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200 से अधिक पायलट गवां चुके हैं अपनी जान, रूस MiG - 21फाइटर प्लेन को 1985 में कर चुका रिटायर, फिर भारत की क्या है मजबूरी

Mig-21 Fighter Jet : करीब 200 पायलट अपनी जान गवाँ चुके हैं क्योंकि रूस के Mig-21 फाइटर प्लेन 1985 में रिटायर कर दिए गए थे। फिर भारत को इन प्लेनों की जरूरत पड़ी और वे इसे खरीदने में मजबूर हुआ। इससे पहले भारत अमेरिका और ईस्ट जर्मनी से फाइटर प्लेन खरीद रहा था

Jyotsna Singh
Published on: 10 May 2023 4:15 PM GMT (Updated on: 10 May 2023 4:26 PM GMT)
200 से अधिक पायलट गवां चुके हैं अपनी जान, रूस MiG - 21फाइटर प्लेन को 1985 में कर चुका रिटायर, फिर भारत की क्या है मजबूरी
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MiG 21 (SOCIAL MEDIA)

Mig-21 Fighter Jet : आज भारतीय वायु सेना का विमान मिग-21 की क्रैश की घटना ने इस फाइटर प्लेन से जुड़ी पिछले कुछ समय में घटी ऐसी ही दुर्घटनाओं को एक बार फिर ताजा कर दिया है। इन घटनाओं पर सिलसिलेवार गौर करें तो अभी तक करीब 400 से अधिक मिग लड़ाकू जहाज ऐसे ही क्रैश के शिकार हो चुके हैं। जिनमें वायुसेना के 200 से अधिक पायलट शहीद हुए और ढाई सौ से ज्यादा बेकसूर आमजनों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। एक्सपर्ट्स की राय के मुताबिक, भारतीय सेना के पास विकल्प के तौर पर मिग 21 जैसा फाइटर प्लेन नहीं है, वायुसेना को मिग-21 का विकल्प तलाशने पर काम चल रहा है। विकल्प मिलने पर इसे रिटायर किया जा सकता था।

मिग-21 को उड़ाने का अनुभव ले चुके रिटायर्ड एक भारतीय वायुसेना अधिकारी ने कहा था कि, राष्ट्र की सुरक्षा की दृष्टि से पुराने लड़ाकू जहाजों को तुरंत लिस्ट आउट किया जाना चाहिए। इसके अलावा और भी कई वायुसेना अधिकारियों का यही कहना है कि कुछ अहम वजहों से मिग-21 का प्रयोग अब पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए। भारत सरकार के पास इस लड़ाकू विमान के समकछ कोई दूसरा विकल्प न होने के कारण मिग 21 को शामिल रखना उसकी एक मजबूरी बन चुका है। हालांकि 2,300 प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ान भरने वाला स्वदेशी फाइटर प्लेन 'तेजस' को सेना में शामिल करने की प्रक्रिया पर पूरी तरह काम चल रहा है। इस विमान के सभी तय मानकों पर खरा उतरने के बाद मिग-21 की जगह तेजस को रिप्लेस किया जा सकता हैं।

Mig 21 स्पेसिफिकेशंस

रूस इस फाइटर प्लेन को 1985 में रिटायर कर चुका है, लेकिन भारतीय वायु सेना में आज भी इन जहाजों को प्रयोग में लाया जा रहा है। मिग-21 के इतिहास की बात करें तो इस फाइटर प्लेन को सन साठ के दशक में तत्कालीन सोवियत संघ यानी की रूस से खरीदा गया था। सन 1971 की लड़ाई में इस जहाज ने अपनी तूफानी मारक क्षमता से दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। पाकिस्तान के साथ 1965 और 1999 की लड़ाई में भी इस लड़ाकू जहाज ने बड़ी ही जबांजी के साथ अपने दमखम से दुश्मनों को वापस लौटने के लिए मजबूर किया था। ऐसी ही एक ऐतिहासिक घटना में इसका भी जिक्र आता है जब ढाका के गवर्नर हाउस पर मिग-21 ने ही अटैक किया था। Mig 21 फाइटर प्लेन एक समय था जब इसको अपनी सेना रक्षा बेड़ा में शामिल करके अपनी शान बघारते नहीं थकते थे। यह जहाज सबसे ज्यादा इस बात के लिए ये प्रसिद्ध था कि ये पूरी सूझ बूझ और कुशल नियंत्रण के साथ उड़ाया जाए तो आपको किसी भी तरह की दुर्घटना से सुरक्षित रखने में सक्षम है। ये चीटिंग नहीं करता। लेकिन पिछले कुछ सालों से लगातार घट रही इस जहाज के क्रैश होने की घटनाएं अब इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगाती हैं। हालांकि भारतीय सैन्य सुरक्षा बेड़े में शामिल इस पुराने हो चुके फाइटर प्लेन को अपग्रेड करने का काम चल रहा है।

स्पेयर पार्ट्स का प्रोडक्शन बंद होना एक बड़ी वजह

दुनिया के करीब साठ देशों के लड़ाकू जहाजों के बेड़े में 'मिग-21' सुपरसोनिक ने जम कर अपना जलवा दिखाया लेकिन अब इसकी उम्र जरूरत से ज्यादा हो जाने के कारण ज्यादातर देशों ने, इस जहाज को रिटायरमेंट दे दिया है। लेकिन इस शानदार फाइटर प्लेन के प्रति भारत का मोह अभी भंग नहीं हुआ है। जबकि तय समय सीमा के हिसाब से 1990 के दशक में इसका प्रयोग बंद हो जाना चाहिए था। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा इस विमान को अपग्रेड करने का भी प्रयास किया लेकिन रूस इसका निर्माण काफी पहले ही बंद कर चुका है, ऐसे में स्पेयर पार्ट्स का संकट आ गया। अब इन विमानों को दुरुस्त करने के लिए पहले वाले पुर्जों से ही काम चलाना पड़ रहा है।अब स्पेयर पार्ट्स की किल्लत के चलते अब इस फाइटर प्लेन का प्रयोग किया जाना सुरक्षित नहीं रह गया है। मिग-21 को अब इसकी समय सीमा से ज्यादा उड़ाया जा चुका है।

Jyotsna Singh

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