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मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार: बढ़ा दबाव, इन 6 मंत्रियों पर टिकी सारी जिम्मेदारी
मोदी के साथ शपथ लेने वाले मंत्रियों में 24 कैबिनेट मंत्री थे जबकि 9 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और 24 राज्य मंत्री। मोदी की दूसरी पारी का सवा साल से अधिक का समय बीत चुका है मगर इस दौरान एक बार भी न तो मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है और न तो उसमें कोई फेरबदल ही किया गया है।
नई दिल्ली पिछले साल 30 मई को प्रधानमंत्री के रूप में अपनी दूसरी पारी शुरू करने वाले नरेंद्र मोदी पर अपने मंत्रिमंडल के विस्तार का दबाव बढ़ने लगा है। उनके दूसरे कार्यकाल का सवा साल से अधिक का समय बीत चुका है मगर उन्होंने अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया है। इस दौरान तीन कैबिनेट मंत्रियों सहित उनके चार मंत्री कम हो गए हैं। हालत यह हो गई है कि एक मंत्री के पास चार मंत्रालय है जबकि पांच मंत्री ऐसे हैं जिनके जिम्मे तीन-तीन मंत्रालयों की जिम्मेदारी है।
57 मंत्रियों के साथ मोदी की दूसरी पारी
अपनी पहली पारी समाप्त करने के बाद पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को बड़ी जीत हासिल हुई थी। जन आकांक्षाओं के भारी बोझ के बीच उन्होंने पिछले साल 30 मई को नए मंत्रिमंडल के साथ अपनी दूसरी पारी शुरू की थी। दूसरी बार मोदी की ताजपोशी के समय उनके साथ 57 मंत्रियों ने शपथ ली थी।
मोदी के साथ शपथ लेने वाले मंत्रियों में 24 कैबिनेट मंत्री थे जबकि 9 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और 24 राज्य मंत्री। मोदी की दूसरी पारी का सवा साल से अधिक का समय बीत चुका है मगर इस दौरान एक बार भी न तो मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है और न तो उसमें कोई फेरबदल ही किया गया है।
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दो करीबी सहयोगी एनडीए से अलग
पीएम मोदी की दूसरी पारी के दौरान अब तक चार मंत्री कम हो चुके हैं। इनमें तीन कैबिनेट मंत्री शामिल हैं। मोदी की दूसरी पारी के दौरान एनडीए के दो करीबी सहयोगी गठबंधन से अलग हो चुके हैं।
पहले महाराष्ट्र में सरकार बनाने के मुद्दे पर शिवसेना ने साथ छोड़ा और फिर कृषि विधेयकों को संसद से पारित कराने के विरोध में अकाली दल एनडीए से अलग हो गया। शिवसेना और अकाली दल को भाजपा का सबसे मजबूत साथी माना जाता था मगर अब इन दोनों ने भाजपा का साथ छोड़ दिया है।
पासवान के निधन से तीन कैबिनेट मंत्री हुए कम
शिवसेना के एनडीए से अलग होने के बाद अरविंद सावंत ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। दूसरी ओर अकाली दल के एनडीए से अलग होने के बाद हरसिमरत कौर बादल ने मोदी कैबिनेट छोड़ दी थी। अब रामविलास पासवान का निधन हो जाने के कारण कैबिनेट मंत्री का एक और पद खाली हो गया है। इसके पहले रेल राज्य मंत्री और कर्नाटक के मजबूत नेता और रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगाड़ी का भी निधन हो गया था।
छह मंत्रियों पर है विभागों का बोझ
तीन कैबिनेट मंत्रियों और एक राज्य मंत्री के कम होने के कारण कुछ मंत्रियों पर काम का काफी बोझ बढ़ गया है। उन्हें एक साथ कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालने पड़ रही है। नरेंद्र सिंह तोमर के पास कृषि और ग्रामीण विकास का महत्वपूर्ण मंत्रालय होने के साथ ही पंचायती राज, उपभोक्ता एवं खाद्य मंत्रालय भी है। मोदी कैबिनेट के पांच मंत्रियों पीयूष गोयल, रविशंकर प्रसाद, डॉक्टर हर्षवर्धन, प्रहलाद जोशी और प्रकाश जावड़ेकर के पास तीन-तीन मंत्रालयों की जिम्मेदारी है।
सोशल मीडिया
मोदी पर बढ़ा रहा है विस्तार का दबाव
सियासी जानकारों का कहना है कि मोटे तौर पर केंद्रीय कैबिनेट में करीब 70 मंत्रियों की जरूरत होती है और पिछली मोदी सरकार में भी इतने ही मंत्री रखे गए थे मगर अब मंत्रियों की संख्या कम हो गई है। कई मंत्रियों पर काम का बोझ बढ़ जाने के कारण पीएम मोदी पर मंत्रिमंडल विस्तार का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
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बिहार चुनाव के बाद विस्तार की संभावना
जानकार सूत्रों का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव के कारण केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार और फेरबदल रुका हुआ है। उम्मीद जताई जा रही है कि बिहार के नतीजे आने के बाद मोदी इस दिशा में कदम उठाएंगे। हाल में भाजपा के संगठन में भी फेरबदल किया गया था।
ऐसे में जिन नेताओं को संगठन के काम से मुक्त किया गया है, उन्हें कोई नई जिम्मेदारी देने की संभावना जताई जा रही है। इनमें पार्टी के वरिष्ठ नेता राम माधव का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। आमतौर पर सरकार गठन के एक साल में मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल होता रहा है मगर इस बार कोरोना संक्रमण के कारण स्थितियों में बदलाव आया है। माना जा रहा है कि जल्द ही मोदी इस दिशा में कोई कदम उठाएंगे।
अंशुमान तिवारी