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MP Election 2023: छत्तीसगढ़ की अदालत ने कैलाश विजयवर्गीय को कर रखा है ‘भगोड़ा’ घोषित, नामांकन रद्द कराने कोर्ट जाएगी कांग्रेस
MP Election 2023: भाजपा नेता पर दो आपराधिक मामले छिपाने के आरोप लगे। सोशल मीडिया पर छत्तसीगढ़ के दुर्ग अदालत का एक आदेश वायरल होने लगा, जिसमें कैलाश विजयवर्गीय को ‘भगोड़ा’ घोषित कर गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया था।
MP Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की सबसे हॉट और चर्चित सीटों में शुमार है इंदौर क्रमांक एक की सीट। जहां से बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय मैदान में हैं। उनके सामने हैं कांग्रेस के मौजूदा विधायक संजय शुक्ला। विजयवर्गीय ने आखिरी बार 2013 में विधानसभा का चुनाव लड़ा था। ऐसे में 10 साल बाद उनकी चुनावी पिच पर वापसी हुई है। 30 अक्टूबर को उनके नामांकन दाखिल करते ही बवाल हो गया।
भाजपा नेता पर दो आपराधिक मामले छिपाने के आरोप लगे। सोशल मीडिया पर छत्तसीगढ़ के दुर्ग अदालत का एक आदेश वायरल होने लगा, जिसमें कैलाश विजयवर्गीय को ‘भगोड़ा’ घोषित कर गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया था। वहीं, दूसरा मामला पश्चिम बंगाल के अलीपुर का है, जहां एक महिला ने उनपर रेप का आरोप लगाया था। ये मामला तब का है जब विजयवर्गीय बंगाल में बीजेपी के प्रभारी हुआ करते थे।
कांग्रेस की आपत्ति के बावजूद नामांकन को मिली मंजूरी
कांग्रेस ने कैलाश विजयवर्गीय पर झूठा हलफनामा देने का आरोप लगाते हुए उनके नामांकन को खारिज करने की मांग की। इसको लेकर इंदौर कलेक्टर ऑफिस में मंगलवार को काफी गहमागहमी रही। लेकिन अंततः चुनाव आयोग ने विजयवर्गीय के नामांकन को मंजूरी दे दी।
क्या बोले विजयवर्गीय ?
नामांकन को मंजूरी मिलने के बाद मंगलवार देर शाम बीजेपी प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, मैंने सात चुनाव लड़े, जिनमें छह विधानसभा और एक महापौर का। कोई केस लेकर नहीं आया, अब मेरा फॉर्म कैंसिल कराने आए हैं। मैं कांग्रेस से कहना चाहता हूं कि आमने-सामने का मुकाबला करो। मैं निष्पक्ष राजनीति करता हूं, गंदी राजनीति में शामिल नहीं होता।
छत्तीसगढ़ की अदालत द्वारा ‘भगोड़ा’ घोषित करने के मामले पर भाजपा नेता ने कहा कि मुझे इस मामले की जानकारी नहीं है। मेरे पास कोई नोटिस या वारंट अभी तक नहीं आया है। लेकिन इस मामले के जो शिकायतकर्ता हैं, उन्हें मैं जानता हूं वो कांग्रेस के नेता हैं।
वहीं, पश्चिम बंगाल में दर्ज रेप के मामले को छिपाने के मुद्दे पर विजयवर्गीय ने कहा कि क्या मुझे सरकार क यह बताने में छिपना पड़ेगा कि कि मेरे खिलाफ कितने केस दर्ज हैं ? यह सरकार ही है जिसने मेरे खिलाफ मामले दर्ज कराए हैं। अगर कुछ गलती हो गई है तो ठीक है, हम उसे सुधार लेंगे।
क्या है छत्तीसगढ़ से जुड़ा मामला ?
दुर्ग मामले के शिकायतकर्ता कनक तिवारी छत्तीसगढ़ के पूर्व एडवोकेट जनरल रह चुके हैं। 1995 से 1998 तक वे अविभाजित मध्य प्रदेश में हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन रहे थे। उस दौरान उनका ठिकाना इंदौर हुआ करता था। तिवारी ने एक मीडिया संस्थान को बताया कि 1998 के अंत में बोर्ड के तीन कर्मचारियों ने उनपर रिश्वत मांगने का आरोप बदनाम करने के इरादे से लगाया था। दरअसल, मैंने उन्हें डेढ़ माह पहले निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू करवाई थी। वे मुझसे मिलने की कोशिश कर रहे थे लेकिन मैंने मना कर दिया। कैलाश विजयवर्गीय और कुछ अन्य लोगों ने मीडिया में बयान जारी कर मुझ पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।
मैंने विजयवर्गीय को नोटिस भेज कर कहा कि वे माफी मांग लें वरना वे कानूनी कार्यवाही शुरू करेंगे। लेकिन भाजपा नेता ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। 1999 में जब मैं अपने गृहनगर दुर्ग लौटा तो उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया। 20 सालों तक अदालत ने उन्हें बुलाने की कोशिश की और वारंट जारी किए लेकिन वे नहीं आए। आखिरकार नवंबर 2019 में कोर्ट ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया और गिरफ्तारी के स्थायी वारंट जारी कर दिए।
कांग्रेस जा सकती है कोर्ट
इंदौर क्रमांक एक से कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला अपने प्रतिद्वंदी कैलाश विजयवर्गीय को अदालत में घसीट सकते हैं। विजयवर्गीय का नामांकन मंजूर होने के बाद कांग्रेस इसे कोर्ट में चैलेंज करने की सोच रही है। कांग्रेस विजयवर्गीय पर झूठा हलफनामा दायर करने का आरोप लगाकर उनके नामांकन को रद्द करने की मांग करेगी। ऐसे में वरिष्ठ भाजपा नेता की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।