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नहीं पूरी हुई थी गोडसे की आखिरी इच्छा, पश्चताप की अग्नि में जलकर चढ़ा था फांसी

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी। जिसके उसे सजा भी मिली।  महात्मा गांधी की हत्या बाद गोडसे को फांसी पर हुई।आज ही के दिन 15 नवंबर 1949 को  महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को फांसी दी गई थी।उनको मौके पर मौजूद लोगों ने ही पकड़ लिया था,

suman
Published on: 15 Nov 2019 5:45 AM GMT
नहीं पूरी हुई थी गोडसे की आखिरी इच्छा, पश्चताप की अग्नि में जलकर चढ़ा था फांसी
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जयपुर: 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी। जिसके उसे सजा भी मिली। महात्मा गांधी की हत्या बाद गोडसे को फांसी पर हुई।आज ही के दिन 15 नवंबर 1949 को महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को फांसी दी गई थी।उनको मौके पर मौजूद लोगों ने ही पकड़ लिया था, उसके बाद नाथूराम को पुलिस के हवाले किया गया। पुलिस ने नाथूराम के अन्य साथियों को भी पकड़ा इन सभी पर केस चला, कुछ बरी हो गए और जो इसमें शामिल थे उनको फांसी की सजा दी गई। नाथूराम को हत्या के आरोप में 15 नवंबर 1949 को अंबाला जेल में फांसी पर लटका दिया गया था।

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आज 70 साल बाद फिर से एकबार गोडसे चर्चा के केंद्र में है। नाथुराम गोडसे से जुड़े मामले की सुनवाई में शामिल रहे जस्टिस खोसला ने किताब में लिखी है जो सामने आई है। जस्टिस खोसला ने कहा, 'गोडसे महात्मा गांधी को लेकर गुस्से में था। उसका आरोप था कि महात्मा गांधी ने मुस्लिमों को खुश करने के लिए हिंदुओं के सम्मान से समझौता किया है।' उन्होंने कहा, 'महात्मा गांधी को मारने की साजिश बेहद सोच-समझकर की गई थी। गोडसे ने 2 हजार और 3 हजार रुपए की दो इंश्योरेंस पॉलिसी ली थी। एक में उसने हत्या की साजिश में साथ देने वाले आप्टे की पत्नी को लाभार्थी बनाया, वहीं दूसरी पॉलिसी में उसने सह-आरोपी भाई की पत्नी को लाभार्थी बनाया। 30 जनवरी को हत्या से 10 दिन पहले गांधी को मारने का एक प्रयास नाकाम हो चुका था।' कोर्ट में दायर मुकदमे के आधार पर जस्टिस खोसला ने दिल्ली के बिरला मंदिर में हुई घटना और उसके बाद के घटनाक्रम की विस्तार से जानकारी दी।

नाथूराम गोडसे और उसके दोस्त नारायण आप्टे को सजा-ए-मौत दी गई। अन्य पांच दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।'बाकी दोषियों ने पंजाब हाईकोर्ट में अपील की। लेकिन गोडसे ने न तो हत्या के आरोपों को चुनौती दी और न ही मौत की सजा पर सवाल उठाया। जस्टिस खोसला के मुताबिक, 'गोडसे ने अपने किए पर कहा था कि अगर उसे एक मौका और मिला तो वो अपना पूरा जीवन शांति और देशसेवा में लगा देगा। 'जस्टिस खोसला की किताबानुसार, 'जब फांसी के लिए ले जाया जा रहा था तब वह नर्वस और डरा हुआ है। वह इस डर से लड़ने की कोशिश कर रहा था और बार-बार 'अखंड भारत' के नारे लगा रहा था लेकिन उसकी आवाज में लड़खड़ाहट आने लगी थी।'

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आज गोडसे की फांसी की एनीवर्सरी है। गोडसे ने राष्टपिता की हत्या कर देश को क्षति पहुंचाई थी और नृशंस काम किया था। लेकिन आज भी राजनीति गलियारों में गोडसे के नाम पर रानीति रोटी सेंकी जाती है। भी हाल ही में मई में हुए जनसभा में एक्टर व राजनेता कमल हासन ने कहा था, 'आजाद भारत का पहला आतंकी हिंदू था और उसका नाम नाथूराम गोडसे था। आतंक की शुरुआत वहीं से हुई थी।' हासन को जवाब देते हुए भोपाल से बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा, 'नाथूराम गोडसे एक देशभक्त था, देशभक्त है और देशभक्त रहेगा।' हालांकि बाद में दोनों ने सफाई देते हुए बयान वापस ले लिए। और माफी मां ली थी। । 2017 में हिंदू महासभा ने ग्वालियर में गोडसे को समर्पित मंदिर भी बनाया था।

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