खतरे में इनकी नौकरियां! बड़ा फैसला लेने जा रही मोदी सरकार

नरेंद्र मोदी सरकार केंद्र की नौकरियों में बड़ा फेरबदल करने जा रही है। खबर है कि नौकरियों के ढांचे में भी बदलाव किया जा सकता है। इसमें आईएएस,आईपीएस और आईएफएस जैसी महत्वपूर्ण पदों की नौकरियां भी शामिल है।

Aditya Mishra
Published on: 9 Jun 2023 7:44 AM GMT (Updated on: 9 Jun 2023 7:46 AM GMT)
खतरे में इनकी नौकरियां! बड़ा फैसला लेने जा रही मोदी सरकार
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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार केंद्र की नौकरियों में बड़ा फेरबदल करने जा रही है। खबर है कि नौकरियों के ढांचे में भी बदलाव किया जा सकता है। इसमें आईएएस,आईपीएस और आईएफएस जैसी महत्वपूर्ण पदों की नौकरियां भी शामिल है। इस दिशा में सरकार ने कदम भी बढ़ा दिया है।

जानकारी के मुताबिक़ केंद्र की ओर से सभी मंत्रालयों को सेवाओं की एक विस्तृत सूची बनाने को और उसे कार्मिक और प्रशिक्षण मंत्रालय(डीओपीटी) को सौंपने को कहा गया है।

सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार पुरानी व्यवस्था में बदलाव करके उसे मौजूदा समय के अनुसार बनाने की कोशिश कर रही है। सरकार की मंशा है कि पूरा काम अप्रैल 2020 तक पूरा कर लिया जाए। इसलिए अभी से इसे इस दिशा में तेजी के साथ कोशिशें हो रही है।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक डीओपीटी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘इसके पीछे सोच यह है कि निष्क्रिय और खाली पड़े सभी सरकारी पोस्ट को हटाकर समयानुसार जिस पोस्ट की जरूरत है उसे स्थापित किया जाएगा।’

इससे पहले डीओपीटी ने अपने पांच साल के विजन डोक्यूमेंट में सिविल सर्विसेज की सेवाओं के बारे में प्रस्ताव दिया था। उस समय दि प्रिंट ने इसपर रिपोर्ट भी की थी जिसमें केंद्र सरकार सेवाओं की संख्या को घटा रही है जिससे राज्य ईकाईयां सही तरह से काम कर सकें।

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17 सितंबर जारी किया गया था ये मेमोरेंडम

17 सितंबर के एक ऑफिस मेमोरेंडम के अनुसार डीओपीटी ने कहा, ‘पॉलिसी, सर्विस प्रोफाइल, कैडर, पोस्ट को नए तरीके से बनाने के लिए यह किया जा रहा है।’

मेमोरेंडम के मुताबिक इस सबके लिए सभी मंत्रालय और डिपार्टमेंट से आग्रह किया गया है कि वो सभी सेवाओं, पोस्ट, कैडर से जुड़ी जानकारी 30 सितंबर तक दें।

30 सालों में पहली बार होगा ऐसा

सरकारी पोस्ट और सेवाओं के बारे में दोबारा जांच और पुरानी व्यवस्था में बदलाव पिछले 30 सालों में पहली बार किया जा रहा है।

एक के बाद एक क्यों नौकरी छोड़ रहे आईएएस अफसर

अब सवाल ये उठता है कि एक के बाद एक आईएएस अफसर नौकरी क्यों छोड़ रहे हैं? देश की जिस सबसे बड़ी और रसूख वाली सरकारी नौकरी हासिल करने का सपना हर युवा देखता है, उसको लोग छोड़ क्यों रहे हैं? कड़ी मेहनत से नौकरी हासिल करने के बाद एक झटके में इस्तीफा दे देने के पीछे असल वजह क्या है?

हाल के इन तीनों आईएएस अधिकारियों ने सरकार से विरोध जताते हुए अपनी नौकरी छोड़ी है। तो क्या अफसरों का मौजूदा सरकार के साथ काम करना मुश्किल हो गया है?

क्या सरकार अफसरों के साथ ज्यादा सख्ती दिखा रही है? या सरकार के संवैधानिक संस्थाओं को नुकसान पहुंचाने के जो आरोप लगते हैं वो सही हैं?

सबसे पहली बात कि ऐसा नहीं है कि इसी सरकार में ही आईएएस अधिकारी नौकरियों से इस्तीफा दे रहे हैं। कई बार बेहतर संभावना की तलाश में भी अधिकारी सबसे बड़ी नौकरी को लात मार देते हैं।

2000 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ. सैयद सबाहत आजिम 2010 में अपनी कंपनी शुरू करने के लिए आईएएस की नौकरी छोड़ दी थी।

बेहतर संभावना की तलाश में भी नौकरी छोड़ते हैं अफसर

1997 बैच के आईपीएस अधिकारी राजन सिंह ने 2005 में पुलिस कमिश्नर के पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने पेंसिलवेनिया के एक एमबीए स्कूल में दाखिला लिया। वहां से पढ़ाई करने के बाद राजन सिंह ने अपनी ऑनलाइन कंपनी शुरू की।

