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सरकार का बड़ा फैसला: 23 कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने का एलान, इस मौके का इंतज़ार

सरकारी क्षेत्रों में निजीकरण का दौर जारी है। केंद्र सरकार कई सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में हैं। इसमें अब 23 कंपनियों के नाम सामने आये हैं, जिनकी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया पर काम शुरू हो गया है।

Shivani
Published on: 27 July 2020 11:20 PM IST
सरकार का बड़ा फैसला: 23 कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने का एलान, इस मौके का इंतज़ार
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नई दिल्ली: सरकारी क्षेत्रों में निजीकरण का दौर जारी है। केंद्र सरकार कई सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में हैं। इसमें अब 23 कंपनियों के नाम सामने आये हैं, जिनकी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया पर काम शुरू हो गया है। इस बाबत केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी भी मिल चुकी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार ऐसे समय में अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहती है, जब उसे इसकी सही कीमत मिले।

मोदी कैबिनेट ने कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने की दी मंजूरी

दरअसल, केंद्र की मोदी कैबिनेट ने कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसी कड़ी में सार्वजिनिक क्षेत्रों की 23 कंपनियों की सूची तैयार की गयी, जिनकी सरकार हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में हैं और समय का इंतज़ार कर रही है। वित्त मंत्री सिआरामन का कहना है कि कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी को सही कीमत मिलने पर बेचा जाएगा।

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23 कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया पर काम

सीतारमण ने बताया कि पहले ही 22-23 पीएसयू को विनिवेश के लिए मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल चुकी है। ऐसे में अब सरकार की मंशा है कि कम से कम इन कंपनियों में विनिवेश किया जाए। बता दें कि इस वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मोदी सरकार ने 2.10 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा है। इसमें से 1.20 लाख करोड़ रुपये पीएसयू के विनिवेश से आएंगे और 90 हजार करोड़ रुपये वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बेचकर जुटाए जाएंगे।

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आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत निजी भागीदारी खोलने का एलान

बता दें कि सरकार ने पहले ही आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत कई क्षेत्रों को निजी भागीदारी के लिए खोलने का एलान किया था। हालाँकि अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है कि किन सेक्टरों को स्ट्रैटजिक कहा जाएगा। स्ट्रैटजिक सेक्टरों में निजी कंपनियों को आने की अनुमति मिलेगी और इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की केवल चार यूनिट होंगी।

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