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MSP Politics: धान के एमएसपी पर छत्तीसगढ़ में राजनीति गरमाई
MSP Politics: छत्तीसगढ़ में धान का एक अपना अलग ही महत्व है। राज्य की अर्थव्यवस्था में धान का महत्वपूर्ण स्थान है। ये राज्य देश के लिए चावल की बड़ी सप्लाई करता है।
MSP Politics: मध्य भारत का चावल का कटोरा यानी छत्तीसगढ़। इस राज्य में धान हमेशा से एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना रहा है। धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर केंद्र सरकार की हालिया बढ़ोतरी के साथ धान की राजनीति इस चुनावी साल में छत्तीसगढ़ में लौट आई है। भाजपा कह रही है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में धान के एमएसपी में सर्वाधिक वृद्धि हुई है। जबकि कांग्रेस यह कहकर श्रेय ले रही है कि वर्ष 2023 में अब तक सबसे अधिक 107 लाख टन धान की खरीदी कांग्रेस सरकार में हुई है। राज्य के गठन के बाद पहली बार इतनी खरीदी हुई है। बता दें कि वर्ष 2014-15 में धान का समर्थन मूल्य 1360 रुपये था जो बढ़कर सत्र 2023-24 में 2183 रुपये हो गया
बहुत बड़ी भूमिका
दरअसल, छत्तीसगढ़ में धान का एक अपना अलग ही महत्व है। राज्य की अर्थव्यवस्था में धान का महत्वपूर्ण स्थान है। ये राज्य देश के लिए चावल की बड़ी सप्लाई करता है। इसके चलते धान किसान का मसला इससे जुड़ा हुआ है। राजनीति के लिए भी धान इतना महत्वपूर्ण है कि धान के मुद्दे को लेकर प्रदेश में सरकार बनती और बिगड़ती भी है।
धान का राजनीतिक दम
छत्तीसगढ़ में बाकी बातें एक तरफ रहती हैं और धान एक तरफ रहता है। धान ही एकमात्र ऐसा कारण है जिसके दम पर भाजपा ने जहां लगातार तीन बार सत्ता हासिल की। इसी धान के कारण ही बुरी तरह हार भी झेलनी पड़ी थी। तीन बार से विपक्ष में रही कांग्रेस ने धान के कारण ही साल 2018 में अप्रत्याशित जीत दर्ज कर सरकार बनाई।
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कांग्रेस सरकार की घेराबंदी
2018 में कांग्रेस ने 2500 रुपए प्रति क्विंटल में धान की खरीदी की और किसानों की कर्जमाफी के दम पर सत्ता हासिल की थी। अब केन्द्र सरकार इसी धान के बहाने छत्तीसगढ़ सरकार को बैकफुट पर धकेलने की तैयारी में है। भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार से धान पर केंद्र द्वारा नियत एमएसपी राशि के तहत एक-एक रुपया वापस करने को कहा है। मोदी सरकार ने पिछले हफ्ते धान की एमएसपी में 143 रुपये की बढ़ोतरी कर 2,183 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था।
राज्य भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने छत्तीसगढ़ के आंकड़ों को साझा करते हुए कहा है कि केंद्र ने धान सहित विभिन्न फसलों के लिए एमएसपी बढ़ाया है। धान से प्राप्त चावल केंद्र द्वारा खरीदा जाता है और राज्य सरकार खरीद प्रक्रिया में एजेंट के रूप में काम करती है। चालू खरीफ सीजन के दौरान, केंद्र ने केंद्रीय पूल के लिए 61 लाख टन चावल खरीदा है और 90 लाख टन से अधिक धान का उपयोग किया है।
इसके जवाब में राज्य के कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि हर साल राज्य सरकार धान की खरीद के लिए ही विभिन्न बैंकों से 20-25 करोड़ रुपये का कर्ज लेती है। केंद्र इस पर छत्तीसगढ़ सरकार को कोई समर्थन नहीं देता है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ एकमात्र राज्य है जो उच्चतम एमएसपी 2,500 रुपये प्रति क्विंटल पर धान की खरीद करता है और राजीव गांधी न्याय योजना के तहत जारी राशि से किसानों को 2,650 रुपये प्रति क्विंटल मिलता है। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अरुण साव धान खरीद की प्रणाली से परिचित नहीं हैं और आधारहीन दावे कर रहे हैं। अकबर ने कहा कि वर्तमान सरकार ने धान उत्पादकों के लिए सहकारी समितियों की संख्या 1,333 से बढ़ाकर 2,058 कर दी है और अपना धान बेचने वाले सभी किसान छत्तीसगढ़ एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीकृत हैं, न कि केंद्र की किसी वेबसाइट पर।
धान के मसले पर हुआ था धरना
राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी पहले मुख्यमंत्री बनें। उस समय केंद्र में एनडीए की सरकार थी। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सत्ता मिली। दोनों स्थानों पर विपरीत सत्ता होने का प्रभाव कई बार देखने को मिला। जोगी विकास के लिए केंद्र से धन न मिलने का आरोप लगाकर केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास करते। एक बार तो जोगी ने अपने पूरे मंत्रिमंडल के सदस्यों और विधायकों के साथ 7-रेसकोर्स के सामने धरना प्रदर्शन भी किया था।