इसी तरह से 1982 बैच के आईएएस अधिकारी परवेश शर्मा ने 34 साल की नौकरी के बाद वॉलेंटियरी रिटायरमेंट ली। नौकरी छोड़ने के बाद 2016 में उन्होंने सब्जियों और फलों की रिटेल चेन खोली। उन्होंने किसानों को सीधे कंज्मूर प्रोवाइड करने का काम शुरू किया।

ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें बेहतर संभावनाओं की तलाश में आईएएस जैसे बड़े सरकारी पदों पर बैठे लोगों ने नौकरी छोड़ दी. दूसरी अहम बात है कि चाहे देश की सबसे बड़ी नौकरी ही सही लेकिन है ये नौकरी ही। इसमें बाकी नौकरियों की तरह तनाव और प्रेशर होता है।

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आईएएस की नौकरी में भी होता है तनाव और प्रेशर

आईपीएस की नौकरी से इस्तीफा देने वाले राजन सिंह कोरा पर लिखते हैं कि मैंने आईपीएस बनने के लिए बहुत कड़ी मेहनत की। लेकिन नौकरी हासिल करने के बाद उससे भी 100 गुना ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही थी।

इसलिए मैंने नौकरी छोड़ दी। राजन सिंह कहते हैं कि मैंने कई लाचार और बेबस आईएएस और आईपीएस अफसर देखे। वो योग्यता और क्षमता में स्तरहीन थे।

राजन सिंह ने लिखा है कि सिस्टम काम नहीं करता है और आप इसको फिक्स नहीं कर सकते। सारे लोग लाचार और बेबस दिखते हैं। नकारे लोगों की पूरी लेयर होती है। एक के बाद एक नकारे लोग मिलते जाते हैं. हालांकि राजन सिंह कहते हैं कि इसी में हम काम करना सीख भी लेते हैं।

उन्होंने लिखा है कि पहली बार मुझे राष्ट्रपति के दौरे का इंतजाम करना था। मुझे इसमें 15 दिन लग गए। लेकिन दूसरी बार राष्ट्रपति का दौरा हुआ तो मैंने सिर्फ 2-3 दिन में सारे काम निपटा दिए।

राजन सिंह कहते हैं कि सभी लोग आपको दबाने में लगे रहते हैं। नेता, आपके सीनियर, आपके जूनियर... सभी। लेकिन ये भी सच्चाई है कि राजन सिंह जिन मजबूरियों और जिस हालात की चर्चा कर नौकरी छोड़ देते हैं, वो तकरीबन सभी नौकरियों में होती हैं।

बड़ी नौकरी के अपने जोखिम हैं

आईएएस सबसे बड़ी नौकरी है। लेकिन इसके अधिकारियों को भी नेताओं और मंत्रियों से दबकर काम करना पड़ता है। कई बार इसी का दवाब को झेला नहीं जाता और अधिकारी नौकरी छोड़ देते हैं।

आईएएस सबसे बड़ी नौकरी है तो बड़े पद को संभालना भी उतना ही जोखिमपूर्ण है। ऐसे अधिकारियों की भरमार है जो नौकरी में रहते हुए बेजा फायदा उठा रहे हैं।

मोदी सरकार ने अधिकारियों पर सख्ती भी दिखाई है। 2015 में परफॉर्म नहीं करने वाले 13 ब्यूरोक्रैट्स को मोदी सरकार ने नौकरी से हटा दिया। करीब 45 अधिकारियों के पेंशन के पैसे काट लिए। अभी अप्रैल में खबर आई कि सरकार करीब एक हजार आईएएस अधिकारियों के कामों को रिव्यू कर रही है।

इनमें से जिन्होंने 25 साल की सर्विस पूरी कर ली हो या फिर 50 की उम्र में पहुंच गए हों, उनकी ज्यादा सख्ती से निगरानी की जा रही थी. सरकार ने लापरवाही और काम नहीं करने वाले अधिकारियों को दंडित करना शुरू किया।

राजनीति में जाने के लिए अधिकारियों ने छोड़ी नौकरी

2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कई आईएएस अफसरों ने इसलिए नौकरी छोड़ दी क्योंकि उन्हें राजनीति में जाना था। सितंबर 2018 में ओडिशा कैडर की आईएएस अधिकारी अपराजिता सारंगी ने वॉलेंटियरी रिटायरमेंट ले लिया।

इन्होंने नौकरी छोड़कर बीजेपी जॉइन कर ली। सांरगी ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि ‘मैं लोगों के लिए काम करना चाहती हूं और राजनीति इसके लिए सबसे अच्छा प्लेटफॉर्म है।’

इसी तरह से 2005 बैच के आईएएस अफसर ओपी चौधरी ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। दो दिन बाद इन्होंने भी बीजेपी जॉइन कर ली।छत्तीसगढ़ से बीजेपी ने इन्हें अपना उम्मीदवार बनाया।

ऐसे कई उदाहरण हैं। आईएएस सबसे बड़ी सरकारी नौकरी है. लेकिन नौकरी की मजबूरियां होती हैं और संभावनाएं सिर्फ आईएएस तक जाकर ही खत्म नहीं होतीं। कुछ लोग अफसाने को अंजाम न देकर एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ जाते हैं।

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Aditya Mishra

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