Mukhtar Ansari News: इन हत्याओं ने मुख्तार को बनाया पूर्वांचल का कुख्यात माफिया, आम आदमी से लेकर वर्दीधारी सभी खाते थे खौफ

Mukhtar Ansari News: एक पढ़े-लिखे उच्च मुस्लिम परिवार से आने वाला लड़का अस्सी के दशक में पहले जरायम की दुनिया में कदम रखता है और फिर पलटकर नहीं देखता।

Krishna Chaudhary
Published on: 22 April 2023 8:30 AM GMT (Updated on: 5 Jun 2023 12:57 PM GMT)
Mukhtar Ansari News: इन हत्याओं ने मुख्तार को बनाया पूर्वांचल का कुख्यात माफिया, आम आदमी से लेकर वर्दीधारी सभी खाते थे खौफ
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Mukhtar Ansari News ( Pic- Social Media)

Mukhtar Ansari: उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल इलाका से एक से बढ़कर एक माफियाओं से अटा पड़ा रहा है। इन माफियाओं ने लोगों के बीच अपने भय और उससे बनी इज्जत का इस्तेमाल कर सियासत में अपनी जगह बनाई। और फिर माफिया से बाहुबली राजनेता कहलाने लगे। अतीक अहमद से लेकर बृजेश सिंह, धनंजय सिंह और अभय सिंह समेत कई उदाहरण है। ये सूची पूर्वांचल के एक माफिया डॉन के जिक्र के बगैर अधुरी है, जिसका नाम है मुख्तार अंसारी।

एक पढ़े-लिखे उच्च मुस्लिम परिवार से आने वाला लड़का अस्सी के दशक में पहले जरायम की दुनिया में कदम रखता है और फिर पलटकर नहीं देखता। पहले नेताओं को चुनाव जीतने में मदद करने वाला यह माफिया बाद में गाजीपुर इलाके का सबसे प्रभावी सियासी शख्स बन गया । मुख्तार अंसारी के सियासी दबदबे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज उसके परिवार में सांसद से लेकर विधायक तक के हैं। यूपी में ऐसी 10 चर्चित हत्याएं हुईं जिसने मुख्तार को कुख्यात बना दिया। इन हत्याओं ने न केवल आम लोगों में बल्कि वर्दीवालों में भी दहशत पैदा कर दी। तो चलिए एक नजर इन पर डालते हैं –

  1. सच्चिदानंद राय की हत्या – पूर्वांचल में जिस समय माफिया मुख्तार अंसारी सुर्खियां बना रहा था, उसी दौरान एक और माफिया बृजेश सिंह का भी उदय हुआ था। दोनों के बीच खूनी रंजिश जगजाहिर है। 80 के दशक में पूर्वांचल में ठेके और जमीन पर कब्जे को लेकर भारी मार-काट मची थी। नेता माफियाओं और अपराधियों का सहयोग लेकर इन सब चीजों पर कब्जा जमाने लगे थे। इसी दौरान साल 1985 में गाजीपुर के सैदपुर में एक जमीन के टुकड़े को लेकर मुख्तार गैंग और बृजेश गैंग आमने-सामने हो गए थे।

कुछ साल 1985 में मंडी परिषद के एक ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या कर दी जाती है। बताया जाता है कि राय की हत्या ही पूर्वांचल में मुख्तार और बृजेश के बीच खूनी गैंगवार के लिए ट्रिगर के तौर पर काम किया था। कुछ समय बाद माफिया मुख्तार अंसारी के बेहद करीबी माने जाने वाले साधु सिंह की हत्या हो जाती है। आरोप लगता है माफिया बृजेश सिंह पर। इसे सच्चिदानंद राय की हत्या का बदला माना गया था।

  1. अवधेश राय की हत्या – नब्बे के दशक की शुरूआत में यूपी की राजनीति में भयानक उथल-पूथल मची होती है। मंडल और कमंडल की राजनीति के कारण यूपी एक सियासी दलों के लिए एक प्रयोगशाला बन जाता है। इस सियास उठापटक का फायदा उठा कर कई माफिया बाहुबली राजनेता बन जाते हैं। इस दौर में एक और चर्चित हत्याकांड होता है, जिसका आरोप मुख्तार अंसारी पर लगता है। 1991 में वाराणसी के दिग्गज कांग्रेस नेता अवधेश राय की पुलिस थाने के करीब हत्या कर दी जाती है।

अवधेश राय के भाई अजय राय मौजूदा समय में वाराणसी से कांग्रेस के बड़े नेता हैं। उन्होंन अपने भाई की हत्या करवाने का आरोप मुख्तार अंसारी पर लगाया था। इस मामले में माफिया मुख्तार को 10 साल की सजा सुनाई गई है। उस पर गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इस केस में अंतिम फैसला आना बाकी है।

  1. रूंगटा अपहरण और हत्याकांड – अवधेश राय हत्याकांड के पांच साल बाद माफिया मुख्तार अंसारी डॉन की बजाय माननीय बन चुका था। 1996 के विधानसभा चुनाव में उसने बीएसपी के टिकट पर मऊ सदर सीट से विधायकी का पहला चुनावी जीता था। वहीं, उसके बड़े भाई अफजाल अंसारी ने सपा के टिकट पर मुहम्मदाबाद सीट से विधानसभा चुनाव जीता था। विधायक बनने के बाद मुख्तार का इलाके में दबदबा काफी बढ़ गया था। अब पुलिस को मैनेज करना उसके लिए दाएं हाथ का खेल हो चुका था। मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद तो उसके लिए चीजें और आसान हो गई थीं।

