चंद्रयान-2 से आई बड़ी खबर: ऑर्बिटर बनेगा संकटमोचक, अभी भी है उम्मीद

अब फिर से एक नई उम्मीद के साथ लैंडर विक्रम ने देश को आशा की किरण दिखाई है। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार, चांद की सतह पर मौजूद लैंडर विक्रम बिल्कुल ठीक-ठाक है और वो कहीं से टूटा-फूटा भी नहीं हुआ है।

Vidushi Mishra
Published on: 11 April 2023 9:35 PM GMT (Updated on: 11 April 2023 10:56 PM GMT)
चंद्रयान-2 से आई बड़ी खबर: ऑर्बिटर बनेगा संकटमोचक, अभी भी है उम्मीद
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चंद्रयान-2 से आई बड़ी खबर: ऑर्बिटर बनेगा संकटमोचक, अभी भी है उम्मीद

नई दिल्ली : बीते दिनों मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को लेकर लोगों की आशा निराशा में तबदील हो गई थी। लेकिन अब फिर से एक नई उम्मीद के साथ लैंडर विक्रम ने देश को आशा की किरण दिखाई है। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार, चांद की सतह पर मौजूद लैंडर विक्रम बिल्कुल ठीक-ठाक है और वो कहीं से टूटा-फूटा भी नहीं हुआ है। हां लेकिन वो सतह पर एक तरफा झुका हुआ पड़ा है।

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इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा कि हम विक्रम से संपर्क करने की लगातार हर संभव कोशिश कर रहे हैं। अभी हमने उम्मीद नहीं छोड़ी है। चांद की सतह से सिर्फ 2.1 किमी दूर रहने के दौरान ही खोए हुए विक्रम को इसरो ने एक दिन पहले ही खोज निकाला था। विक्रम को सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी, मगर वो हार्ड लैंडिंग का शिकार हो गया।

इसके बाद एक और वैज्ञानिक से बातचीत में बताया कि विक्रम लैंडर की स्थिति पहले जैसी ही बनी हुई है। उससे संपर्क करना बेहद मुश्किल होता जा रहा है। उम्मीद कम होती जा रही है। अगर इसने सॉफ्ट लैंडिंग की होती, तो इसकी सारी प्रणाली कार्य कर रही होतीं।

ऐसी स्थिति में तब हम इससे आसानी से संपर्क कर सकते थे। हालांकि, इसकी अब तक की स्थिति अच्छी है। एक और वैज्ञानिक ने बताया कि अगर विक्रम का एंटीना ग्राउंड स्टेशन या फिर ऑर्बिटर की ओर होगा तो उससे संपर्क की उम्मीद बढ़ सकती है।

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ऑर्बिटर एजेंसी के लिए संकटमोचक

चंद्रयान मिशन से जुडे़ एक वैज्ञानिक ने बताया, विक्रम लैंडर का ऊर्जा का खपत करना कोई मुद्दा नहीं है। उसे यह ऊर्जा सौर पैनलाें से ही मिल सकती हैं, जो उसके चारों ओर हैं और अपनी अंदरूनी बैटरियों से भी उसे यह ऊर्जा हासिल हो सकती है।

उन्होंने बताया कि इसरो की एक टीम इसरो टेलीमेट्र्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क पर विक्रम से संचार कायम करने के काम में दिन-रात लगी हुई है।

इसके साथ ही इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि चांद के आसमान में चक्कर काट रहे चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर एजेंसी के लिए संकटमोचक जैसा है। ऑर्बिटर में इतना ईंधन है कि वह निर्बाध गति से अपने काम को सात साल तक बखूबी अंजाम देता रहेगा।

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ऑर्बिटर का चंद्रमा पर कार्यकाल

वैज्ञानिक अब ऑर्बिटर के पहले से तय एक साल के कार्यकाल को बढ़ाकर सात साल तक करने जा रहे हैं, जिससे मिशन के बाकी उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। यह चंद्रमा के वजूद और उसके विकास के बारे में हमारी समझ को बढ़ाने में मददगार साबित होगा। ऑर्बिटर पर लगा हाई रिजोल्यूशन वाला कैमरा किसी भी चंद्र मिशन में लगने वाले कैमरों में सबसे बड़ा (0.3 मीटर) है।

लैंडर के 70% सध जाने की संभावना

इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने विक्रम लैंडर के ठीक-ठाक होने की जानकारी मिलने पर कहा कि विक्रम से दोबारा संपर्क साधे जाने की अब भी 70% तक संभावना है। वहीं, वैज्ञानिक और डीआरडीओ के पूर्व संयुक्त निदेशक वीएन झा ने भी कहा कि किसी भी दिन विक्रम से इसरो केंद्र का संपर्क जुड़ सकता है।

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Vidushi Mishra

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