होगी। बता दें, देश के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि है।
नई दिल्ली। भारत लगातार अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी क्षमता को बढ़ाने में लगा हुआ है। ऐसे में पहले जो क्रायोजनिक इंजन विदेशों से आता था, अब उसका निर्माण भारत में ही शुरू हो गया है। देश के रांची स्थित मेकॉन कंपनी ने सेमी क्रायोजनिक इंजन टेस्टिंग फैसिलिटी तैयार की है। जिसके तहत देसी इंजन टेस्टिंग फैसिलिटी से अंतरिक्ष में रॉकेट द्वारा सामान ले जाने की क्षमता में अब बढ़ोतरी होगी। बता दें, देश के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि है।
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टेस्टिंग भारत में ही हो सकेगी
कोई भी काम मुश्किल नहीं होता है, बस उसको करने का जज्बा होने चाहिए। इसी हौसले के तहत रांची स्थित भारत सरकार के उपक्रम मेकॉन के इंजीनियरों ने जिसकी बदौलत अब क्रायोजनिक इंजन की टेस्टिंग भारत में ही हो सकेगी। ऐसे में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) ने मेकॉन को क्रायोजनिक इंजन टेस्टिंग डिज़ाइन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
बताया जा रहा कि महेन्द्रगिरि स्थित इसरो के सेंटर के लिए डिज़ाइन तैयार किया गया है। साथ ही क्रायोजनिक इंजन के टेस्टिंग के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, जिससे पैसों की भी बचत होगी। देसी इंजन का जो डिज़ाइन तैयार किया गया है उससे अंतरिक्ष में जाने वाले रॉकेट की सामान ले जाने की क्षमता भी बढ़ जाएगी।
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फोटो-सोशल मीडिया
2021 में लांच करने की तैयारी
हालाकिं अभी तक अंतरिक्ष में जाने वाले रॉकेट केवल चार टन ही सामान ले जा सकता था। लेकिन अब देसी इंजन बनने से सामान ले जाने की क्षमता छह टन हो जायेगी। इस रॉकेट को अगस्त 2021 में लांच करने की तैयारी हो रही है।
इस बारे में मेकॉन के सीएमडी अतुल भट्ट ने कहा इसरो ने मेकॉन को क्रायोजनिक इंजन टेस्टिंग डिज़ाइन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। महेन्द्रगिरि स्थित इसरो के सेंटर के लिए डिज़ाइन तैयार किया गया है। अब क्रायोजनिक इंजन के टेस्टिंग के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
साथ ही मेकॉन के सीएमडी अतुल भट्ट ने बताया कि केंद्र सरकार ने 2030 तक स्टील के क्षेत्र में 300 मीट्रिक टन उत्पादन का जो लक्ष्य निर्धारित किया है उसमें विदेशों से साज़ो सामानों को मंगवाने में 25 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा खर्च होगी, लेकिन मेकॉन रांची में ही साज़ो सामानों को बनवाने की क्षमता रखती है जिससे 25 बिलियन डॉलर की इकोनॉमी विदेश जाने से बच जायेगी।
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