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शिवसेना को झटका: राज ठाकरे ने उठाया ये बड़ा कदम, आसान नहीं आगे का सफर

महाराष्ट्र का सियासी मिजाज अब बदल चुका है। शिवसेना की पुरानी दोस्त बीजेपी अब उसकी सियासी दुश्मन बन चुकी है तो कभी वैचारिक विरोधी रही कांग्रेस-एनसीपी ही आज..

Deepak Raj
Published on: 23 Jan 2020 2:21 PM IST
शिवसेना को झटका: राज ठाकरे ने उठाया ये बड़ा कदम, आसान नहीं आगे का सफर
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मुंबई। महाराष्ट्र का सियासी मिजाज अब बदल चुका है। शिवसेना की पुरानी दोस्त बीजेपी अब उसकी सियासी दुश्मन बन चुकी है तो कभी वैचारिक विरोधी रही कांग्रेस-एनसीपी ही आज उसकी सबसे बड़ी सारथी हैं। ऐसे में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की राजनीतिक विरासत के असल वारिस बनने की जंग तेज हो गई है।

उद्धव ठाकरे अयोध्या राममंदिर जाकर संदेश देना चाहते हैं तो महाराष्ट्र नव निर्माण पार्टी (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे बाल ठाकरे की जयंती के दिन से अपनी विचारधारा को 'मराठी मानुष' से 'हिंदुत्व' की ओर ले जाने की तैयारी में है। हिंदुत्व अवतार के लिए एमएनएस का नारा और पार्टी का झंडा बदलेंगे।

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शिवसेना से नाता तोड़ने के बाद राज ठाकरे पहली बार बाला साहेब ठाकरे के जयंती पर पूरे दिन का कार्यक्रम कर रहे हैं। राज ठाकरे इस मौके पर अपनी पार्टी झंडा बदल रहे हैं।

एमएनएस ने झंडे को अब भगवा रंग दिया गया

एमएनएस के पांच रंग के झंडे को अब भगवा रंग दिया गया है। भगवा ध्वज पर शिवाजी की मुहर है और उस पर संस्कृत में श्लोक लिखा गया है- 'प्रतिपच्चन्द्रलेखेव वर्धिष्णुर्विश्ववन्दिता, शाहसूनो: शिवस्यैषा मुद्रा भद्राय राजते।'

बात दें कि शिवाजी से पहले, मराठों की मुहरें फारसी में हुआ करती थी। शिवाजी ने सांस्कृतिक प्रवृत्ति शुरू की, जिसका अनुपालन उनके वंशजों और अधिकारियों ने किया। अब इसी राह पर राज ठाकरे चलते हुए नजर आ रहे हैं।

भगवा पर किसी का कॉपीराइट नहीं है

एमएनएस की ओर से महाअधिवेशन के लिए लगाए पोस्टर पूरी तरह से भगवा रंग में है, जिस पर नारा दिया गया 'महाराष्ट्र धर्म के बारे में सोचो, हिंदू स्वराज्य का निर्धारण करो।' पार्टी नेता संदीप देशपांडे ने कहा कि भगवा पर किसी का कॉपीराइट नहीं है और पूरा महाराष्ट्र भगवा है। हम भगवा हैं।

इस फैसले से महाराष्ट्र में नई ऊर्जा आएगी और महाराष्ट्र की राजनीति में नए मोड़ और विकल्प खुलेंगे।

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शिवसेना के हिंदुत्व की विचारधारा के सवाल पर देशपांडे ने कहा, 'बोलना और करना दो अलग-अलग बातें हैं। बालासाहेब ठाकरे के निधन के बाद गणेश उत्सव हो या फिर दही हांडी कार्यक्रम इन सब में राज ठाकरे हमेशा आगे रहे है।

बता दें कि राज ठाकरे ने हमेशा अपने आप को बाला साहेब के बाद उत्तराधिकारी के रूप में रखने की कोशिश की है। इसीलिए बाला साहब ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाया तब राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ एमएनएस बना लिया था।

बाल ठाकरे के उत्तराधिकारी राज ठाकरे बनेंगे?

बाला साहेब ठाकरे के निधन के बाद से राज ठाकरे अपने आपको महाराष्ट्र में बाल साहब के असल उत्तराधिकारी के तौर पर रखते रहे हैं। बाल ठाकरे के चाहे व्यक्तित्व की बात हो, भाषण देने की कला या फिर विचारों का खुलापन इन सारी चीजों को राज ठाकरे ने अपना रखा है।

वह बाल ठाकरे की स्टाइल में भाषण देते हैं, वही नारे लगाते हैं और जन समूह को उसी तरह आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं।

MNS क्या बीजेपी के साथ करेंगी दोस्ती

बता दें कि एमएनएस के प्रमुख राज ठाकरे ने पिछले दिनों महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व बीजेपी देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की थी। इसके बाद ये कयास लगाए जा रहे हैं कि एमएनएस और बीजेपी हाथ मिला सकते हैं। राज ठाकरे शिवसेना के कांग्रेस के साथ जाने के बाद खाली हुई जगह को भरने की कोशिश कर रही है।

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बीजेपी के साथ एमएनएस गठबंधन के सवाल पर देशपांडे ने कहा कि यह अच्छा है कि वे स्वागत कर रहे हैं। राज ठाकरे आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन अभी बीजेपी के साथ जाने की कोई चर्चा नहीं है।

उद्धव ठाकरे हिंदुत्व को छोड़ने को तैयार नहीं

राज ठाकरे के हिंदुत्व की दिशा में बढ़ते कदम को देखकर माना जा रहा कि उद्धव ठाकरे अयोध्या की यात्रा करने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने के उपलक्ष्य में अयोध्या जाएंगे और भगवान राम का आशीर्वाद लेंगे।

उद्धव ठाकरे के अयोध्या जाने के बारे में संजय राउत ने एक ट्वीट में बताया, सरकार अपना काम कर रही है और भगवान राम की कृपा से पूरे 5 साल चलेगी।

पिता से किया वादा उद्धव ने किया पूरा

बाला साहेब ठाकरे की जयंती पर शिवसेना ने गुरुवार की शाम को कार्यक्रम रखा है। उद्धव ठाकरे के बाला साहेब ठाकरे के वादे को पूरा करने का समारोह होगा। उद्धव ठाकरे एक समय बाला साहेब ठाकरे से महाराष्ट्र में एक दिन शिवसेना का सीएम होगा। हालांकि इस वादे को पूरा करने के लिए उद्धव ठाकरे को बीजेपी से नाता तोड़कर कांग्रेस-एनसीपी से हाथ मिलाना पड़ा है।

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