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मुंबई विश्वविद्यालय: छात्रों का विरोध हुआ शुरू, शुरू की याचिका
विश्वविद्यालय की ओर से एक नोटिफिकेशन जारी करके बताया गया था कि फाइनल सेमेस्टर के छात्रों की परीक्षाएं 1 से 30 जुलाई, 2020 तक आयोजित की जाएंगी।
पूरे देश में कोरोना वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। इस वायरस के चलते छात्रों की पढ़ाई और परिक्षा सब कुछ बाधित है। ऐसे में ऑनलाइन क्लासेज के जरिये पढ़ाई चल रही है। लेकिन इस बीच मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा कराने के फैसले से मुंबई विश्वविद्यालय के छात्रों में नाराजगी है। ऐसे में आब मुंबई विश्वविद्यालय के छात्रों ने परीक्षाओं को रद्द करने के लिए एक ऑनलाइन याचिका शुरू की है।
छात्रों ने परीक्षा के विरुद्ध की याचिका
विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा परीक्षा आयोजित कराने के फैसले के विरुद्ध याचिका के लिए विश्वविद्यालय के 34,000 छात्रों द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं। इस याचिका में छात्रों द्वारा सीएम उद्धव ठाकरे से इस परीक्षा को रद्द कराने अनुमति देने की बात कही गई है। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय में दूसरे सेमेस्टर और कोर्सेज के लिए परीक्षाओं को लॉकडाउन के कारण रद्द कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार याचिका में कहा गया है कि, "जैसा कि हम सभी जानते हैं, हाल ही में उदय सामंत (उच्च और तकनीकी शिक्षा के लिए महाराष्ट्र के मंत्री) ने घोषणा की है
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कि फाइनल सेमेस्टर के छात्रों को अपनी डिग्री प्राप्त करने के लिए परीक्षाओं में भाग लेना होगा। इससे राज्य भर के छात्रों में काफी अराजकता और भ्रम पैदा हुआ है।" विश्वविद्यालय की ओर से एक नोटिफिकेशन जारी करके बताया गया था कि फाइनल सेमेस्टर के छात्रों की परीक्षाएं 1 से 30 जुलाई, 2020 तक आयोजित की जाएंगी।
महाराष्ट्र है देश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित
दरअसल विश्वविद्यालय द्वारा अन्य सेमेस्टर की परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया है। ऐसे में फाइनल सेमेस्टर के छात्र भी इस आस में थे कि फाइनल सेमेस्टर की परीक्षाएं भी अन्य सेमेस्टर की भांति रद्द कर दी जाएंगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिलहाल अब फाइनल सेमेस्टर की छात्रों द्वारा याचिका शुरू की गई है। जिससे उनकी परीक्षा को कैंसिल किया जाए।
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देश में कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण, सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हो गए हैं और ऑनलाइन कक्षाएं और परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं। ऐसे में देश में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र ही है। अब छात्रों का मानना है कि जो भी निर्णय लिया जाएगा वो उनकी सुरक्षा और सेहत को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा।