मजदूर भटक रहे काम को अफसर करा रहे मशीनों से काम

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Published on: 6 March 2020 9:45 AM GMT
मजदूर भटक रहे काम को अफसर करा रहे मशीनों से काम
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सुशील कुमार

मेरठ। केंद्र सरकार द्वारा गरीबों को साल में 100दिन रोजगार की गारंटी देने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) योजना शुरू की गई। मेरठ का हाल ये है कि यहां मनरेगा के तहत रोजगार मुहैया करवाने में अफसर फिसड्डी साबित हो रहे हैं। जिसके कारण मनरेगा का उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। यह हाल तो तब है जबकि सरकारी अफसरों की मनमानी पर नियन्त्रण के लिए मनरेगा एक्ट 2005 के मुताबिक प्रत्येक मंडल में लोकपाल की तैनाती है। अफसरों की मनमानी का आलम यह है कि मजदूर काम के लिए भटक रहे हैं और अफसर अधिकांश काम मशीनों से करा देते हैं।

मेरठ में पंजीकृत मनरेगा मजदूरों में से नाममात्र के ही लोग ऐसे हैं जिन्हें साल में 100 दिन काम मिल सका है। इनमें से भी कई को भुगतान भी नहीं मिला। बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जिन्हें पांच साल में एक दिन का भी काम नहीं मिला। विडंबना यह कि मजदूरों का काम मशीनों से पूरा कराया जा रहा है। यह हाल उस जिले का है जिसको पिछले साल जुलाई माह में उत्तर प्रदेश शासन ने 10 बेहतर काम करने वाले जिलों की लिस्ट में शामिल किया था।

बेहतर जिले का ये हाल

शासन द्वारा मेरठ, मुरादाबाद, रामपुर, बहराइच, कुशीनगर, गोंडा, फर्रुखाबाद, जौनपुर, सहारनपुर और कासगंज को पिछले साल 10 बेहतर काम करने वाले जिलों की लिस्ट में शामिल किया था। जबकि शाहजहांपुर, कानपुर देहात, बांदा, बदायूं, मैनपुरी, हरदोई, कन्नौज, देवरिया, सीतापुर और लखनऊ को खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों में शामिल किया गया था। मनरेगा योजना के तहत गांव पंचायत स्तर पर गरीब परिवारों और उनके सदस्यों का पंजीकरण कर उनसे केंद्र की 260 योजनाओं में मिट्टी, खड़ंजा, इंटरलाकिंग टाइल्स, तालाब खोदाई आदि कार्य कराए जाते हैं। केंद्र सरकार इसपर भारी धन जारी करती है। मेरठ को भी पिछले तीन साल में 22.90 करोड़ रुपया मिल चुका है। अफसर इसे पूरा खत्म भी कर चुके हैं लेकिन जिन मजदूरों के लिए यह पैसा आया था वे भूखे ही रह गए। आरोप है कि अफसरों ने उनके हिस्से का काम मशीनों से पूरा करा लिया। जनपद के 12 ब्लाकों में 51,769 परिवार तथा उनके 61,931 सदस्य मनरेगा मजदूर के रूप में पंजीकृत हैं लेकिन इनमें से मात्र 9670 लोगों को ही रोजगार मिला। गंभीर बात यह कि 100 या उससे ज्यादा दिन मजदूरी पाने वालों की संख्या काफी कम है। इनमें से मात्र नौ परिवार ही ऐसे हैं जिनके सदस्यों को 100 दिन काम मिला। इनमें तीन हस्तिनापुर, एक मेरठ तथा पांच परिवार मवाना ब्लाक में हैं।

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खूब हुई मनमानी

अफसरों की मनमानी का उदाहरण माछरा ब्लाक का गांव शाहजहांपुर है,जहां पर 68 मजदूर पंजीकृत हैं लेकिन वर्तमान वित्तीय वर्ष में यहां एक भी मजदूर को एक दिन का भी काम नही दिया गया। इसी ब्लाक में 43 गांवों में से तीन गांव ऐसे भी हैं जहां पूरे साल में मात्र एक मजदूर को एकदिन काम देकर औपचारिकता पूरी कर ली गई। पूरे माछरा ब्लाक की बात करें तो यहां कुल 43 गांव हैं। ब्लाक में मनरेगा के तहत 4701 परिवारों के 5138 मजदूर पंजीकृत हैं। लेकिन एक भी परिवार अथवा मजदूर को केन्द्र सरकार की 100 दिन की गारंटी के तहत 100 दिन काम नही मिला। 393 परिवारों के 431 लोंगो को मात्र 8596 दिन की मजदूरी मिल सकी।

