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मोदी के बढ़ते कद के साथ मुस्लिमों की नुमाइंदगी हुई कम

पिछले दो चुनाव के आंकड़ों के आधार पर इसबार देश की संसद में मुस्लिम सांसदों की हिस्सेदारी बढ़ी है। 2014 के मुकाबले इस बार 3 मुस्लिम सांसद अधिक जीते हैं जिसमें यूपी की भागीदारी सबसे अधिक है। 2014 में यूपी से एक भी मुस्लिम सांसद नहीं चुना गया था।

Dharmendra kumar
Published on: 24 May 2019 9:42 AM GMT
मोदी के बढ़ते कद के साथ मुस्लिमों की नुमाइंदगी हुई कम
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धनंजय सिंह

लखनऊ: पिछले दो चुनाव के आंकड़ों के आधार पर इसबार देश की संसद में मुस्लिम सांसदों की हिस्सेदारी बढ़ी है। 2014 के मुकाबले इस बार 3 मुस्लिम सांसद अधिक जीते हैं जिसमें यूपी की भागीदारी सबसे अधिक है। 2014 में यूपी से एक भी मुस्लिम सांसद नहीं चुना गया था। इस बार यूपी से छह मुस्लिम सांसद चुने गए हैं। देश में इनकी संख्या अब 26 हो गयी है। आंकड़ों के आधार पर संसद में इनकी हिस्सेदारी महज पांच फीसदी रह गयी है।

भारत में 22 करोड़ मुसलमान हैं। चुनाव आयोग धर्म के आधार पर मतदाता सूचियों का अनुमान नहीं बताता है, लेकिन पूरे भारत में 220 निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर मुस्लिम वोटों की हिस्सेदारी 10 फीसदी से अधिक है। 2019 में देश मे कुल 789 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में थे, जिसमें 26 मुस्लिम सांसद संसद में पहुंचने में कामयाब रहे। जहां तक आंकड़ों का सवाल है तो लोकसभा चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवारों के जीतने और उन्हें मिलने वाले वोटों का आंकड़ा लगातार घटता जा रहा है।

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पिछले दो चुनावों के आंकड़े इस बात को तस्दीक करते हैं एक या दो राज्यों को छोड़कर मुस्लिम उम्मीदवारों को मिलने वाले वोटों की संख्या में भी गिरावट आई है। 2014 लोकसभा चुनाव में मुस्लिम सांसदों की संख्या बेहद कम यानी की 22 ही रही, बता दें कि देश में मुस्लिम आबादी करीब 14 फीसदी है लेकिन बीते दो चुनाव में 10 फीसदी से भी कम मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी रण का हिस्सा बने थे।

देश में सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाला राज्य यूपी से 2014 में 80 सीटों में से एक भी मुस्लिम संसद की चौखट पर नहीं पहुंच पाए थे ।2004,1952 में सबके कम मुस्लिम संसद चुने गए थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के मुस्लिम प्रत्याशी संख्याबल के लिहाज से प्रथम श्रेणी में पास हुए। गठबंधन ने कुल 10 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से छह जीत गए। यानी मुस्लिम प्रत्याशियों के लिहाज से गठबंधन का रिजल्ट 60 फीसदी रहा। इसबार बीजेपी ने 437 में से 7 मुस्लिम उम्मीदवार को पार्टी का टिकट दिया, जिसमें कोई भी नहीं जीत दर्ज केर सका।

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कांग्रेस ने 423 में से 32 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे। सहारनपुर से बसपा उम्मीदवार हाजी फजलुर्रहमान भाजपा प्रत्याशी को पटखनी देने में कामयाब रहे। अमरोहा से बसपा के कुंवर दानिश अली और गाजीपुर से अफजाल अंसारी ने भी जीत दर्ज की। वहीं, धौरहरा से बसपा प्रत्याशी अरशद इलियास सिद्दीकी, डुमरियागंज से आफताब आलम और मेरठ से हाजी महमूद याकूब के सिर जीत का सेहरा नहीं बंध सका।मुरादाबाद से सपा के एच टी हसन, रामपुर से सपा के आज़म खान और संभल से डॉ शफिकुर्रहमान बर्क संसद में पहुंचने में कामयाब रहे।

कांग्रेस के आठों मुस्लिम प्रत्याशियों को शिकस्त

कांग्रेस ने यूपी में आठ मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन सभी को शिकस्त का सामना करना पड़ा। सहारनपुर से इमरान मसूद, बिजनौर से नसीमुद्दीन सिद्दीकी, मुरादाबाद से इमरान प्रतापगढ़ी, बदायूं से सलीम इकबाल शेरवानी, खीरी से जफर अली नकवी, फर्रुखाबाद से सलमान खुर्शीद, सीतापुर से कैसर जहां और देवरिया से नियाज अहमद नहीं जीत सके।

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2014 में जीते 22 मुस्लिम उम्मीदवार

2014 में कुल 22 मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी जो अब का सबसे कम आंकड़ा है। 2009 में कुल 41.71 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले जबकि 2014 में ये आंकड़ा बढ़कर 55.38 करोड़ हो गया। लेकिन मुस्लिम उम्मीदवारों को मिलने वाला वोट कम होता गया। 2009 में मुस्लिम उम्मीदवारों को कुल 2.89 करोड़ यानि 6.9 फीसदी वोट मिले। 2014 चुनाव में ये आंकड़ा घटकर 2.78 करोड़ यानि 5 फीसदी हो गया।

2009 में एक मुस्लिम उम्मीदवार को औसतन 34,948 वोट मिले, वहीं सामान्य उम्मीदवार को 51,692 वोट मिले। यानि जब अन्य उम्मीदवारों को मिलने वाले वोटों में इजाफा हुआ तो मुस्लिम उम्मीदवारों को मिले वोटों में गिरावट आई। 2014 में टीएमसी से अपरूपा पोद्दार, सुल्तान अहमद, इदरीस अली, मम्ताज़ संघमित्रा, एआईयूडीएफ से बदरुद्दीन अजमल, सिराजुद्दीन अजमल, एआईएम्आईएम् से असदुद्दीन ओवैसी, आईयूएम्एल से इ अहमद, इ टी मोहम्मद बशीर, कांग्रेस से अबू हासेम खान चौधरी, मोहम्मद असरारुल हके, मौसम नूर, एम् आई शनवास, आरजेडी से तस्लीमुद्दीन, एआईडीएम् के से अनुहार रांझा ए, एलजेपी से चौधरी महबूब अली कैसर, एनसीपी से तारिक़ अनवर, मोहम्मद फैज़ल पी पी , पीडीपी से महबूबा मुफ़्ती, तारिक़ हमीद कर्रा, मुज़फ्फर हुसैन बेग और सीपीआईएम से बदरूद्दोजा खान व मो. सलीम संसद पंहुचे थे।

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यूपी में मुस्लिम बाहुल्य सीटें

उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों में से पश्चिम की करीब दो दर्जन सीटों पर मुसलमान 20 फीसदी से अधिक हैं। इनमें बरेली, बदायूं, पीलीभीत, रामपुर, संभल, अमरोहा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर और मुरादाबाद शामिल हैं।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में बहराइच, आजमगढ़, गोंडा, श्रावस्ती, वाराणसी, डुमरियागंज और बलरामपुर सहित 12 और सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक है। अगर पीएम मोदी इनमें से किसी सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया तो ध्रुवीकरण का असर न सिर्फ प. उत्तर प्रदेश बल्कि प. बिहार/भोजपुर क्षेत्र में भी दिखाई देगा।

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