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UCC: ओपी राजभर ने फिर चला सियासी दांव, यूसीसी का किया समर्थन
UCC: ओपी राजभर ने देश में ज्वलंत मुद्दा बना सामान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर अपना स्टैंड साफ कर दिया है।
UCC: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर अपने बयानों से लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए में घर वापसी के अटकलों के बीच कभी वे जातिगत जनगणना का समर्थन करते हैं तो कभी सपा-कांग्रेस पर जोरदार हमला बोलते हैं। इस बीच ओपी राजभर ने देश में ज्वलंत मुद्दा बना सामान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर अपना स्टैंड साफ कर दिया है।
ऐसे समय में जब यूसीसी को लेकर तमाम बड़े विपक्षी दल और यहां तक की एनडीए के भी कुछ घटक दल विरोध में नजर आ रहे हैं, सुभासपा सुप्रीमो ने इसकी जोरदार पैरवी की है। पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने लखनऊ में आयोजित पार्टी की बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सामान नागरिक संहिता को देशहित में बताते हुए इसका समर्थन करने का ऐलान किया है।
सभी के लिए एक कानून होना चाहिए
सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने लखनऊ के चारबाग स्थित रविंद्रालय ऑडिटोरियम में आयोजित पार्टी के प्रदेश स्तरीय सम्मेलन के जरिए बड़ा सियासी दांव चला है। राजभर ने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि देश में सभी नागरिकों के लिए एक कानून होना चाहिए। इसलिए हम यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) का समर्थन करते हैं। सुभासपा प्रमुख ने कहा कि जो भी देशहित में होगा, हम उसका समर्थन करेंगे। उन्होंने इस दौरान यहां तक कह दिया कि अगर गोवा में यूसीसी लागू है तो बाकी के राज्यों में लागू क्यों नहों हो सकता ?
2024 को लेकर दिया बड़ा बयान
राजधानी लखनऊ में बुलाई गई सुभासपा की इस बैठक को आगामी लोकसभा चुनाव के दृष्टिकोण से काफी अहम माना जा रहा है। ओमप्रकाश राजभर ने प्रदेश की दोनों बड़ी पार्टियों भाजपा और सपा को अपनी सियासी ताकत के बारे में बताते हुए कहा कि लोकसभा में 30 सीटों पर हमारी पार्टी मजबूत है। इसलिए हमारे समर्थन के बिना कोई भी पार्टी दिल्ली में सरकार नहीं बना पाएगी। आगामी चुनाव में हमारी पार्टी की भूमिका निर्णायक होगी।
एनडीए में शामिल होने की अटकलें तेज
सुभासपा सुप्रीमो ओमप्रकाश राजभर पिछले काफी समय से तमाम ऐसे संकेत दे रहे हैं, जिससे उनके एनडीए में शामिल होने की अटकलें जोर पकड़ रही हैं। खासकर उनके निशाने पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के होने के कारण इन्हें और बल मिलता है। इस बीच उन्होंने यूसीसी जैसे बीजेपी के कोर एजेंडे को सर्पोट कर तस्वीर काफी हद तक स्पष्ट कर दी है। हालांकि, राजभर बीच-बीच में जातिगत जनगणना जैसे बीजेपी को असहज करने वाले मुद्दे उठाकर भगवा दल पर प्रेशर बनाने की कोशिश भी करते हैं। लोकसभा चुनाव में फिलहाल 8 महीने शेष हैं, ऐसे में क्या सुभासपा और भाजपा के रिश्ते दोबारा परवान चढ़ पाते हैं या नहीं, आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएगा।