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भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों देशों ने रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने के लिए हाथ मिलाया है। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने गुरुवार को ऑनलाइन माध्यम से द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की। इस दौरान दोनों देशों ने आपसी संबंधों को और मजबूत बनाने पर जोर दिया।
नई दिल्ली: भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों देशों ने रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने के लिए हाथ मिलाया है। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने गुरुवार को ऑनलाइन माध्यम से द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की। इस दौरान दोनों देशों ने आपसी संबंधों को और मजबूत बनाने पर जोर दिया।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों देशों के बीच जो सात अहम समझौते हुए हुए हैं, उनमें एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों और साजो-सामान तक पहुंच से संबंधित ऐतिहासिक समझौता भी शामिल है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के बीच वर्चुअल शिखर वार्ता के बाद सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
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रक्षा सहयोग बढ़ाने और सैन्याभ्यास को मिलेगी मदद
पीएम मोदी और स्कॉट मॉरिसन के बीच हुए ऑनलाइन द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने साझा रक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए रक्षा सहयोग बढ़ाने और सैन्याभ्यास सहित अन्य गतिविधियों को बढ़ावा देने पर सहमति जताई।
इस वर्चुअल मीट के बाद भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सात अहम समझौतों पर हस्ता्क्षर हुए, जिनमें से एक एक-दूसरे को अपने सैन्य ठिकानों के इस्तेमाल की अनुमति देना भी शामिल है। इसे भारत और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा संबंधों में एक बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) देशों में भारत की सदस्यता को लेकर अपना समर्थन जताया। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच यह अपने तरह की पहली ऑनलाइन द्विपक्षीय शिखर वार्ता रही, जिस दौरान पीएम मोदी और ऑस्ट्रेलिया पीएम के बीच कई मामलों पर वार्तलाप हुई।
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नौसैनिक सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति
दोनों पक्षों ने नागरिक उद्देश्यों के लिए परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे पर भी द्विपक्षीय सहयोग की बात दोहराई और वैश्विक स्तर पर परमाणु अप्रसार को और मजबूत बनाने पर जोर दिया।
समुद्री सुरक्षा में भारत और ऑस्ट्रे्लिया के साझा हितों का हवाला देते हुए दोनों देशों के बीच नौसैनिक सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी है। ऑस्ट्रेेलिया ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार और इसमें भारत की स्थाई सदस्यता को लेकर अपना समर्थन दोहराया।
भारत और ऑस्ट्रे्लिया के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी। संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देश संप्रभुता व अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करते हुए नियम आधारित समुद्री व्यवस्था को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
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