मुख्तार अंसारी के विधायक बनने के एक साल बाद यानी 1997 में प्रदेश में एक और चर्चित हत्याकांड होता है। नंदकिशोर रूंगटा नामक कोयला कारोबारी का पहला अपहरण किया जाता है और फिर उनकी हत्या कर दी जाती है। रूंगटा व्यापारी के साथ वीएचपी के कोषाध्यक्ष भी थे। इस हत्याकांड का आरोप लगा था मुख्तार के शूटर सिकंदर पर। उसे पुलिस अभी तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है। बताया जाता है कि इस मामले में तब डीआईजी रंजना द्विवेदी मुख्तार को गिरफ्तार करने पहुंचती थी तो तत्कालीन सीएम मायावती इससे नाराज हो गईं और उन्हें पद से हटा दिया था। मामला हाईकोर्ट पहुंचा और फिर मुख्तार पर शिकंजा कसा गया। इस मामले में भी उसपर गैंगस्टर लगाया गया है।

  1. जेल अधीक्षक आरके तिवारी हत्याकांड – माफिया डॉन से बाहुबली राजनेता बना मुख्तार अंसारी अब तक आम लोगों के बीच काफी कुख्यात हो चुका था। सियासत में उतरने के बाद उसने अपनी छवि रॉबिनहुड के तौर पर बनाने की कोशिश की। मुख्तार अब उसके खिलाफ जाने वाले पुलिसकर्मियों को एक खास संदेश देना चाहता था। फरवरी 1999 में राजधानी लखनऊ में राजभवन के सामने तत्कालीन लखनऊ जेल अधीक्षक आरके तिवारी को गोलियों से भून दिया गया था।

इस हत्याकांड ने यूपी के पुलिस महकमे में तहलका मचा दिया था। दरअसल, तिवारी ने पद पर रहते हुए जेल में बंद माफियाओं और बाहुबलियों पर नकेल कस दी थी। उन्हें कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता था। बताया जाता है कि इसे लेकर मुख्तार अंसारी उससे चिढ़ा हुआ था। निचली अदालत ने इस मामले में मुख्तार को बरी कर दिया था लेकिन हाईकोर्ट ने उसे दोषी पाया और बीते साल यानी 2022 में उसे पांच साल की सजा सुनाई। कहा जाता है कि आरके तिवारी हत्याकांड के बाद वर्दीवाले भी मुख्तार अंसारी और उसके गुर्गों से खौफ खाने लगे थे।

  1. कृष्णानंद राय हत्याकांड – 29 नवंबर 2005 को गाजीपुर की मुहम्मदाबाद सीट से बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई थी। हथियारबंद हमलावरों ने बीच रास्ते में बीजेपी विधायक की गाड़ी को घेरकर उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया था। इस चर्चित हत्याकांड ने यूपी की राजनीति में भूचाल ला दिया था। बताया जाता है कि राय ने मुख्तार के परिवार का गढ़ माने जाने वाले मुहम्मदाबाद सीट पर उसके भाई अफजाल अंसारी को चुनावी शिकस्त दी थी। जिसे लेकर वह बौखलाया हुआ था।

राय को रास्ते से हटाने के लिए उसने उनकी हत्या ही करवा दी। यूपी पुलिस ने साल 2007 में इस मामले में मुख्तार के साथ अफजाल पर भी गैंगस्टर एक्ट लगाया है। आगामी 29 अप्रैल को गाजीपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट इस मामले में फैसला सुनाएगी। दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी हत्याकांड की जांच सीबीआई कर चुकी है और उसके बाद भी 2019 में मुख्तार को इस मामले में कोर्ट ने बरी कर दिया था। कृष्णानंद राय की पत्नी और मुहम्मदाबाद सीट से मौजूदा बीजेपी विधायक अलका राय ने इस मामले की फिर से जांच कराने की मांग वाली याचिका कोर्ट में डाल रखी है, जो फिलहाल हाईकोर्ट लंबित है। इसके अलावा अलका राय ने 9 और ऐसे लोगों की सूची हाईकोर्ट को दी है, जो या तो बीजेपी के नेता कार्यकर्ता थे या उनके पति के सहयोगी थे, जिनकी हत्या माफिया मुख्तार अंसारी के इशारे पर की गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन सभी लोगों की सूची सीबीआई को सौंप दी थी।

बांदा जेल में बंद है मुख्तार

कुख्यात माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद से माफिया डॉन मुख्तार अंसारी खौफ खाया हुआ है। साल 2021 से यूपी की बांदा जेल में बंद मुख्तार कोर्ट में पेशी के लिए सदेह उपस्थित नहीं होना चाहता। उसे डर है कि उसका भी कत्ल करवाया जा सकता है। मुख्तार अंसारी पर 61 मामले दर्ज हैं। उसकी पत्नी अफशां और विधायक बेटे अब्बास पर भी आपराधिक मामले दर्ज हैं। अब्बास फिलहाल कासगंज जेल में बंद है। मुख्तार की पत्नी अफशां फरार चल रही हैं। पुलिस ने उनपर 50 हजार रूपये का इनाम घोषित कर रखा है।

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