उग्रवाद को जड़ से मिटाने के लिए मोदी सरकार ने इस अहम समझौते पर किए हस्ताक्षर

भारत सरकार ने प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी गुटों के प्रतिनिधियों के साथ गृह मंत्रालय में त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

Aditya Mishra
Published on: 27 Jan 2020 10:29 AM GMT
उग्रवाद को जड़ से मिटाने के लिए मोदी सरकार ने इस अहम समझौते पर किए हस्ताक्षर
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नई दिल्ली: भारत सरकार ने प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी गुटों के प्रतिनिधियों के साथ गृह मंत्रालय में त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस मौके पर गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल भी मौजूद थे।

अमित शाह ने कहा, 'आज केंद्र, असम सरकार और बोडो प्रतिनिधियों ने एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता असम के लिए और बोडो लोगों के लिए एक सुनहरा भविष्य सुनिश्चित करेगा।'

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एनडीएफबी के सभी गुटों के प्रतिनिधियों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने को लेकर शाह ने कहा, '130 हथियारों के साथ 1550 कैडर 30 जनवरी को आत्मसमर्पण करेंगे। गृह मंत्री के तौर पर मैं सभी प्रतिनिधियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सभी वादे समयबद्ध तरीके से पूरे होंगे।'

वहीं असम के मंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने कहा, 'बोडो समाज के सभी हितधारकों ने असम की क्षेत्रीय अखंडता की पुष्टि करते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।'

लंबे समय से बोडो राज्य की मांग करते हुए आंदोलन चलाने वाले ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू) ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस त्रिपक्षीय समझौते पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, एनडीएफबी के चार गुटों के नेतृत्व, एबीएसयू, गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव सत्येंद्र गर्ग और असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्णा ने गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए।

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक समझौता है। उन्होंने कहा कि इससे बोडो मुद्दे का व्यापक हल मिल सकेगा।

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