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दुलारी देवी: कभी झाड़ू पोछा करके होता था गुजारा, अब मिला पद्मश्री
मिथिला पेंटिंग कलाकार दुलारी देवी को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। बिहार के मधुबन जिले के रांटी गांव में रहने वाली दुलारी देवी पढ़ी-लिखी नहीं हैं। कभी झाड़ू पोछा करके गुजारा कराती थीं लेकिन अब पद्मश्री सम्मान से अलंकृत की जाएंगी।
नई दिल्ली: मिथिला पेंटिंग कलाकार दुलारी देवी को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। बिहार के मधुबन जिले के रांटी गांव में रहने वाली दुलारी देवी पढ़ी-लिखी नहीं हैं। कभी झाड़ू पोछा करके गुजारा कराती थीं लेकिन अब पद्मश्री सम्मान से अलंकृत की जाएंगी। मधुबनी पेंटिंग ने दुलारी देवी को दुनियाभर में शोहरत दिलाई।
पूर्व राष्ट्रपति भी थे उनकी कला के प्रशंसक
एक भी क्लास में नहीं पढ़ी दुलारी देवी बड़ी मुश्किल से हस्ताक्षर और अपने गांव का नाम लिख लेती हैं। मगर, इनके कला-कौशल की चर्चा कला जगत की नामचीन पत्र-पत्रिकाओं तक में होती है। इनके मुरीदों में कई बड़े नाम शामिल हैं। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी उनकी कला के प्रशंसक रहे। मल्लाह जाति की बेहद गरीब परिवार में जन्मीं दुलारी देवी का विवाह 12 साल की उम्र में हो गया था।
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File Photo
ऐसे शुरू हुआ कला का सफर
लोगों के घरों में काम करने के दौरान दुलारी देवी की मुलाकात प्रख्यात मधुबनी पेंटिंग कलाकार कपूरी देवी से हुई। कपूरी देवी के संपर्क में आने के साथ ही दुलारी देवी की कला का सफर शुरू हो गया। इस दौरान दुलारी अपने घर-आंगन को माटी से पोतकर, लकड़ी की कूची बना कल्पनाओं को आकृति देने लगीं। कर्पूरी देवी का साथ पाकर दुलारी ने मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना ली।
किताबों तक में दुलारी की गाथा दर्ज
खास बात ये है कि दुलारी अब तक सात हजार मिथिला पेंटिंग विविध विषयों पर बना चुकी हैं। 2012-13 में दुलारी राज्य पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। गीता वुल्फ की पुस्तक 'फॉलोइंग माइ पेंट ब्रश' और मार्टिन लि कॉज की फ्रेंच में लिखी पुस्तक मिथिला में दुलारी की जीवन गाथा व कलाकृतियां सुसज्जित है। इतना ही नहीं सतरंगी नामक पुस्तक में भी इनकी पेंटिग ने जगह पाई है। इसके अलावा इग्नू के लिए मैथिली में तैयार किए गए आधार पाठ्यक्रम के मुखपृष्ठ के लिए भी इनकी पेंटिग चुनी गई।
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