TRENDING TAGS :
Narendra Modi Government 9 Years: केंद्र में मोदी सरकार के 9 साल हुए, जानें किन फैसलों से हुआ फायदा और किन से नुकसान
Narendra Modi Government 9 Years: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सत्ता में आई। हालांकि, इससे पहले भी एनडीए केंद्र की सत्ता में रह चुकी है।
Narendra Modi Government 9 Years: साल 2014 के मई माह में 10 साल से देश में चली आ रही कांग्रेसी की अगुवाई वाली यूपीए सरकार का अंत हो गया। लोकसभा चुनाव के जब नतीजे आए तो कांग्रेस समेत कई अहम विपक्षी दलों का सूपड़ा साफ हो चुका था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सत्ता में आई। हालांकि, इससे पहले भी एनडीए केंद्र की सत्ता में रह चुकी है। लेकिन इस बार मामला अगल था, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने पहली बार स्पष्ट जनादेश हासिल किया था।
Also Read
इस विराट जनादेश का असर मोदी सरकार के फैसलों पर भी दिखा। पांच साल बाद 2019 में जब आम चुनाव हुए तो तमाम सत्ता विरोधी लहरों के दावे और पूर्वानुमानों को ध्वस्त करते हुए दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड जनादेश हासिल किया। जनता से मिले व्यापक समर्थन को देखते हुए पीएम मोदी ने ऐसे कई निर्णायक फैसले लिए जिसको लेकर उनकी खूब तारीफ होती है।
हालांकि कुछ फैसले ऐसे भी हैं, जो अपने मकसद में पूरी तरह नाकाम रहे और जिसको लेकर प्रधानमंत्री की खूब आलोचना भी होती है। इस माह यानी मई में मोदी सरकार ने केंद्र में अपने 9 साल पूरे कर लिए है, तो चलिए एक नजर 2014 से लेकर अब तक उनके द्वारा लिए गए बड़े फैसलों पर डालते हैं।
1.स्वच्छता अभियान – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को देश में स्वच्छता अभियान की शुरूआत की थी। सरकार ने अगले पांच साल में 1.2 करोड़ शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा था। तमाम मीडिया रिपोर्ट्स बताते हैं कि इसका अच्छा असर हुआ है।
2.योग दिवस – योग भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है। भारत के साथ-साथ दुनिया के कई अन्य मुल्कों में भी यह प्रचलित है। 27 सितंबर 2014 को पीएम मोदी ने यूएन में भाषण के दौरान योग दिवस के लिए अपना सुझाव रखा था। जिसका दुनिया का 177 देशों ने समर्थन किया। प्रधानमंत्री की कोशिशों की ही नतीजा रहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।
3. उज्जवला योजना – गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाओं की समस्या को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई 2016 को उज्जवला योजना की शुरूआत की। इस योजना के तहत 50 मिलियन गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस सिलेंजर का कनेक्शन दिया गया। हालांकि, इस योजना पर लोगों की राय बंटी हुई है। कुछ लोग जहां इसकी तारीफ कर रहे हैं, तो वहीं कुछ का कहना है कि गैस सिलेंडर महंगा होने के कारण वे वापस लकड़ी, कोयला जैसी चीजों पर खाना पकाने लगे हैं।
4. नोटबंदी – पीएम मोदी ने 8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे नोटबंदी की घोषणा की। इस ऐलान से एक झटके में 5 सौ और 1 हजार के नोट चलन से बाहर हो गए। अचानक लिए गए इस फैसले से देशभर में अफरातफरी मच गई। जिस मकसद से इस फैसले को लिया गया था, उसे भी हासिल नहीं किया जा सका। इसलिए मोदी सरकार भी अब इस फैसले का जिक्र करने से बचती है।
5. जीएसटी – ‘एक देश-एक कर’ की बहुप्रतिक्षित मांग को पीएम नरेंद्र मोदी ने 1 जुलाई 2017 को पूरा किया। संसद भवन में एक रंगारंग कार्यक्रम में प्रधानमंत्री और तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लॉन्च किया। हालांकि, जीएसटी को लेकर भी विवाद कम नहीं है। व्यापारियों की भी अपनी शिकायतें हैं।
6. बालाकोट एयरस्ट्राइक – 14 फरवरी 2019 को कश्मीर में हुए पुलवामा हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। तब भारत ने इसका कठोर जवाब दिया था। भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर जैश ए मोहम्मद के आतंकी शिविरों को तबाह कर दिया था।
7.तीन तलाक – मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के हक में बड़ा फैसला लेते हुए ट्रिपल तलाक को अवैध बना दिया। यानी अब कोई मुस्लिम शौहर अपनी पत्नी को तीन बार तलाक, तलाक, तलाक' कह कर छोड़ देता है तो उसके विरूद्ध कानूनी कार्रवाई होगी।
8. अनुच्छेद 370 और सीएए – मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा अनुच्छेद 370 को रद्द कर खत्म कर दिया। इसी तरह मुस्लिम पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश मे रह रहे अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, ईसाई, बैद्ध, पारसी) को भारत की नागरिकता प्रदान करने के लिए सीएए कानून पास किया गया।
9. कृषि कानून – मोदी सरकार देश में खेती-किसानी की स्थिति में सुधार लाने और किसानों की कमाई में बढ़ोतरी करने के इरादे से तीन कृषि कानून लाई। लेकिन पंजाब,हरियाणा, पश्चिमी यूपी के लाखों किसान इसके विरोध में आंदोलन पर बैठ गए। नतीजतन सरकार को अपने पैर वापस खींचने पड़े।