दस माह से मजदूरी नहीं

मेरठ मंडल के बुलन्दशहर में कई इलाकों में मनरेगा मजदूरों को 10 माह से मजदूरी तक नहीं मिलने की भी जानकारी मिली है। इन मजदूरों ने शासन द्वारा नामित मेरठ मंडल मनरेगा लोकपाल को शिकायती पत्र सौंपे हैं। मजदूरों ने बताया कि 10 माह से उन्हें काम नहीं मिल रहा और डेढ़ वर्ष पूर्व किए गए कार्यों का अभी तक भुगतान नहीं हो पाया है। कुछ मजदूरों को भुगतान किया गया लेकिन वह भी आधा अधूरा। लोकपाल ने रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजने की बात कही है। शासन के आदेशानुसार मनरेगा मजदूर को वर्ष में 100 दिन का काम देना जरूरी है और काम करने के 15 दिन के अंतराल में इनका भुगतान होना जरूरी है। इसके बावजूद मनरेगा मजदूरों को डेढ़ वर्ष से भुगतान नहीं मिला है। अरनिया के गांव जरारा से आए मजदूरों ने बताया कि 10 माह से उनसे कोई काम नहीं कराया गया है। लोकपाल ने जब उनके क्षेत्र के कागजात खंगाले तो उनमें मनरेगा मजदूरों से बिजेंद्र और देवेंद्र के निवास पर वर्मी कंपोस्ट बनाना और इसकी मजदूरी भी जारी करना दर्शाया गया है। ऐसे ही अगौता क्षेत्र के सरीफपुर भैंसरोड़ा गांव के मजदूरों ने बताया कि पांच साल पूर्व जॉब कार्ड जारी कर दिए गए लेकिन आज तक काम नहीं मिला। संबंधित गांव का रिकार्ड खंगाला गया तो इस गांव में 160 पंजीकृत मजदूर हैं और इनमें 62 मजदूरों से काम कराना दर्शाया गया और आठ को मजदूरी देनी दर्शाना पाया गया। इस मामले में लोकपाल अंशु त्यागी का कहना है कि संबंधित बीडीओए एडीओ और ग्राम प्रधान को पत्र जारी किए जाएंगे और शासन को इसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी।

मनरेगा लोकपाल ने जताई चिंता

मनरेगा के कार्यों की देखरेख के लिए नियुक्त मेरठ मंडल के मनरेगा लोकपाल अंशु त्यागी इस ?स्थिति पर चिंता जताती हैं। उन्होंने कहा कि मेरठ मंडल में बड़ी संख्या में मजदूर ऐसे हैं जिन्हें पांच साल से काम नहीं मिला है। काम कराकर भुगतान न करने की शिकायतें भी मिली हैं। मजदूर मौखिक रूप से भी काम की मांग कर सकता है। माछरा, रजपुरा, खरखौदा समेत कई ब्लाकों के बीडीओ को नोटिस भेजा गया है। अंशु त्यागी ने कहा कि काम न देने तथा धांधली की शिकायतों पर उन्हें सुनवाई करके आदेश पारित करने का अधिकार है। मनरेगा योजना में पंजीकृत मजदूरों को 100 दिन काम हर हाल में दिया जाना है। इसमें कोई बहाना नहीं चलेगा। मेरठ की मुख्य विकास अधिकारी ईशा दुहन भी मेरठ में मनरेगा की प्रगति पर नाखुशी जताते हुए कहती हैं कि मनरेगा मजदूरों से मनमानी करने का अधिकार किसी को नहीं है। कई साल से मजदूरी न मिलने के मामलों की गंभीरता से जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। मनरेगा मजदूरों को हर हाल में रोजगार मिलेगा।

मनरेगा के तहत वर्ष 2019.20 में मिला रोजगार

ब्लाक पंजीकृत मजदूर रोजगार पाने वाले

हस्तिनापुर 11793 4720

परीक्षितगढ़ 11425 1113

रोहटा 3255 402

मेरठ 1967 383

खरखौदा 3638 403

दौराला 5004 376

सरूरपुर 5152 230

मवाना 4873 555

सरधना 3109 369

जानीखुर्द 3119 409

माछरा 5138 431

रजपुरा 3458 279

कुल 61,931 9670

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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