जानिए क्यों महाराष्ट्र में गर्भाशय निकलवा रहीं महिलाएं, वजह जानकर चौंक जाएंगे

महाराष्ट्र में एक ऐसा मामला सामने आया जिसे जानकर आप चौंक जाएंगे। जी हां प्रदेश में हजारों महिलाएं पेट पालने के लिए गर्भाशय निकलवाने के लिए मजबूर हैं। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के आए दिन मामले सामने आते रहते हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 25 Dec 2019 4:17 PM GMT
जानिए क्यों महाराष्ट्र में गर्भाशय निकलवा रहीं महिलाएं, वजह जानकर चौंक जाएंगे
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मुंबई: महाराष्ट्र में एक ऐसा मामला सामने आया जिसे जानकर आप चौंक जाएंगे। जी हां प्रदेश में हजारों महिलाएं पेट पालने के लिए गर्भाशय निकलवाने के लिए मजबूर हैं। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के आए दिन मामले सामने आते रहते हैं। अब गरीब मजदूर महिलाओं द्वारा गर्भाशय निकलवाने की मजबूरी भरी दास्तां सामने आई है जो हजारों में है।

इस मुद्दे को सरकार में शामिल कांग्रेस के एक नेता ने उठाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को इस मामले पर पत्र लिखा है। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में मजदूरी बचाने के लिए महिलाओं द्वारा गर्भाशय निकलवा देने के कई मामले सामने आ चुके हैं।

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इस क्षेत्र के लोगों की आर्थिक हालात इतने खराब हैं कि पुरुषों के साथ महिलाएं भी हर दिन मजदूरी पर जाती हैं, लेकिन मासिक धर्म के दौरान उन्हें छुट्टी लेनी पड़ती है और इस वजह से उन्हें हर महीने 4-5 दिन के पैसे नहीं मिलते। पेट पालने की मजबूरी में महिलाएं अपना गर्भाशय निकलवा देती हैं।

इसको लेकर कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितिन राउत ने सीएम उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर मांग की है कि हस्तक्षेप करें। नितिन राउत के मुताबिक, इस क्षेत्र में गन्ना श्रमिकों में महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा है और वे अपनी मजदूरी बचाने के चक्कर में गर्भाशय ही निकलवा देती हैं।



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नितिन राउत ने सीएम उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर कहा कि माहवारी के दिनों में बड़ी संख्या में महिला मजदूर काम नहीं करती हैं। काम से अनुपस्थित रहने के कारण उन्हें मजदूरी नहीं मिलती है। ऐसे में पैसों की हानि से बचने के लिए महिलाएं अपना गर्भाशय ही निकलवा दे रही हैं, ताकि माहवारी ना हो और उन्हें काम से छुट्टी ना करनी पड़े।

कांग्रेस नेता राउत ने बताया कि ऐसी महिलाओं की संख्या करीब 30,000 है। राउत के मुताबिक गन्ने का सीजन छह महीने का होता है। इन महीनों में अगर गन्ना पेराई फैक्टरियां प्रति महीने चार दिन की मजदूरी देने को राजी हो जाएं तो इस समस्या का समाधान निकल सकता है।

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नितिन राउत ने अपने पत्र में ठाकरे से अनुरोध किया है कि वह मानवीय आधार पर मराठवाड़ा क्षेत्र की इन गन्ना महिला मजदूरों की समस्या के समाधान के लिए संबंधित विभाग को आदेश दें। राउत के पास पीडब्ल्यूडी, आदिवासी मामले, महिला एवं बाल विकास, कपड़ा, राहत एवं पुनर्वास मंत्रालय विभाग हैं।

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