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CAA: मोदी सरकार की बढ़ सकती है मुश्किलें, अब आया नया मोड़

भारत सरकार के द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन एक्ट ने दुनियाभर में चर्चा बटोरी हैं। भारत में विपक्षी पार्टियां इस कानून का विरोध कर रही हैं, तो दुनिया के...

Deepak Raj
Published on: 3 March 2020 4:34 PM IST
CAA: मोदी सरकार की बढ़ सकती है मुश्किलें, अब आया नया मोड़
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नई दिल्ली। भारत सरकार के द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन एक्ट ने दुनियाभर में चर्चा बटोरी हैं। भारत में विपक्षी पार्टियां इस कानून का विरोध कर रही हैं, तो दुनिया के कुछ देशों ने भी आपत्ति जताई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की ओर से भारत के सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।

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भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को इस पर जवाब दिया और कहा कि कोई भी विदेशी पार्टी भारत के आंतरिक मामले में इस तरह हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। केंद्रीय विदेश मंत्रालय की ओर से मंगलवार को एक बयान जारी किया गया।

CAA पर याचिका दायर की गई

बयान में लिखा गया है, ‘जेनेवा में मौजूद हमारे मिशन को सोमवार को जानकारी मिली है कि संयुक्त राष्ट्र के ह्यूमन राइट्स कमिश्नर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन एक्ट के मसले पर एक याचिका दायर की गई है।’विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘नागरिकता संशोधन एक्ट भारत का एक आंतरिक मसला है और भारतीय संसद को इस कानून को बनाने की ताकत है।

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हमें विश्वास है कि कोई बाहरी पार्टी इस भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।भारत सरकार ने अपने बयान में कहा कि नागरिकता संशोधन एक्ट भारत के संविधान की सभी वैल्यू को पूरा करता है। मानवाधिकार को लेकर देश के द्वारा वर्षों पहले किए गए बंटवारे के दौरान के वादे को पूरा करता है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है जो कानून के आधार पर चलता है। भारत में कानूनी व्यवस्था पर पूरा विश्वास है और हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट में हमारा पक्ष स्पष्ट हो जाएगा।

CAA पर कई देश चिंता प्रकट कर चुका है

बता दें कि अमेरिका, चीन, पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देशों ने बीते दिनों नागरिकता संशोधन एक्ट और उसको लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया दी थी। हालांकि, विदेश मंत्रालय अपने हर बयान में कह चुका है कि ये भारत का आंतरिक मामला है और कोई बाहरी देश इस मसले में दखल ना दे।

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गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन एक्ट के मसले पर भारत में भी कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में हैं। सर्वोच्च अदालत अभी इस मसले पर सुनवाई कर रही है।



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