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लॉकडाउन का चमत्कार: गंगा नदी हुई साफ़, पानी की गुणवत्ता में 50 प्रतिशत तक सुधार
आईआईटी-बीएचयू के एक प्रोफेसर ने बताया कि गंगा में प्रदूषण का दसवां हिस्सा उद्योगों, आसपास के होटलों और अन्य स्रोतों से आता है। इन सभी के बंद होने से पानी की गुणवत्ता में 40 से 50 प्रतिशत तक का सुधार हुआ है।
नई दिल्ली: कोरोना के संक्रमण को देखते हुए इसे फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को ही 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। इस लॉकडाउन का परिणाम ये हुआ है कि लोगों के घरों में रहने और कारखानों में पूरी तरह से ताला लगे होने के कारण अब वाराणसी और हरिद्वार से बहने वाली गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता काफी बेहतर हो गई है। वैज्ञानिकों का दावा है कि गंगा का पानी इतना स्वच्छ हो गया है कि उसे सीधे पिया जा सकता है।
हरिद्वार में गंगा नदी हुई पूरी तरह साफ़
एक रिपोर्ट के मुताबिक हरिद्वार के घाट पूरी तरह से बंद होने के कारण कोई भी गंगा नदी में नहाने नहीं आ रहा है। लोगों के गंगा में डुबकी न लगाने और कचरा न फेंके जाने से पानी पूरी तरह से साफ दिखाई देने लगा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अब गंगा नदी में मछलियों को आसानी से देखा जा सकता है।
पानी की गुणवत्ता में 40 से 50 प्रतिशत तक का सुधार
आईआईटी-बीएचयू के एक प्रोफेसर ने बताया कि गंगा में प्रदूषण का दसवां हिस्सा उद्योगों, आसपास के होटलों और अन्य स्रोतों से आता है। इन सभी के बंद होने से पानी की गुणवत्ता में 40 से 50 प्रतिशत तक का सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में बारिश हो जाने से गंगा का जल स्तर भी काफी बढ़ गया है।
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गंगा के साथ ही यमुना का पानी भी हुआ साफ
वैज्ञानिकों के मुताबिक गंगा ही नहीं, यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता में भी बेहतरीन सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि गंगा और यमुना नदी काफी साफ हो गई हैं। लॉकडाउन के साथ ही बारिश ने भी दोनों नदियों के जलस्तर पर सुधार किया है। लॉकडाउन में पसरे सन्नाटे का ही असर है कि जो पक्षी यहां से चले गए थे वह एक बार फिर गंगा घाट के आसपास दिखाई देने लगे है।
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