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पहले भी केंद्र को मुसीबत में डाल चुके हैं मलिक, विवादित बयानों से पुराना नाता
राज्यपाल के पद पर बैठे मलिक के सियासी बयान पर लोगों को हैरानी हो रही है मगर यह पहला मौका नहीं है जब मलिक ने सरकार को मुसीबत में डाला है। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में भी मलिक ने कई बार विवादित बयान देकर सरकार को मुसीबत में डाल दिया था।
अंशुमान तिवारी
नई दिल्ली। मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार की ओर से पारित नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले मलिक ने अपने गृह जनपद बागपत के एक अभिनंदन समारोह में किसानों की हालत पर चिंता भी जताई।
राज्यपाल के पद पर बैठे मलिक के सियासी बयान पर लोगों को हैरानी हो रही है मगर यह पहला मौका नहीं है जब मलिक ने सरकार को मुसीबत में डाला है। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में भी मलिक ने कई बार विवादित बयान देकर सरकार को मुसीबत में डाल दिया था। जम्मू-कश्मीर से मेघालय भेजे जाने से पहले भी उन्होंने अपने तबादले की आशंका जताकर मुसीबतें पैदा की थीं।
सरकार बदहाल किसानों के बारे में सोचे
मलिक के गृह जनपद बागपत के अमीनगर सराय में रविवार को अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया था। इस समारोह में बोलते हुए मलिक ने कहा कि सरकार को किसानों के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि किसान बदहाल स्थिति में पहुंच चुका है। उन्होंने एमएसपी को कानूनी दायरे में लाने की भी वकालत की और ऐसा कदम उठाने पर आंदोलन किसान आंदोलन खत्म करा देने का दावा तक कर डाला।
टिकैत की गिरफ्तारी रुकवाने का दावा
उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने ही फोन करके किसान नेता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी रुकवाई थी। मलिक ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर मुझे कुछ भी करना पड़े तो मैं करने को तैयार हूं क्योंकि मुझे उनकी तकलीफें मालूम हैं।
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मलिक ने भविष्यवाणी की कि किसान दिल्ली से खाली हाथ वापस नहीं जाएंगे और यदि चले भी गए तो 300 साल तक इस बात को नहीं भूलेंगे। ऐसे में सरकार को एमएसपी पर कानूनी मान्यता देने दे देनी चाहिए। मैं इस बात की जिम्मेदारी लेता हूं कि आंदोलन को खत्म करा दूंगा।
विधानसभा भंग करने पर दिया था यह बयान
अपने विवादित बयानों के कारण मलिक पहले भी अक्सर सुर्खियों में रहे हैं। नवंबर 2018 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मलिक ने बयान दिया था कि अगर मैं दिल्ली की बात मानता तो मुझे सरकार बनाने के लिए सज्जाद लोन को बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ता, लेकिन यह काम बेईमानी वाला होता। मैंने सारी चीजें खत्म कर दीं। अब कोई मुझे गालियां देना चाहे तो दे सकता है, लेकिन मेरी नजर में जो कदम मैंने उठाया है वही सही है। मलिक ने यह बयान जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के रूप में विधानसभा भंग करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए दिया था। मलिक के इस बयान से केंद्र सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।
तबादले की जताई थी आशंका
इसके दूसरे दिन मलिक ने एक कार्यक्रम में अपने तबादले की आशंका जताई थी। उनका कहना था कि मुझे तबादले का डर सता रहा है। उनका कहना था कि उन्हें पद से तो नहीं हटाया जाएगा, लेकिन उन्हें नहीं पता कि मुझे किसी दूसरे राज्य में भेज दिया जाएगा। बाद में मलिक की आशंका सही निकली है और उन्हें जम्मू कश्मीर से मेघालय भेज दिया गया।
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अब बातें कर पाएंगे लड़के-लड़कियां
जम्मू-कश्मीर में पोस्टपेड मोबाइल सेवा बहाल होने के बाद सतपाल मलिक ने 15 अक्टूबर 2019 को अजीबोगरीब बयान दिया था। मोबाइल सेवा बहाल होने के बाद कठुआ के पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में मलिक ने कहा था कि अब जम्मू कश्मीर के नौजवान लड़के-लड़कियों की परेशानी दूर हो जाएगी क्योंकि वे आपस में खूब बातें कर पाएंगे।
जूतों से पीटे जाएंगे विरोधी नेता
2019 के अगस्त महीने में भी मलिक अपने एक विवादित बयान के कारण चर्चा में रहे थे। उस समय उन्होंने धारा 370 के विरोध के संबंध में विवादित बयान दिया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान के आधार पर पाकिस्तान की ओर से यूएन को भेजी गई चिट्ठी के संबंध में उन्होंने विवादित बयान दिया था। उनका कहना था कि जो लोग 370 के हिमायती हैं, लोग उन्हें जूतों से मारेंगे।
भ्रष्ट नेताओं और नौकरशाहों को मारें आतंकी
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के रूप में मलिक ने 22 जुलाई 2019 को भी अपने बयान से किरकिरी कराई थी। करगिल में भाषण के दौरान उन्होंने कहा था कि आतंकियों को पुलिस वालों की जगह भ्रष्ट राजनेताओं और नौकरशाहों की हत्या करनी चाहिए। यही लोग राज्य को लूटने में जुटे हुए हैं। इसलिए आतंकियों को ऐसे लोगों को ही निशाना बनाना चाहिए।
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बाद में उन्होंने सफाई पेश करते हुए कहा था कि मेरी व्यक्तिगत भावना ऐसी नहीं थी मगर भ्रष्टाचारी नेताओं और नौकरशाहों के प्रति अपने गुस्से के कारण मैंने ऐसा बयान दे दिया था।
दिल्ली की नाराजगी का सताता है डर
इसी तरह 22 अक्टूबर 2019 को सतपाल मलिक ने कहा था कि मुझे अपने बयानों पर तीन-तीन दिन तक सफाई देनी पड़ती है। उनका कहना था कि कई बार मेरे मुंह से ऐसी बातें निकल जाती हैं जिन पर मुझे सफाई देनी पड़ती है। साथ ही इस बात का भी डर लगा रहता है कि दिल्ली में कहीं कोई नाराज न हो जाए। इन बयानों से समझा जा सकता है कि राज्यपाल के पद पर बैठे मलिक ने पहली बार विवादित बयान नहीं दिया है बल्कि विवादित बयानों से उनका पुराना नाता रहा है।
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