TRENDING TAGS :
Prediction: मोदी तीसरी बार बनेंगे PM, लेकिन पहले लागू हो जाएगी समान नागरिक संहिता, जगद्गुरु रामभद्राचार्य की भविष्यवाणी
Prediction: जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने एक बार फिर देश के अगले प्रधानमंत्री को लेकर भविष्यवाणी कर दी है। जगद्गुरु ने कहा है कि 2024 में नरेंद्र मोदी ही देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। इससे पहले 2018 में भी उन्होंने यही भविष्यवाणी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी।
Prediction: जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने एक बार फिर देश के अगले प्रधानमंत्री को लेकर भविष्यवाणी कर दी है। जगद्गुरु ने कहा है कि 2024 में नरेंद्र मोदी ही देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। इससे पहले 2018 में भी उन्होंने यही भविष्यवाणी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी।
जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य मुरादाबाद में अपनी ताजा भविष्य़वाणी को लेकर एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। उन्होंने देश के अगले प्रधानमंत्री को लेकर भविष्यवाणी की है। जिसमें उन्होंने कहा है कि आने वाला समय भारत का है। आने वाले कुछ सालों में विकास के रास्ते पर बढ़ते हुए देश और समृद्ध होगा। देश का वर्तमान नेतृत्व सशक्त है। आने वाले समय में सनातनियों की चिंताएं दूर होंगी। 2024 के चुनाव से पहले देश में समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी। चुनाव से पहले विपक्षी एकता की बहुत अधिक संभावना नहीं है। नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे और पाकिस्तान के कब्जे से कश्मीर का हिस्सा मुक्त कराया जाएगा।
जगद्गुरु भविष्यवाणी के लिए जाने जाते हैं, ऐसे में पत्रकारों ने उनसे पूछा था कि 2024 में देश के अगले प्रधानमंत्री के तौर पर किसे देखते हैं? इस पर जगद्गुरु ने कहा कि मोदी ही प्रधानमंत्री बनेंगे। उन्होंने पीएम मोदी को अच्छा बताया।
रामभद्राचार्य ने रामनाथ कोविंद को लेकर भी भविष्यवाणी की थी
आपको बता दें कि रामभद्राचार्य ने रामनाथ कोविंद को लेकर भी भविष्यवाणी की थी कि वह किसी बड़े पद पर आसीन होंगे। इसके बाद रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति बने थे। राष्ट्रपति बनने के बाद कोविंद उनके पास आशीर्वाद लेने गए थे और जगद्गुरु का आभार जताया था।
जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज चित्रकूट के तुलसी पीठ के संस्थापक हैं। वह चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य हैंडीकैप्ड यूनिवर्सिटी के आजीवन चांसलर हैं। जगद्गुरु की दो महीने की आयु में ही आंखों की रौशनी चली गई थी। उनके बारे में कहा जाता है कि वह 22 भाषाओं के ज्ञाता है और संस्कृत, हिंदी, अवधि और मैथिली समेत कई भाषाओं में लेखन कर चुके हैं। उनकी गिनती नैसर्गिक कवियों में भी होती है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी द्वारा रचित ‘अरुन्धती’ महाकाव्य की ये पंक्तियां बहुत कुछ कहती हैं "सदा राम ने सेवक की लघु भी रुचि पाली, शबरी घर जा स्वयं बेर भी मंजुल खा ली। नहीं भेद कुछ ऊँच नीच का उनके मन में, रमते नित्य अखंड भाव से भावुक जन में।"